नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसए) से संबद्ध किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने सोमवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली की और चेतावनी दी कि अगर समय पर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो राज्यों और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। भारतीय किसान संघ द्वारा आयोजित रैली में भाग लेने के लिए मध्यप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों के हजारों किसान अत्यधिक ठंड का सामना करते हुए ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और बसों से दिल्ली पहुंचे। बीकेएस के एक सदस्य ने कहा कि वे कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने और पीएम-किसान योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि सहित सरकार से राहत उपायों की मांग करते हैं। बीकेएस द्वारा जारी एक नोट में कहा गया कि यदि समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो केंद्र और राज्य सरकारों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
सरकार को दिया तीन महीने का समय
किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने तीन महीने के भीतर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे विरोध तेज करेंगे। इंदौर से दिल्ली पहुंचे नरेंद्र पाटीदार ने कहा कि खेती से जुड़ी मशीनरी और कीटनाशकों पर जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बढ़ती लागत और मुद्रास्फीति के साथ, हमें कोई लाभ नहीं होता है। सरकार को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। डेयरी उद्योग पर भी जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां तक कि जो पेंशन (पीएम-किसान के तहत आय समर्थन) वे प्रदान कर रहे हैं वह पर्याप्त नहीं है। मौजूदा स्थिति में कोई 6,000 रुपए या 12,000 रुपए में परिवार कैसे चला सकता है?
किसानों की यह है मांग
-किसान लागत के आधार पर अपनी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य की मांग कर रहे हैं।
– किसानों ने सभी प्रकार की कृषि गतिविधियों पर से जीएसटी को वापस लेने और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति देने का भी आह्वान किया है।
-पीएम-किसान योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता को बढ़ाने के लिए भी किसान केंद्र पर दबाव बना रहे हैं।
-किसान गन्ना फसलों का समयबद्ध भुगतान, पराली जलाने पर दर्ज हो रहे मामलों को वापस लेने और बिजली-जमीन मुआवजा नीति सही करने की मांग भी कर रहे हैं।
– ट्रैक्टर पर खरीद के 10 साल बाद इस्तेमाल पर लगने वाला प्रतिबंध समाप्त करना भी मुख्य मांगों में शामिल है।
…तो पूरे देश को जाम कर देंगे
रैली में शामिल हुए किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने अगर उनकी मांगें नहीं मानी है तो दिल्ली ही नहीं पूरे देश को जाम कर देंगे। रामलीला मैदान में भारतीय किसान संघ की रैली अपने जोश से भर गई थी।
केंद्र सरकार का अंतिम पूर्ण बजट महत्वपूर्ण
चूंकि, 2024 के अप्रैल-मई माह में लोकसभा के चुनाव होने हैं। यानी फरवरी 2023 में में पेश किया जाने वाला बजट केंद्र सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा। किसान संघ के सूत्रों के मुताबिक, किसान आगामी बजट सत्र को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं। उनकी कोशिश है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले इस अंतिम पूर्ण बजट में किसानों के लिए बेहतर आर्थिक नीतियों की घोषणा कराने में सफलता हासिल की जाए।
सच्चाई यह है कि
केंद्र सरकार के तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यह है कि आज भी गन्ना किसानों को उनकी फसल का भुगतान मिलने में आठ से नौ महीनों का समय लग रहा है। कानूनन यह भुगतान 14 दिन के अंदर हो जाना चाहिए, देरी होने पर ब्याज सहित भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन किसानों को उनकी अपनी ही फसल का मूल्य नहीं मिल पाता, जबकि इसी बीच वे महाजनों से लिए कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए मजबूर होते हैं।