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अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ: 47 साल बाद दुर्लभ संयोग, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज करवा चौथ है। अखंड सुहाग के लिए महिलाएं सुबह से व्रत रखेंगी। रात में चांद की पूजा करने के बाद ये व्रत पूरा हो जाएगा। खास बात ये है कि इस साल गुरु ग्रह खुद की राशि में है और ये व्रत गुरुवार को ही है। ये शुभ संयोग 1975 के बाद बना है। आइये जानते हैं इसके बारे में वो जानकारी जो आपके लिए है खास।

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आज चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में रहेगा। करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र में मौजूद चंद्रमा की पूजा करना शुभ संयोग है। विद्वानों का कहना है कि सूर्य-चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते। पृथ्वी के घूमने की वजह से बस दिखाई नहीं देते। देश के कई हिस्सों में भौगोलिक स्थिति या मौसम की खराबी के चलते चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में ज्योतिषीय गणना की मदद से चांद के दिखने का समय निकाला जाता है। उस हिसाब से पूर्व-उत्तर दिशा में पूजा कर के अर्घ्य देना चाहिए। इससे दोष नहीं लगता।

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पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्रि ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे। वहीं दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।

चंद्रमा औषधियों का स्वामी है। चांद की रोशनी से अमृत मिलता है। इसका असर संवेदनाओं और भावनाओं पर पड़ता है। पुराणों के मुताबिक चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का भी प्रतीक है। इसलिए सुहागनें पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना से चंद्रमा की पूजा करती हैं।

करवा चौथ पूजा की सामग्री

करवा चौथ की पूजा में टोंटीवाला करवा और ढक्कन होना जरूरी है। करवा को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। वहीं उसकी टोंटी को उनकी सूंड मानी जाती है। करवा में जल भरकर उससे चांद को अर्घ्य दिया जाता है।
कांस की सींक को करवे की टोंटी में डालते हैं।
पूजा में कलश का होना जरूरी होता है। इसके अलावा 16 श्रृंगार की सामग्री जैसे चूड़ी, साड़ी, बिंदी, महावर, मेहंदी, चुनरी, बिछिया, नेल पॉलिश, काजल जैसी चीजें रखें।
पूजा की थाली में पान, फूल, चंदन, अगरबत्ती, धूप, दीप, मौली, अक्षत, नारियल, हल्दी, चावल, मिठाई, रोली, कच्चा दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, कपूर, गेहूं, बाती, लकड़ी का आसन, छलनी, मीठा, पूरी वगैरह रखें।
करवा माता की फोटो जरूर रखें और उनके सामने कथा को पढ़ें।

करवा चौथ की पूजा विधि

सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। इसके बाद करवा माता की फोटो रखें और पूजा स्थल पर करवा रखें। इसके बाद प्रसाद अर्पित कर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। एक लोटा, वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। करवा में पानी भरकर उसमें सिक्का डालकर उसे लाल कपड़े से ढंकें। पूजा की थाली में श्रृंगार का सामान रखकर करवाचौथ की कथा सुनें या खुद पढ़ें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दें। सुहागिनों का ये पर्व द्वापर युग से चला आ रहा है। शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से ये व्रत करती हैं। आयुर्वेद के नजरिए से शरद ऋतु में आने वाले इस व्रत को करने से महिलाओं की सेहत भी अच्छी रहती है। सूर्योदय के साथ ही ये व्रत शुरू हो जाता है, जो शाम को चांद की पूजा के बाद खत्म होता है। इस बार करवा चौथ पर शुक्र अस्त रहेगा।

करवा चौथ व्रत का समय

इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर को रात 1 बजकर 59 मिनट से प्रारंभ होगी, जो 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। लिहाजा उदयातिथि के अनुसार इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्‍टूबर 2022 को रखा जाएगा।

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