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मप्र में 15-18 साल के बच्चों को स्कूल में ही लगेंगे कोरोना के टीके

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने तय किया है कि 15-18 साल के बच्चों को स्कूल में ही कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए 3 जनवरी से स्कूलों में कैम्प लगाए जाएंगे। शिक्षा विभाग इसकी तैयारी कर रहा है। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने यह जानकारी दी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 15 से 18 वर्ष के 49.27 लाख बच्चे हैं, जिन्हें टीका लगाया जाना है। दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 3 जनवरी से 15-18 साल आयु वर्ग के बच्चों को टीके लगाने का फैसला किया है। इस समय देश में बच्चों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और जायडस कैडिला की जायकोव-डी वैक्सीन को ही मंजूरी मिली है। शुरुआत में बच्चों को सिर्फ कोवाक्सिन ही लगाई जानी है। बच्चों के टीकों के लिए रजिस्ट्रेशन 1 या 2 जनवरी से कोविन ऐप पर शुरू होगा। उन्हें 3 जनवरी से टीके लगेंगे।

5 जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें देने की घोषणा

मध्यप्रदेश में कोरोना और नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के संकट के बीच दो हफ्ते पहले केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने प्रदेश को कोरोना के हर वेरिएंट से लड़ने के लिए 5 जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें देने की घोषणा की थी। ये मशीनें इंदौर, भोपाल, जबलपुर रीवा और ग्वालियर में लगाने की बात हुई थी। मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की मुलाकात में यह सब तय हुआ था, लेकिन ये मशीनें अभी प्रदेश में आई नहीं हैं। अब जबकि इंदौर में विदेश से लौटे 9 लोगों में नया वेरिएंट ओमिक्रॉन मिला है ऐसे में प्रदेश के चार बड़े शहरों से ही पिछले दो माह में 232 सैंपल की रिपोर्ट पेंडिंग हैं। मप्र से 259 सैंपल भेजे गए थे, जिनमें से 27 की रिपोर्ट ही मिली है, जिसमें 9 में ओमिक्रॉन मिला है। ऐसे में सवाल है कि ओमिक्रॉन के संक्रमण को सरकार कैसे रोकेंगी।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि लैब में सैंपल ज्यादा होने से पेंडेंसी हो सकती है। इससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि कोरोना संक्रमित के सभी वेरिएंट के लिए आइसोलेशन और इलाज की एक ही तय गाइडलाइन है। संक्रमित होने पर प्रोटोकॉल का पालन करते हुए खुद को आइसोलेट कर लें।

यह है जीनोम सीक्वेंसिंग की स्थिति

  • 170 सैंपल इंदौर से भेजे गए। 26 की रिपोर्ट मिली
  • 64 सैंपल भोपाल से भेजे गए। रिपोर्ट अभी पेंडिंग
  • 17 सैंपल जबलपुर से भेजे गए। रिपोर्ट नहीं मिली
  • 8 सैंपल ग्वालियर से भेजे गए। रिपोर्ट पेंडिंग

भेज रहे सभी सैंपल

मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कुल कोरोना केस में से 5 फीसदी के सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजें। हम तो सभी पॉजिटिव की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेज रहे हैं।

नए साल में आएगी मशीन

मप्र के चिकित्सा शिक्षा ने उम्मीद जताई है कि जनवरी के पहले सप्ताह तक हमें जीनोम सिक्वेंसिंग की मशीन मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि पैनिक होने की जरूरत नहीं है। हम सभी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं। प्रदेश में जिनकी भी जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजे गए हैं। उनकी रिपोर्ट जैसे-जैसे आ रही है, उसकी जानकारी दी जा रही है।

ओमिक्रॉन संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की जांच

इंदौर में स्वास्थ्य विभाग ने नौ ओमिक्रॉन संक्रमितों के संपर्क में आए कुल 164 लोगों के नमूने कोविड-19 की जांच के लिए भेजे हैं। अगर 164 लोगों में से कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाता है, तो हम उसका नमूना दिल्ली के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) भेजकर इसकी जीनोम सीक्वेंसिंग कराएंगे ताकि पता चल सके कि वह कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप से संक्रमित है या नहीं। –डॉ. बीएस सैत्या, सीएमएचओ, इंदौर

31 जिलों में एक भी एक्टिव केस नही

हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक 24 घंटों में मध्यप्रदेश के 6 जिलों में नए केस मिले हैं। इसके अलावा किसी भी जिले में कोई नया केस सामने नहीं आया है। राहत की बात यह है कि 31 जिलों में एक भी एक्टिव केस नहीं है।

वैक्सीनेशन स्टेटस

मध्यप्रदेश में कोविड-19 वैक्सीन का पहला डोज 5.20 करोड़ और दूसरा डोज 4.92 करोड़ नागरिकों को लगाया जा चुका है। अब तक कुल 10.13 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं।

राधास्वामी कोविड सेंटर फिर शुरू करने की तैयारी

कोरोना संक्रमण के केस बढ़ने की आशंका के मद्देनजर इंदौर प्रशासन खंडवा रोड पर राधास्वामी कोविड केयर सेंटर को फिर शुरू करने की तैयारी कर रहा है। अभी यहां 100 बेड का अस्थायी सेंटर था, जिसमें किसी मरीज को भर्ती नहीं कर रहे थे। अब 700 बेड का विस्तारित सेंटर बना रहे हैं, जिसे 30 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है

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