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पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रूख, इस तरह की आतिशबाजी को अनुमति देने की कही बात

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के मामले पर विचार करते हुए कहा कि वह पटाखों से रोजगार की आड़ में अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की एक पीठ ने कहा कि उसकी प्राथमिकता मासूम नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना है। पीठ ने कहा, हमें रोजगार, बेरोजगारी और नागरिक के जीवन के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा।

ग्रीन पटाखों को मिलेगी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में हम दूसरों को अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दे सकते। हमारी प्राथमिकता मासूम नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना है। यदि हमें लगा कि यह ग्रीन पटाखे हैं और विशेषज्ञों की समिति द्वारा इन्हें स्वीकृत किया गया है तो हम उपयुक्त आदेश पारित करेंगे। पीठ ने कहा कि हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या किसी भी आदेश को लागू करवाना है।

आदेश को सच्ची भावना से लागू हो

पीठ ने कहा, कानून तो हैं, लेकिन अंतत: इसका क्रियान्वयन होना चाहिए। हमारे आदेश को सच्ची भावना से लागू किया जाना चाहिए। पटाखा निर्माता संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम नाडकर्णी ने कहा कि दिवाली चार नवंबर को है और वे चाहते हैं कि पेट्रोलियम विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) फैसला करे। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले पर फैसला करना चाहिए क्योंकि लाखों लोग बेरोजगार हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि दलील को सुना जाना चाहिए और इसे तार्किक रूप से पूर्ण भी किया जाना चाहिए, लेकिन उद्योग में काम करने वाले लाखों लोगों की दुर्दशा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

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