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पीथमपुर में बन रहे मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क ने पकड़ी रफ्तार पार्क के माध्यम से उद्योग व व्यापार को गति मिलेगी

पीथमपुर में बन रहे मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क ने पकड़ी रफ्तार पार्क के माध्यम से उद्योग व व्यापार को गति मिलेगी

करीब 255.17 एकड़ भूमि में लॉजिस्टिक पार्क को विकसित करने में लगभग 800 करोड़ का खर्च

प्रधानमंत्री से हाथों पार्क का भूमिपूजन कराने की तैयारी, इंडोरामा के फ्लाइओवर का भी हो सकता है भूमिपूजन

आशीष यादव/धार – पीथमपुर में बन रहे मल्टीमॉडल लाजिस्टिक्स पार्क ने पकड़ी गति, पीएम के हाथो भूमिपूजन कराने की तैयारी
इंडोरामा के फ्लाईओवर का भी हो सकता है भूमिपूजन.

पीथमपुर। एशिया की सबसे बड़ी औद्योगिक नगरी में बनने वाले मल्टीमॉडल लाजिस्टिक्स पार्क के साथ इंदौर के कुछ और कार्यक्रम प्रधानमंत्री की आगामी यात्रा में जोड़ने के जतन शुरू हो गए हैं। इसी कड़ी मे इंडोरामा फ्लाईओवर की आधारशिला भी प्रधानमंत्री के हाथो रखवाने की तैयारी हो रही है। 150 एकड़ के लॉजिस्टिक पार्क के पास बनेगी

80 मीटर चौड़ी सडक़:

इंदौर-पीथमपुर कॉरिडोर को भी इस लॉजिस्टिक पार्क से गति मिलेगी और टीही में बने रेल कंटेनर डिपो से अधिक माल भी भेजा जा सकेगा। इंदौर-पीथमपुर कारिडोर को विकसित करने के मसौदे को मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में पीथमपुर में बनने वाला मल्टी माडल लाजिस्टिक पार्क से इस कारिडोर के माध्यम से उद्योग व व्यापार को गति मिलेगी। वर्तमान समय में पीथमपुर के पास टीही में बने रेल कंटेनर डिपो से रेल मार्ग के माध्यम से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक माल भेजा जाता है।

हालांकि, अभी सिर्फ 20 फीसद ही माल रेल मार्ग से भेजा जा रहा है। दावा है कि पीथमपुर में लाजिस्टिक पार्क बनने के बाद अगले 10 साल में रेल कंटेनर के माध्यम से 70 फीसद माल परिवहन होगा। इससे समय के साथ खर्च में भी बचत होगी। अभी टीही से जहां रेल कंटेनर से पेरिशेबल गुड्स नहीं भेजे जा रहे हैं, लेकिन लाजिस्टिक पार्क में बनने वाले कोल्ड स्टोरेज से इस तरह के उत्पादों को भी रेल मार्ग से भेजा जा सकेगा।

गौरतलब है कि पीथमपुर में बनने वाले लाजिस्टिक पार्क भारतमाला परियोजना के तहत प्रथम चरण में देश में बनाए जाने वाले 35 लाजिस्टिक पार्क में शामिल है। करीब 255.17 एकड़ में बनने वाले मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण अब तीन सरकारी कम्पनियां मिलकर कर रही है। इसके लिए इंदौर एमएमएलपी प्रा.लि.के नाम से जॉइंट वेंचर कम्पनी का गठन किया गया है। जिसमें नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट नई दिल्ली के साथ मप्र इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट कार्पोरेशन लि और रेल विकास निगम लि. की हिस्सेदारी रहेगी।

इसमें सबसे बड़ी शेयर होल्डिंग नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक की 50.84 प्रतिशत, तो एमपीआईडीसी की 27 और आरवीएनएल की 22.16 प्रतिशत रहेगी। डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर यानी डीबीएफओटी मॉडल के तहत इसे तैयार किया जाएगा। दो साल पहले एमपीआईडीसी और एनएचएलएमएस के बीच इस पार्क को लेकर एग्रीमेंट हुआ था, जिसके चलते जमीन अधिग्रहण की जिम्मेदारी एमपीआईडीसी को सौंपी गई।

इस लॉजिस्टिक पार्क में जहां विशाल कंटेनर डिपो बनेगा, वहीं कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, आयरन-स्टील यार्ड, ग्रेन स्टोरेज के साथ ही एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट के अत्याधुनिक ऑफिस तैयार किए जाएंगे। अब तीन सरकारी कम्पनियों की साझेदारी में जो जॉइंट वेंचर यानी जेवी तैयार की गई है उसके जरिए लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण और उसके बाद संचालन किया जाएगा। इससे कंटेनरों की आवाजाही में भी कई गुना वृद्धि हो सकेगी।

150 एकड़ के लॉजिस्टिक पार्क के पास 80 मीटर चौड़ी सडक़, 10 किलोमीटर का रेलवे ट्रैक बनेगा। मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क इंदौर से बेटमा के बीच आ रहा है, जो पीथमपुर के सेक्टर-7 के साथ इंदौर-अहमदाबाद नेशनल हाईवे से भी जुड़ा रहेगा। टीही स्टेशन से 10 किलोमीटर का रेलवे ट्रैक भी इस पार्क तक बनेगा, जिससे सडक़ मार्ग के अलावा रेल कनेक्टीविटी भी रहेगी। वहीं इस पार्क के आसपास मोहना पार्क, बिजेपुर पार्क सहित कन्फेक्शनरी क्लस्टर, जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क सहित अन्य गतिविधियां भी आ रही है। इस पार्क की आधारशिला भी रखी जा चुकी है।

पीथमपुर में बन रहे मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क ने पकड़ी रफ्तार पार्क के माध्यम से उद्योग व व्यापार को गति मिलेगी

800 करोड़ की लगेगी लागत:

लॉजिस्टिक पार्क को विकसित करने में लगभग 800 करोड़ खर्च होंगे। पीथमपुर चूंकि देश के बीच में स्थित है, जिसके चलते यह लॉजिस्टिक पार्क चारों दिशाओं में माल भेजने के लिए लाभदायक साबित होगा। वहीं माल ढुलाई की लागत भी घट जाएगी। एक अनुमान है कि परिवहन लागत में 20 फीसदी की कमी आएगी। इंदौर और आसपास के क्षेत्रों से थोक भंडारण खाद्यान्नों और तरल कार्गो की पूर्ति के लिए साइलो बनाने का भी प्रावधान रखा गया है।

पहले चरण में ही पीथमपुर से कंटेनर ट्रेन सेवा इस पार्क के जरिए शुरू कर दी जाएगी। इसमें जामोदी, खेड़ा, अकोलिया, सागोर गांव की ही अधिक जमीन शामिल की गई है। डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, आपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी ) माडल के तहत इसका निर्माण होना है। इसे तैयार करने वाली एजेंसी 45 साल तक इसका संचालन करेगी। अधिगृहण की जिम्मेदारी दी गई। एमपीआइडीसी के अफसरों के मुताबिक, अगले एक माह तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी जाएगी।

वहीं, एनएचएलएमएस टेंडर जारी कर एजेंसी फाइनल कर निर्माण संबंधित प्रक्रिया को देखेगा। टीही में मौजूद रेल कंटेनर डिपो से करीब 14 किलोमीटर दूर इसका निर्माण होना है। ऐसे में लाजिस्टिक पार्क में भी कंटेनर डिपो का निर्माण होगा। यहां पर फोरलेन का सड़क मार्ग भी तैयार किया जाएगा। लाजिस्टिक पार्क बनने से फूड प्रोसेसिंग, सब्जियां, पेरिशेबल गुड्स, अनाज, पैकेजिंग, रॉ मटेरियल के व्यापार को गति मिलेगी।

पीथमपुर से मुंबई पोर्ट की दूरी होगी कम:

इस मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अभी रोड मार्ग के जरिए ही ज्यादा लॉजिस्टिक व्यापार होता है। इससे फायदा यह भी होगा कि करीब 40 किलोमीटर पीथमपुर से मुंबई पोर्ट की दूरी भी घट जाएगी। पिछले दिनों केन्द्र ने अपना अंशदान भी जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य शासन को भेज दिया था।

मल्टी माडल लाजिस्टिक पार्क एक नजर:

  • कुल लागत – 758.10 करोड़
  • भूमि – 255 एकड़ पीथमपुर में
  • निर्माण अवधि – दो साल व 45 साल तक संचालन का जिम्मा
  • कैचमेंट एरिया – 150 किलोमीटर
  • माल परिवहन पीथमपुर से वर्तमान स्थिति
  • 20 फीसद रेल कंटेनर मार्ग
  • 80 फीसद ट्रक के माध्यम से सड़क मार्ग
  • पार्क बनने 10 साल बाद की संभावित स्थिति
  • 70 फीसद रेल कंटेनर मार्ग
  • 30 फीसद ट्रक के माध्यम से सड़क मार्ग

जिम्मेदार इनका कहना है।
लाजिस्टिक पार्क के लिए जमीन अधिगृहण की प्रकिया अंतिम चरण में है। अप्रैल तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके साथ नेशनल हाइवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा इसके निर्माण के संबंध में एजेंसी तय करने संबंधित प्रक्रिया भी की जा रही है।
रोहन सक्सेना, कार्यकारी निदेशक एमपीआईडीसी

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