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Narmada Flood: नर्मदा का जलस्‍तर उतरा तो दिख रहा बर्बादी का मंजर, मनावर के पतवार में अब भी भरा है पानी

Narmada Flood

Narmada Flood: आशीष यादव/धार.- जिले में बारिश का दौर खत्‍म हो चुका है। नर्मदा पट्टी के इलाकों में अब धीरे-धीरे बारिश का पानी उतरने लगा है। लेकिन जैसे-जैसे नर्मदा का जलस्‍तर कम हो रहा है, वैसे-वैसे लोगों के उजड़ते आशीयानें देखने को मिल रहे है। गांव के गांव बर्बाद हो चुके है। गांव से लेकर घर तक में सिर्फ और सिर्फ कीचड़ पसरा नजर आ रहा है। ऐसे हालात में लोगों के सामने नया संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। हालांकि प्रशासन सर्वे करवाकर मुआवजा देने की बात जरूर कह रहा है। लेकिन इस सर्वे तक लोगों को फिर से अपनी जिदंगी की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

Narmada Flood: मनावर और निसरपुर से लगे क्षेत्र में हालात काफी दयनीय है। लगातार बारिश के कारण नर्मदा का पानी उन इलाकों तक पहली बार पहुंचा है, जो डूब क्षेत्र में शामिल ही नहीं थे। ऐसे गांवों में नर्मदा का पानी पहुंचने से लोग अपनी गृहस्‍थी तक बचा नहीं पाए। पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि किसी को संभालने का मौका तक नहीं मिल पाया। ऐसे हालात में लोग सिर्फ अपनी जिदंगी की सलामती के लिए घर-बार सबकुछ छोड़कर निकल गए। अब पानी उतरने लगा तो लोग वापस लौट रहे है, लेकिन उनकी गृहस्‍थी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।

यह है हालात:
Narmada Flood: ग्राम पतवार तहसील मनावर में करीब 25 से 30 घरों में नर्मदा का बैकवाटर घरों में घुस गया। ग्राम पतवार के भेरूलाल भिलाला का पूरा मकान पानी में डूब गया। पटवार के टीकाराम मालवीया ने बताया नदी का पानी कम से कम 1000 फ़ीट दूर था। 2 घंटे में ही गाव के घरों तक पानी पहुंच गया और इसके बाद घरों में भी घूसना शुरू हो गया। लोगों को अपना सामान तक उठाने का समय नहीं मिल पाया। खाद, सोयाबीन, डॉलर चने सबकुछ पीछे छुट गया। अब घर गिरने की हालात में हो गए है। डोंगर मालवीय के यहां घर में पूरा पानी घुस गया। इससे घर में रखा सोफा, लॉकर, खाने-पीने का सामान सहित लाखों का नुकसान हुआ। इसी प्रकार निचली बस्तियों में भी पानी घुसा है। लोगों के पास रहने को छत नहीं बचीं, प्रशासन की ओर से किसी को कोई मदद नहीं है।

लोगों ने छतों पर बैठकर रात गुजारी:
Narmada Flood: शनिवार-रविवार के 24 घंटे कभी न भूलने वाली यादें देकर गए है। ग्रामीणों ने बताया कि पूरी रात और दिन मंदिर की छत, आंगनवाड़ी, उपस्वास्थ्य केंद्रों और घर तक 5 फ़ीट तक पानी में डूब गए थे। ग्रामीणों ने ही प्रभावितों के खाने की व्यवस्था करवाई और मदद की। अब हालात यह है कि लोग जोखिम में जान डालकर रह रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड में इन सभी को डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। एनवीडीए द्वारा कोई सर्वे नहीं किया जा रहा है, न ही मुआवजा दिया जा रहा है।

वर्ष 2001 में बताया था डूब प्रभावित:
Narmada Flood: ग्रामीणों के अनुसार 22 साल पहले गांव पतवार डूब क्षेत्र में शामिल था। लेकिन इसके बाद इसे डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया गया। वर्तमान में नर्मदा के बैकवॉटर के कारण डूब में गए ग्राम पतवार में हालात यह है कि पशुओं और इंसानों की हालत बत्तर हो रही है। शासन का सर्वे फैल हो गया। किसानों की लाखों की फसल चौपट हो गई। नदी किनारे बसे होने से जान का हमेशा खतरा बना रहता है। पूरा गांव दहशत में है। गांव में लोगों के आशियाने उजड़ गए है। अचानक पानी आने से किसी को सामान तक समेटने का मौका नहीं मिला। अनाज, खाद, भूसा सहित सारा सामान पानी में बह गया। लोगों के सपने टूट गए, खेत बर्बाद हो गए। कई लोगों को डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया। इससे लोगों ने गांव में पक्के मकान का निर्माण किया। लेकिन आज ऐसी परिस्थिति बन गई है कि सरकार न मुआवजा दे रही है और न ही डूब में बता रही है।

कलेक्‍टर ने किया डूब प्रभावित क्षेत्रों का दौरा:
Narmada Flood: इधर नर्मदा का जलस्‍तर उतरने के बाद प्रभावित गांवों का दौरा करने के लिए कलेक्‍टर प्रियंक मिश्रा पहुंचे। अधिकारियों के साथ उन्‍होंने डूब प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर हालात का जायजा लिया। साथ ही लोगों से भी मुलाकात कर उनकी समस्‍या सुनी। कुक्षी के भावरिया, कटनरेरा, निसरपुर, चिखल्‍दा, खेड़ा आदि गांवों में पहुंचकर कलेक्‍टर मिश्रा ने लोगों से मुलाकात की। इस दौरान ग्रामीणों का दर्द छलका तो उन्‍होंने ढांढस बंधाया। साथ ही अधिकारियों को मकान, पशुधन, सामग्री, फसल आदि की क्षति का सर्वे करने के लिए कहा।

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