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दिव्य दर्शन समाधि योग शिविर का भावपूर्ण हुआ समापन, निःशुल्क प्राणायाम योग का प्रशिक्षण प्राप्त किया

दिव्य दर्शन समाधि योग शिविर का भावपूर्ण हुआ समापन, निःशुल्क प्राणायाम योग का प्रशिक्षण प्राप्त किया

बड़वाह /ॐकारेश्वर रोड़ पर माँ रेवा के तट पर स्थित श्री नित्यानंद आश्रम में दिव्य दर्शन योग संस्था द्वारा डॉ. स्वामी पूर्णानंद जी के सानिध्य व कुशल मार्गदर्शन में आठ दिवसीय निःशुल्क प्राणायाम एवं समाधि पर आधारित दिव्य दर्शन समाधि योग शिविर का सोमवार को समापन हुआ।

इस आठ दिवसीय निःशुल्क शिविर में बड़वाह, सनावद व ओम्कारेश्वर के लगभग 30 से अधिक शिविरार्थियों ने प्राणायाम और समाधि योग की गहराई व वैज्ञानिक तथ्यों को समझा और उसका अभ्यास किया, साथ ही इस दिव्य ऊर्जा के माध्यम से अपने तन, मन को कैसे स्वस्थ और ऊर्जावान बनाये रखा जाए यह सीखकर इसका स्वयं अनुभव भी किया।

सनावद के योग प्रशिक्षक जे. टी. बिरले ने बताया कि योग, प्राणायाम व समाधि की नई विधा से परिचय हुआ, जिसका इतनी बड़ी उम्र में भी अदभुत आनंद प्राप्त हुआ है, जितेंद्र सेन ने पिछले शिविर के माध्यम से सीखा था कि जीवन को कैसे बेहतर ढंग से जिया जा सकता है इसके अनुभव साझा किए व पुनः प्राप्त दिव्य ज्ञान से अपने जीवन, देश, समाज को और अधिक ऊर्जा के साथ सहयोग करना व्यक्त किया।

कमल भंडारी ने इस शिविर में शामिल होने को अपने जीवन की अनूठी उपलब्धि मानते हुए बताया कि इस शिविर के माध्यम से सीखे गए प्राणायाम के विभिन्न प्रकार व समाधि से ऐसा लगता है कि शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ व ऊर्जावान बने रहना बहुत ही सरल है। साथ ही आपने अगले शिविर में शामिल होने की सबसे अपील भी की।

विवेक दुबे व अंतिम दुबे ने आठ दिवसीय शिविर से नकारात्मकता को दूर कर अपने अंदर एक नई ऊर्जा संचरण का अनुभव साझा किया। श्रीमती बबिता विनीत छाजेड़ ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व किये शिविर के माध्यम से सीखे प्राणायाम का निरंतर अभ्यास जारी रखते हुए अपने सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (गर्दन के दर्द) से पूर्ण मुक्ति प्राप्त की साथ ही इससे सारा दिन ताजगी व स्फूर्ति बनी रहती है।

युवा व्यवसायी सिद्धार्थ जिंदल ने कहा जो मैं चाहता था वो मुझे इस शिविर में मिल गया , इतने कम दिन व समय में ही बहुत कुछ अच्छा फील हुआ है तो इसे निरन्तर करने बाद क्या होगा ये सोच के ही आनंदित हूँ। योग प्रशिक्षक रहे शिक्षक नवीन दुबे ने अपनी पुत्री मुस्कान दुबे के साथ योग प्रशिक्षण शिविर को नाम के अनुरूप दिव्य दर्शन बताया।

शिक्षक कपिल पुराणिक ने बताया कि शिविर के माध्यम से स्वामीजी के सहज सरल व प्रभावशाली तरीके से बहुत कुछ सीखा जिससे मन मस्तिष्क में स्वस्थ जीवन के प्रति एक नई दिशा का ज्ञान मिला । श्रीमती बिंदु दुबे ने इस शिविर के दौरान ही अपनी वर्षों पुरानी समस्या डायबिटीज और बैकपेन में काफी आराम महसूस किया शिविर से पूर्व उनका शुगर लेवल 250-350 तक रहता था जो शिविर के दौरान प्राणायाम करने से 125-130 पर आया।

डॉ. इतिशा छाजेड़ ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि स्वामीजी ने शिविर के दौरान सहज, सरल, प्रामाणिक उदाहरणों के साथ ही वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर एवं जीवनोपयोगी नियमों के पालन करते हुए प्राणायाम व समाधि से अपने आप को स्वस्थ व मस्त रखते हुए पॉजिटिविटी के साथ तनावमुक्त जीने का प्रभावशील प्रशिक्षण दिया।

राजेश पाठक सनावद ने इसे परम सौभाग्य व ईश्वर की असीम कृपा बताते हुए कहा परमपूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीय मां के सानिध्य में योग दर्शन प्राणायाम व समाधि के योगाभ्यास के साथ सांसारिक व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त हुआ और जीवन दर्शन की एक विशेष आत्मानुभूति के साथ अप्रतिम अद्वितीय अलौकिक आनन्द की प्राप्ति हुई । गजेंद्र सोलंकी ने बताया कि जीवन को सुंदर ढंग से जीने की प्रेरणा मिली।

इस आठ दिवसीय शिविर में एक दिन अज्ञातवास का होता है जो कि कटघड़ा स्थित सुनीर कुटी पर हुआ, जहाँ स्वामी पूर्णानंद जी ने सभी शिविरार्थियों को प्रकृति के माध्यम से भाव समाधि का अनूठा प्रशिक्षण दिया ।

शिविर के संयोजक समाजसेवी विनीत छाजेड़ ने इस आठ दिवसीय निःशुल्क शिविर में शामिल होने के लिये सभी शिविरार्थियों का आत्मीय आभार व्यक्त करने के साथ निरन्तर योग अभ्यास की अपील करते हुए निरोगी काया व आनंदित मन की शुभकामनाएं देते हुए अज्ञातवास के लिये सुनीर कुटी निःशुल्क उपलब्ध कराने हेतु श्री नीलेश रोकड़िया का भी आभार व्यक्त किया, साथ ही बड़वाह में अतिशीघ्र आयोजित होने वाले निःशुल्क शिविर में बड़वाह वासियों से अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर। दिव्य दर्शन योग व समाधि शिविर का लाभ लेने की अपील की।

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