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‘जॉब फॉर सेक्स’: 900 पेजों की चार्जशीट ने खोले पूर्व IAS के काले चिट्ठे

अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और लेबर कमिश्नर आरएस ऋषि ने मिलकर कई लड़कियों के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया. इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच SIT (Special Investigation Team) को सौंपी गई.इस मामले के मुख्य आरोपियों द्वारा सबूतों को नष्ट करना, दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर पूरा कांड किया जाना और पीड़िता के बयान आपस में मेल खा रहे हैं. इस मामले की शुरूआत एक महिला के आरोपों के बाद हुई थी लेकिन ज्यों-ज्यों परतें खुलती गईं तो इसमें कई लड़कियों के पीड़ित होने के पुख्ता सबूत मिल गए हैं.

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SIT टीम ने इन पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के पुख्ता सबूत जुटा लिये हैं. उनका मानना है कि ये आरोपों को सिद्ध करने के लिए ये पर्याप्त हैं. अंडमान और निकोबार के मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और तीन अन्य पर बलात्कार और आपराधिक साजिश सहित कई आरोप संगीन आरोप हैं.

इस मामले में सबसे पहली शिकायत पोर्ट ब्लेयर की एक 21 वर्षीय निवासी ने दर्ज कराई थी. लड़की ने पहले अंडमान निकोबार पुलिस के सामने और बाद में एसआईटी को विस्तार से बताया कि कैसे नारायण ने दो मौकों पर उसका हिंसक यौन उत्पीड़न किया. और कैसे फिर केंद्र शासित प्रदेश के लेबर कमिश्नर भी उसमें शामिल हो गए थे. जितेंद्र नारायण न्यायिक हिरासत में हैं. ‘द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एसआईटी ने इस केस की डिटेल बताई है. इस मामले में कैसे एक संरक्षित गवाह ने तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के आधिकारिक आवास पर आने वाली अधिक महिलाओं के बारे में गवाही दी है. 900 से अधिक पन्नों की चार्जशीट से पता चला है कि जितेंद्र नारायण के दोनों सह-आरोपी ऋषि और होटल मालिक संदीप सिंह ने अपने बयानों में घटनाओं के सटीक क्रम की पुष्टि की है जैसा कि पहले ही मामले को बताया गया था. तीनों आरोपी पोर्ट ब्लेयर में न्यायिक हिरासत में हैं.

SIT जांच में सामने आया है कि मामले की कई सबूतों को मिटाया गया है. इस रैकेट के तहत 20 से अधिक महिलाओं को एक साल से अधिक समय के अंदर कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर स्थित पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के घर लाया गया. इनमें से कई महिलाओं को यौन शोषण के बाद जॉब भी दी गई.

इन्वेस्टिगेशन के दौरान नारायण और ऋषि का आमना-सामना हुआ था और मुठभेड़ की वीडियोग्राफी सबूत के तौर पर की गई थी. इस दौरान पता चला है कि ऋषि ने अपने खुलासे वाले बयान की पुष्टि की और कहा कि नारायण ने उनसे महिलाओं को अपने घर लाने के लिए कहा था. ऋषि ने यह भी स्वीकार किया कि वे एक और पीड़ित को मुख्य सचिव के आवास पर ले गए. सूत्रों ने कहा कि SIT को दो गुमनाम पत्र मिले हैं जिसमें अधिक पीड़ितों का आरोप लगाया गया है.

SIT ने जुटाए सबूत
SIT को दो टॉवर लोकेशन ट्रैक के लिए, फोन कॉल रिकॉर्ड, रूट मैप और कई डिजिटल ट्रेल्स के विवरण मिले हैं. जो ये साफ करते हैं कि इस मामले में लगाए गए आरोप सही हैं. नारायण और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, सत्ता में बैठे व्यक्ति द्वारा यौन संबंध, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश के आरोपों से संबंधित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं लगाई गई हैं. इसके अलावा SIT ने एक और धारा जोड़ दी है IPS 201. ये सबूतों को कथित रूप से नष्ट करने और गायब करने के लिए होती है.

यहां समझिए पूरा मामला
इस केस में FIR एक अक्टूबर 2022 को दर्ज की गयी थी. उस वक्त नारायण दिल्ली वित्त निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थे. सरकार ने 17 अक्टूबर को नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. महिला ने में दावा किया है कि उसके पिता और उसकी सौतेली मां उसकी आर्थिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही थी, इसलिये उसे एक नौकरी की जरूरत थी और कुछ लोगों ने उसका परिचय लेबर कमिश्नर से कराया. क्योंकि वह तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे. उसने यह भी दावा किया कि मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों में केवल सिफारिश के आधार पर और बिना किसी औपचारिक साक्षात्कार के 7800 उम्मीदवारों की नियुक्ति की है. महिला ने कहा कि उसे सरकारी नौकरी दिलाये जाने का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर पर ले जाया गया, जहां 14 अप्रैल और एक मई को उसके साथ बलात्कार किया गया.

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