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2028 में शिप्रा के जल से ही होगा सिंहस्थ का स्नान, जानें किसने लिया संकल्प

2028 में शिप्रा के जल से ही होगा सिंहस्थ का स्नान

उज्जैन। शिप्रा नदी के जल से स्नान करवाने के लिए साधु संत और पर्यावरण संरक्षण समिति के द्वारा संयोजक डॉ विमल गर्ग के मार्गदर्शन में एक बैठक का आयोजन किया गया आने वाले कुछ सालो मे सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होना है और सिंहस्थ में शिप्रा नदी में स्नान का विशेष महत्व है साधु संतों और महापर्व में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को जल से स्नान करवाने के लिए 5000 से अधिक लोग 195 किलोमीटर की शिप्रा परिक्रमा रैली के रूप में करेंगे।

बतादे कि 12 साल में एक बार लगने वाला सिंहस्थ महापर्व 2028 में लगेगा सिंहस्थ के दौरान शिप्रा नदी में साधु संत और श्रद्धालु लाखों की संख्या में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। शिप्रा नदी का जल आज की स्थिति में स्नान योग्य और आचमन योग्य नहीं है। इसी को लेकर साधु-संतों और पर्यावरण संरक्षण समिति ने एक बैठक का आयोजन किया

जिसमें 2028 में सिंहस्थ के दौरान नर्मदा के पानी से भक्तों को स्नान ना करवाया जाने पर चर्चा की। सिहस्थ का महत्व शिप्रा का है तो शिप्रा के जल से ही सिहस्थ में आने वाले साधु-संतों को स्नान करवाया जाए इसको लेकर पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा चार धाम मंदिर में साधु संतों के मार्गदर्शन में संयोजक डॉ विमल गर्ग ने चर्चा की।

195 किलोमीटर की शिप्रा परिक्रमा रैली करेंगे

जिसमें शहर के गणमान्य नागरिकों को भी बुलाया गया था आने वाले समय में एक बड़े आयोजन की तैयारी की जा रही है जिसमें 5000 से अधिक लोग 195 किलोमीटर की शिप्रा परिक्रमा रैली के रूप में करेंगे इस योजना को बनाने के लिए यह बैठक रखी गई थी जिस तरह नमामि देवी नर्मदे योजना बनाई गई है

उसी प्रकार शिप्रा नमामि देवी योजना बनाने की तैयारी की जा रही है शिप्रा को प्रवाह मान बनाने के लिए समिति हर तरह के प्रयास करेगी। डॉ विमल गर्ग का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 2016 में भी नर्मदा के जल से श्रद्धालुओं को और साधु-संतों को स्नान करवाया गया था और उसी समय संकल्प मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिया था कि 2028 में शिप्रा के जल से ही सिंहस्थ का स्नान करवाया जाएगा

उसी संकल्प को पूरा करने के लिए हमारी समिति काम कर रही है बैठक में उपस्थित प्राधिकरण अध्यक्ष माखन सिंह जी महामंडलेश्वर अवधेश पुरी जी महाराज महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद जी महाराज और शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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