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Jagnnath Puri Temple 10 Miracles: जानिए भगवान जगन्नाथ जी से जुड़े दस चमत्कार | क्यों लहराता है हवा के विपरीत ध्वज

Jagnnath Puri Temple 10 Miracles:

Jagnnath Puri Temple 10 Miracles: उडीसा के पुरी का श्री जगन्नाथ मन्दिर(JAGANNATH PURI TEMPLE)  हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) जी को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है।

भगवान श्री कृष्ण की नगरी जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव विश्वप्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा पर निकलते हैं। आईए जानते है इस मंदिर से जुड़े 10 चमत्कारिक रहस्य ।

jagnnath Puri Temple पहला चमत्कार :हवा के विपरीत लहराता ध्वज : श्री जगन्नाथ मंदिर (Jagnnath Puri Temple) के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्चित ही आश्चर्यजनक बात है। यह भी आश्चर्य है कि प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है। ध्वज भी इतना भव्य है कि जब यह लहराता है तो इसे सब देखते ही रह जाते हैं। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।

jagnnath Puri Temple दूसरा चमत्कार :- गुंबद की छाया नहीं बनती : यह दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है। हमारे पूर्वज कितने बड़े इंजीनियर रहे होंगे यह इस एक मंदिर के उदाहरण से समझा जा सकता है। पुरी के मंदिर का यह भव्य रूप 7वीं सदी में निर्मित किया गया।

jagnnath Puri Temple तीसरा चमत्कार :– चमत्कारिक सुदर्शन चक्र : पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है।

jagnnath Puri Temple चौथा चमत्कार :हवा की दिशा : सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है। अधिकतर समुद्री तटों पर आमतौर पर हवा समुद्र से जमीन की ओर आती है, लेकिन यहाँ हवा जमीन से समुद्र की ओर जाती है।

jagnnath Puri Temple पांचवां चमत्कार :- गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी : मंदिर के ऊपर गुंबद के आसपास अब तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान नहीं उड़ाया जा सकता। मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नजर नहीं आते, जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबदों पर पक्षी बैठ जाते हैं या आसपास उड़ते हुए नजर आते हैं।

jagnnath Puri Temple छठा चमत्कार :दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर : 500 रसोइए 300 सहयोगियों के साथ बनाते हैं भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद। लगभग 20 लाख भक्त कर सकते हैं यहाँ भोजन। कहा जाता है कि मंदिर में प्रसाद कुछ हजार लोगों के लिए ही क्यों न बनाया गया हो लेकिन इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है।

मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती। मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है। है न चमत्कार

jagnnath Puri Temple सातवां चमत्कार :समुद्र की ध्वनि : मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है। इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है, जहाँ पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी।

jagnnath Puri Temple आठवां चमत्कार :रूप बदलती मूर्ति : यहाँ श्रीकृष्ण को जगन्नाथ कहते हैं। जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। तीनों की ये मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं। यहाँ प्रत्येक 12 साल में एक बार होता है प्रतिमा का नव कलेवर। मूर्तियां नई जरूर बनाई जाती हैं लेकिन आकार और रूप वही रहता है। कहा जाता है कि उन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, केवल दर्शनार्थ रखी गई हैं।

jagnnath Puri Temple नौवां चमत्कार :विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा : आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं। यह रथयात्रा 5 किलोमीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही होती है। (रानी गुंडिचा भगवान जगन्नाथ के परम भक्त राजा इंद्रदयुम्न की पत्नी थी इसीलिए रानी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है।) अपनी मौसी के घर भगवान 8 दिन रहते हैं। आषाढ़ शुक्ल दशमी को वापसी की यात्रा होती है। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है। देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन है और भाई बलभद्र का रक्ष तल ध्वज है। पुरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू बुहारते हैं जिसे छेरा पैररन कहते हैं।

jagnnath Puri Temple दसवां चमत्कार :हनुमानजी करते हैं जगन्नाथ की समुद्र से रक्षा : माना जाता है कि 3 बार समुद्र ने जगन्नाथजी के मंदिर को तोड़ दिया था। कहते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ ने वीर मारुति (हनुमानजी) को यहाँ समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था।

कब जाना चाहिए जगन्नाथपुरी

jagnnath Puri Temple अक्टूबर से फरवरी यानी कि सर्दी का समय के दौरान जगन्नाथपुरी जाने का सबसे अच्छा समय है , यहाँ कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ती हैं जिसकी वजह से यहां पर में घूमने जाने का प्लान अधिक मात्रा में बनाते हैं। इस समय यहां पर काफी अधिक श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटक भी घूमने आते हैं, लेकिन एक बात है अगर आप जगन्नाथ पुरी को विजिट इसलिए कर रहे हैं कि वहां के पुरी नगरी में जाकर आप समुद्र तट पर स्नान कर सके तो यह थोड़ा आपके लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि इस समय ठंड का मौसम रहता है और पानी ठंडा रहता है ।

जगन्नाथपुरी में रथ यात्रा कब निकलती है

jagnnath Puri Temple उड़ीसा राज्य के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को एक भव्य महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस रथ यात्रा में शामिल होने लोग भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी काफी अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह रथ यात्रा भारत में मॉनसून के दौरान आयोजित होती हैं ,यह रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीना के द्वितीया तिथि से शुरू होकर एकादशी तक चलती है। इस रथयात्रा में कोई भी व्यक्ति शामिल होने जा सकता है।

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