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प्रदेश में साढ़े छह लाख कर्मचारियों को प्रमोशन की बंधी उम्मीद, जानिए क्या है मामला

भोपाल। छह साल से प्रमोशन में आरक्षण के अदालत में चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला शुक्रवार को आ गया। इस फैसले से मध्यप्रदेश के साढ़े छह लाख कर्मचारी सीधे तौर पर जुड़े हैं जो छह साल से अधर में लटके हुए थे। प्रदेश के साढ़े छह लाख कर्मचारियों ने इस फैसले से राहत की सांस भी ली है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा- राज्य एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले मात्रात्मक डेटा एकत्र करें। हम इसके लिए अपनी तरफ से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। इससे पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें एससी/एसटी के प्रतिनिधित्व में कमी के आंकड़े एकत्र करने के लिए बाध्य हैं।

आंकड़े जुटाना जरूरी

कोर्ट ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रतिनिधित्व का एक तय अवधि में मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इसकी अवधि क्या होगी, इसे केंद्र सरकार तय करे। केंद्र/राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में स्पष्टता पर 24 फरवरी से सुनवाई शुरू होगी।

50 फीसदी तक की सीमा रहेगी

कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हुआ है कि रिजर्वेशन को कम नहीं किया जाएगा। मगर इसे 50 फीसदी तक की सीमा में ही रखा जाना है। हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट के विस्तृत फैसले का इंतजार किया जा रहा है।

एक लाख बिना प्रमोशन के रिटायर

2016 से सरकारी कार्यालयों में प्रमोशन का सिलसिला रुका हुआ है क्योंकि यह अदालत में पहुंच गया था। जो अधिकारी कर्मचारी डीपीसी होने के आधार पर कोर्ट चले गए और वहां से आदेश ले आए, केवल उन्हीं अधिकारी-कर्मचारियों को इस बीच प्रमोशन मिला। कर्मचारी नेताओं का दावा है कि 2016 से लेकर अभी तक करीब एक लाख अधिकारी और कर्मचारी बिना प्रमोशन के लिए ही रिटायर हो चुके हैं।

मप्र में दी गई तदर्थ पदोन्नति

मध्यप्रदेश में प्रमोशन को लेकर अदालत में मामला चलने की वजह से पदोन्नति समितियों की बैठकें नहीं हो रही थीं और अन्य प्रक्रियाएं थम गई थीं, जिससे कुछ विभागों में तदर्थ पदोन्नति भी दी गईं। पुलिस में कई पदों पर कार्यवाहक पदोन्नति दी गई मगर अधिकांश विभागों में प्रमोशन की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मप्र में कर्मचारी वर्ग

  • सरकारी कर्मचारी: 554991
  • सार्वजनिक उपक्रम के कर्मचारी: 47028
  • नगरीय निकाय कर्मचारी: 34957
    (मप्र आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय- 2021 की स्थिति)
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