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बदले समय के साथ बदली खेती आधुनिकता के साथ नई वेराइटी की सोयाबीन पर किसानों का जूखाव

बदले समय के साथ बदली खेती आधुनिकता के साथ नई वेराइटी की सोयाबीन पर किसानों का जूखाव

समय के साथ बदल रहा खेती का तौर-तरीका नई वैरायटी पर हाथ आजमा रहे युवा किसान

आशीष यादव/धार – अगर आज हम अपने दादा और नाना से पूछे कि वो अपने समय में खेती कैसे करते थे, तो उनका जवाब सुनकर हम हैरान रह जाएंगे या फिर वो हमारी सोच से बिलकुल परे जवाब देंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले कई दशकों से खेती में जबरदस्त बदलाव हुए हैं। मौसम के बदलाव और कृषि क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते आधुनिकीकरण के कारण हमारे बुज़ुर्गों के समय की खेती और मौजूदा खेती में ज़मीन-आसमान का फर्क आ चुका है।

आज आधुनिक समय के साथ आधुनिक तरीके से खेती करता किसान बदलते युग के साथ बदलती किसानी के अंतर्गत जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर गांव बिलोदा के किसान राहुल भाकर उन्नत खेती/खेती का तरीका लोगों को सिखाकर एक से बढ़कर एक वैरायटी लोगों के बीच लॉकर खेती को लाभ का धंधा बना रहे है।

उसमें एक वैरायटी एनआरसी 150 जिससे किसानों ने कम रबके में लगाया मगर राहुल भाकर जमीनी स्तर पर लोगों को इसकी जानकारी दे रहे हैं वही बता रहे हैं कि इस वैरायटी से किसानों को क्या लाभ है और कैसे उत्पादन में फायदा होगा और कैसी अपनी आई दुगनी करेंगे। पहली बार राहुल भाकर ने 1 किलो बीज लेकर इस वैराइटी की बुवाई की थी जो बढ़ते हुए दो हेक्टियर में लगाई है।

सोयाबीन की एनआरसी 150 की विशेषता:

बाजार में 150 की डिमांड ऐसी बढ़ी के लोग 200 किलोमीटर दूर मीटर दूर से बीज लेकर आए व अपने खेतो में लगया वही इसको लेकर बड़ी खुशी है वही कोई 150 वैरायटी 90 दिन के टाइम परेड में पक्का तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन 5 से 7 क्विंटल बीघा से अधिक उत्पादन मिला है वही किसान प्रकाश मंडलोई ने बताया कि यू तो सोयाबीन की वैरायटी सैकड़ो है मगर यह वैरायटी नई आई है।

जिससे बाजार में लोग इस बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लगाएंगे इस वैरायटी के फायदे ज्यादा है वही फसल में कीटनाशकों का प्रकोप भी कम रहता है जिससे उत्पादन अच्छा आता है सोयाबीन की हाइट 75 से.मी की हाइट लेती है यह सफेद फूलों की रहती है इसमें अधिकतम 3 से 4 दाने की फली रहती है।

हार्वेस्टर से काटने अनुकूल वैराइटी:

सोयाबीन 150 के वैरायटी बाजार में नई वैरायटी है वही आज सबसे मुख्य परेशानी किसानों को मजदूरो की है वहीं मजदूर किसानों को मिलता नहीं जिससे सोयाबीन कटाई में काफी परेशानी आती है वहीं हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी खेतों में ही कहि क्विंटल फसल खराब हो जाती है मगर यह वैरायटी ऐसी है जिससे किसान हार्वेस्टर से कटवा सकता है इस वैरायटी के लिए वैज्ञानिकों ने भी अथक प्रयास किए हैं व इस वैरायटी को उत्तम बताया है फलिया चटकने की कोई समस्या नही 8 इंच ऊपर से फलिया होती है जिससे आसानी से हारवेस्टर से कटाई कर सकते है।

सोयाबीन की विशेषता:

इस समय किसानों की मुख्य परेशानी फसलों में बीमारी है मगर यह वैरायटी एक ऐसी वैरायटी जिसमें बीमारी ना मात्र की रहती है वही आज बाजार में महंगे महंगे दामों का कीटनाशक खरीद कर खेतों में छिड़काव करता है मगर उसका रिजल्ट सोयाबीन पर नहीं मिलता है एनआरसी-150: कम बीमारी वाली सोयाबीन है इसमें पीला मैजक, स्टेम फ्लाय आदि रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। वही इस सोयाबीन में मुख्ता यह बीमारियां दिखती नहीं। यह वैराइटी थोड़ी – थोड़ी मात्रा में बिलोदा, अनारद,काजीपुरा,मगोद,सकतली तीसगांव आदि गांवों में एक दो या पांच किलो बीज लगाकर बीज बना रहे है

यह किस्म NRC 150 गंध रहित:

सोयाबीन की प्राकृतिक गंध पसंद नहीं आने के कारण कई लोग इससे बने खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं, लेकिन इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकालते हुए सोयाबीन की अनचाही गंध से मुक्त किस्म NRC विकसित करने में कामयाबी हासिल की है।

यानी इससे बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी। IISR के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन का मप्र के लिए एनआरसी सोयाबीन की किस्में
‘एनआरसी 150’ किस्म प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है और कुपोषण दूर करने के लक्ष्य के साथ विकसित की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनचाही गंध से मुक्त होने के कारण सोयाबीन की इस किस्म से बने खाद्य पदार्थों का आम लोगों में इस्तेमाल बढ़ेगा।

कम वर्षा में प्रतिकूल उत्पादन:

कई किसान इस वैरायटी को गर्मी में लगाकर बीज पैदावार कर रहे हैं वहीं यह वैरायटी कम पानी में भी पकाने लायक है यह प्रतिकूल मौसम की वजह से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति के कारण सोयाबीन की खेती में करने में कठिनाई आती जा रही है। सोयाबीन की फसल में फैलने वाले रोग एवं कम वर्षा के कारण सोयाबीन की पैदावार प्रभावित होती है। जिसके चलते किसानों की आय प्रभावित हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब सोयाबीन की कई ऐसी किस्में इजाद की है, जो कम वर्षा में भी अच्छा उत्पादन देगी।

यह वैराइटी नही है

यह सोयाबीन बहुत अच्छी वैराइटी है 90 से 95 दिन में पककर तैयार होती है मौसम अनुकूल सोयाबीन है 5 से 7 क्विंटल बीघा उत्पादन होता है। पिछले साल बीज कम था इस बार इसकी बोवाई किसानों ने अपनी सोलियत के हिसाब से 5 किलो 10 किलो बीज लगाकर उत्पादन कर रहे हैं।
डॉ जीएस गठिया कृषि वैज्ञानिक केंद्र धार

कुछ किसानों ने लाई है:

नई वैरायटी है यह थोड़े-थोड़े रकबे किसानों ने अपने हिसाब से लगाई है अच्छे किसानों ने इसकी बुवाई की है इसका उत्पादन भी अच्छा है कृषि विभाग के अधिकारी भी इसकी खेतो में विजिट कर देख रहे है।
संगीता तोमर सहायक संचालक कृषि विभाग धार

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