मनाली। चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात भारतीय सेना को और सशक्त बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने योजक परियोजना लांच किया है। इस परियोजना की शुरूआत अटल टनल रोहतांग के साथ हो चुकी है। इसका उद्देश्य लद्दाख को हिमाचल प्रदेश से साथ साल भर जोड़े रखना है। इस मुश्किल काम को करने के लिए बीआरओ को बर्फ से लकदक ऊंचे पहाड़ी दर्रों को झुकाना पड़ेगा। अटल टनल की ही तरह योजनाबद्ध तरीके से कई सुरंग का जाल बिछाकर योजक परियोजना इस मुश्किल काम को संभव करेगी। इस कड़ी में योजक परियोजना का पहला लक्ष्य है शिंकुला दर्रे के नीचे सुरंग बना कर लद्दाख की जांस्कर घाटी को सालभर हिमाचल से जोड़े रखना। शिंकुला सुरंग की डीपी सर्दी खत्म होने से पहले बनने की उम्मीद है। इसके तुरंत बाद सुरंग का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
सुरंग बनाने में काम आएगा अटल टनल का अनुभव
सुरंग बनाने में बीआरओ की योजक परियोजना के इंजीनियर अटल टनल के अपने अनुभव का इस्तेमाल कर पाएंगे। शिंकुला सुरंग बनने से न सिर्फ जांस्कर घाटी के हजारों लोगों की जिंदगी सुगम हो जाएगी, बल्कि भारतीय सेना के पास चीन और पाकिस्तान की सीमा तक पहुंचने का एक और वैकल्पिक मार्ग भी तैयार हो जाएगा। हालांकि, दर्जनों एवलांच प्वाइंट, कई फीट बर्फ, सड़क की परत के साथ इंसान का खून जमा देने वाली ठंड हमेशा चुनौती बनी रहेगी।
बीआरओ ने बनाई 19 हजार फीट की ऊंचाई पर सड़क
सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों की मानें तो उसने हाल ही में लद्दाख में लग्ला दर्रे के नजदीक 19,024 फीट ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने लायक सड़क का निर्माण किया है। 52 किलोमीटर लंबी यह सड़क चिसुमले से डेमचोक तक जाती है और इसी दर्रे से होकर गुजरती है। बीआरओ का लक्ष्य है हर मौसम में इस्तेमाल लायक सड़कें उपलब्ध करवाने के मिशन में और कई दर्रे और मार्ग का निर्माण करना है।
बीआरओ की योजक परियोजना के चीफ इंजीनियर जितेंद्र प्रसाद ने कहा कि दर्रों में सुरंगों का निर्माण करने के लिए योजक का गठन किया गया है। शिंकुला सहित मनाली-लेह मार्ग पर बनने वाली सुरंगों के निर्माण का जिम्मा बीआरओ की योजक परियोजना का ही होगा।