Nari Shakti Vandan Act: संसद में महिला आरक्षण बिल(Bill) पहले भी पेश हुआ है। एक-दो या तीन बार नहीं, बल्किन पिछले 27 साल में आठ बार बिल(Bill) पेश किया गया है। हर बार अगल-अलग कारणों से बिल पास नहीं हो सका। मोदी सरकार में अब बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिली है। यह बिल 28 वर्षों में कभी राज्यसभा में रिजेक्ट तो कभी लोकसभा में विरोध के कारण पास नहीं हो पाया।
1996 में पहली बार महिला आरक्षण बिल(Bill) पेश हुआ था। बिल पर 2010 में आखिरी बार चर्चा हुई थी। बता दें देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को बिल पहली बार पेश किया था। संविधान के 81वें संशोधन विधेयक के रूप में बिल को संसद में पेश किया गया था। देवगौड़ा सरकार के अल्पमत में आने से 11वीं लोकसभा भंग हो गई और बिल लटक गया।
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Toggleअटल वाजपेयी सरकार में भी पेश हुआ था बिल(Bill)
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 26 जून 1998 को 12वीं लोकसभा में बिल(Bill) पेश किया था। इसे 84वें संशोधन विधेयक बनाकर पेश किया था, लेकिन विरोध से पास नहीं हुआ। वाजपेयी सरकार अल्पमत में आई और 12वीं लोकसभा भंग होने पर बिल लटक गया। 1999 में 13वीं लोकसभा में NDA सरकार ने 22 नवंबर को बिल पेश किया, लेकिन सहमति नहीं बनने से लटक गया। भाजपा नेतृत्व में NDA सरकार ने 2002 और 2003 में बिल पेश किया, लेकिन पारित नहीं हो सका। जबकि, कांग्रेस और वामदल समर्थन में थे।
सपा, जदयू और राजद ने किया था विरोध
UPA सरकार ने बिल(Bill) पास कराने की इच्छा जताई थी। 6 मई 2008 को राज्यसभा में बिल पेश हुआ, लेकिन पास नहीं कराया जा सका। इसे संसद की स्थायी समिति के पास चर्चा के लिए भेजा गया। 17 दिसंबर 2009 को संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट पेश की थी। इसका सपा, जदयू और RJD ने विरोध किया था। फिर भी बिल दोनों सदनों में पेश किया गया था, लेकिन पास नहीं हो पाया। फिर 2010 में बिल को पास कराने की कोशिश की गई।
22 फरवरी 2010 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने संसदीय अभिभाषण में इसे पास कराने की प्रतिबद्धता जताई और 8 मार्च 2010 को राज्यसभा में बिल आया। इस पर राजद ने UPA से समर्थन वापस लेने की धमकी दी। कांग्रेस ने 9 मार्च 2010 को भाजपा, जदयू और वामपंथी दलों के सहयोग से राज्यसभा में बिल बहुमत से पारित करा लिया, लेकिन लोकसभा में विधेयक पास नहीं करा पाई।
बिल(Bill) से ये होंगे फायदे
यह बिल(Bill) 15 साल के लिए लागू कराया जाना है। इसका लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें आरक्षित करना है। बिल में 33 प्रतिशत कोटे में भी SCST, एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण के लिए सुझाव दिया गया है। हर बार आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किए जाने का प्रावधान होगा पर बिल में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है। इस वजह से विपक्षी दल बिल का विरोध जता रहे हैं।
बिल(Bill) की आखिर जरूरत क्यों?
महिला आरक्षण बिल(Bill) पास हो जाने पर पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभाओं, विधान परिषदों और संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों और देश की सियासत में भी महिलाओं की भागेदारी बढ़ जाएगी। वर्तमान में लोकसभा में 78 महिलाएं हैं, जो कुल संख्या 543 का सिर्फ 15 प्रतिशत है। राज्यसभा में 32 महिला संसद हैं, जो 238 संसदों का सिर्फ 11 प्रतिशत हैं। बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 प्रतिशत ही महिला विधायक थीं।