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रात के अंधेरे में रोशनी की जगमगाहट के बीच शहर का ह्दय स्थल राजवाड़ा अब जगमगा उठा है

इंदौर। शहर का ह्दय स्थल राजवाड़ा अब जगमगा उठा है। राजसी ठाठ-बाट के साथ राजवाड़ा की रंगत अब ओर भी अधिक मनमोहक नजर आ रही हैं। रात के अंधेरे में रोशनी की जगमगाहट के बीच उसकी हर मंजिल कुछ अलग ही बयां करती हैं।

शहर के मास्टर प्लान का कार्यकाल 2021 में पूरा हो चुका हैं। नया मास्टर प्लान बनाने को लेकर अभी तक कोई जमीनी तैयारियां शुरू नहीं हो पाई है। वर्ष 2011 में समाप्त हुए मास्टर प्लान की योजना 10 साल में भी अधूरी रही। वर्ष 2022 में 2035 मास्टर प्लान की योजना पर काम शुरु तो हुआ लेकिन पूरा साल ऐसे ही निकल गया। तमाम प्रयास के बाद भी कम से कम चार साल मास्टर प्लान की योजना बनाने में लग जाएंगे, तब तक बेतरतीब विकास शहर में होता रहेगा। पिछला मास्टर प्लान भी 15 साल बाद 1990 में पूरा हो पाया था। इसके बाद मास्टर प्लान बनाने की कार्रवाई शुरू हुई थी लेकिन पिछले मास्टर प्लान की 16 से अधिक महत्वपूर्ण योजनाएं आज भी अपने विकास की राह देख रही है।

पिछले मास्टर प्लान में शहर के बंद रास्ते खोलकर विकास की रफ्तार दिये जाने के प्रयास किए गए थे, कुछ मार्गों पर काम प्रारंभ हुआ है पर रफ्तार बेहद धीमी है। कुल मिलाकर नए मास्टर प्लान 2035 पर इस वर्ष केवल चर्चा होती रही और बैठक के बाद व जोनल प्लान की तैयारी हैं। मास्टर प्लान पर दावे आपत्ति की सुनवाई और उस पर चर्चा के साथ ही भोपाल इंदौर में बैठकोें का दौर चलता रहा।

30 प्रतिशत तक कम हो सकेगा यातायात का दबाव

जानकारों की माने तो कई मार्ग अभी भी विकास की राह देख रेह हैं। इन मार्गों के पूरी तरह विकसित हो जाने से शहर के मुख्य मार्गों पर यातायात का दबाव तीस प्रतिशत तक आसानी से कम किया जा सकेगा। अभी तक पिछले मास्टर प्लान में जो कार्य नहीं हुए हैं उनको लेकर कोई समीक्षा नहीं की गई है। जबकि मास्टर प्लान में हुए कार्यों और किए गए प्रस्ताव पर एक रिपोर्ट का आना बेहद जरुर है इससे नए मास्टर प्लान में किस क्षेत्र में कितना विकास होना है और क्या सुधार हो सकता है यह देखने में बड़ी आसानी रहेगा।

चार ट्रांसपोर्ट हब नहीं नजर आते

सारा दबाव चंद मार्गों पर ही लगातार बढ़ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण चार ट्रांसपोर्ट हब भी पिछले मास्टर प्लान में प्रस्तावित थे इनमें से एक भी नजर नहीं आता। सूत्रों की माने तो नए मास्टर प्लान की शुरूआत के पहले इंदौर शहर के पुराने मास्टर प्लान के बचे हुए कार्यों की भी समीक्षा हो जानी चाहिए। नए मास्टर प्लान को लेकर कहा जा रहा है कि इसमे पीथमपुर, धार, देवास को भी जोड़ा जाएगा।

पिछले मास्टर प्लान ने वर्ष 2020-21 में अपना कार्यकाल पूरा कर लिया। सूत्रों की माने तो 1992 से लेकर 2005 के बीच दो बार मास्टर प्लान बने और वह योजनाओं के सही क्रियान्वयन नहीं किए जाने से निरस्त हो गए। तीसरा मास्टर प्लान 2005-06 में बनकर शासन के पास गया था जो 2008 में लागू हो पाया था, मतलब 18 साल तक शहर बिना मास्टर प्लान के ही बढ़ता चला गया। एक बार फिर शहर में यही स्थिति दिखाई दे रही है। हालांकि कुछ मार्गों पर काम प्रारंभ हुआ है पर रफ्तार बेहद धीमी है।

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