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चाइना में बिजली संकट, दुनिया भर में ऐसा पड़ेगा असर

बीजिंग। चीन इन दिनों बड़े बिजली संकट का सामना कर रहा है। यहां के पूर्वोत्तर इलाकों में तो यह संकट इतना गहरा गया है कि कई बड़ी कंपनियों की फैक्टरियों में काम रुक गया है। लोगों से घरों में पानी गर्म करने से लेकर ज्यादा पॉवर वाले गैजेट्स का इस्तेमाल करने से मना कर दिया गया है। कई मॉल व दुकानें भी बंद हो चुकी हैं। ऐसे में लोग अब अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हो गए हैं। चीन में यह संकट मैन्युफैक्चर्स की बढ़ती डिमांड के बीच बाधित हुई कोयला सप्लाई के कारण खड़ा हो गया है। दरअसल, चीन में कुछ बंदरगाह लंबे समय से बंद थे। ऐसे में मांग के अनुरूप कोयले की सप्लाई नहीं हो पाई। यह सप्लाई अभी भी बाधित है और कोयला मंगाने के लिए बंदरगाहों पर लंबी वेटिंग चल रही है। ऐसे में चांगचुन, झेझियांग जैसे कई इलाकों में सरकार ने बिजली काटने की घोषणा कर दी है। दरअसल, कोरोना के बाद चीन में औद्योगिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं, जिसके चलते बिजली की मांग में तगड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है।

दुनिया भर पर पड़ेगा असर

दुनिया भर में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स चीन से सप्लाई होते हैं। लेकिन बिजली संकट के चलते यहां एप्पल, टेस्ला जैसी कंपनियों में भी काम बंद हो गया है। ऐसे में दुनिया भर में इसका असर पड़ने के आसार हैं। बता दें, नए साल और क्रिसमस के मौके पर कई लोग नया मोबाइल फोन या इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदते हैं। माना जा रहा है कि प्रोडक्शन ठप होने के कारण मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक आइटमों के पार्ट्स की सप्लाई बाधित होगी, जिसका व्यापक असर एशिया व अन्य पश्चिमी देशों पर पड़ेगा। इसके अलावा वैश्विक बाजार में कपड़ों, खिलौनों व मशीनों के पुर्जों की सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है।

अगले साल तक रहेगा संकट

चीन में बिजली संकट इतना गहरा हो गया है कि इसका असर अलगे साल तक रहने की आशंका है। कोयला सप्लाई बाधित होने से आर्थिक रूप से भी सरकार के सामने संकट खड़ा हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा पॉवर कट से आर्थिक बिजलीघरों पर असर पड़ेगा, जिसके चलते आने वाले दिनों में आर्थिक संकट पैदा हो सकता है।

ट्रैफिक लाइट तक बंद

उत्तरी चीन के कई प्रांतों में बिजली की भारी किल्लत है। शहरों की ट्रैफिक लाइट तक के बंद होने की सूचना मिल रही है। वहीं इस कारण हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिल रहा है। चीन के अंदर ही उपभोक्ताओं को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। चीन के नोमुरा होल्डिंग्स लिमिटेड और चाइन इंटरनेशनल कैपिटल कॉर्प ने बिजली कमी की वजह से विकास के अनुमान को कम कर दिया है।

आर्थिक वृद्धि और प्रदूषण को रोकने में संतुलन नहीं

विशेषज्ञों की मानें तो सबसे व्यस्त समय में कारखाने बंद करने से यह स्पष्ट है कि चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी आर्थिक वृद्धि और प्रदूषण को रोकने के प्रयासों के बीच संतुलन ठीक से नहीं बिठा पा रही और इस वजह से उसे संघर्ष करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ऊर्जा की बचत करने के बीजिंग के संकल्प से लंबे समय के लिए तो फायदा हो सकता है, लेकिन कम अवधि में इसकी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।

-2021 में चीन में बिजली की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर। कोयला नहीं मिलने से बढ़ा बिजली संकट।
-2020 में 10.1 फीसदी अधिक बिजली पैदा हुई थी चीन में।
-2019 यह आंकड़ा करीब 15 फीसदी अधिक था।
-2030 तक चीन में कार्बन डाई आॅक्साइड का उत्सर्जन देश 65 फीसदी तक घटाना है। कोयले के कम इस्तेमाल की एक ये भी बड़ी वजह है।

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