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अग्निपथ योजना में क्यों पूछी जा रही जाती ?

अग्रिपथ स्कीम पर विवाद अभी थमा नहीं है। संसद में शोर सुनाई दे रहा है, उधर विरोध में आई याचिकाओं पर अब दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई करेगा। इस बीच, सेना भर्ती में जाति प्रमाण पत्र का नया मामला गरमा गया है।

दरअसल, विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। आज आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने हिंदी में जब से ट्वीट किया है, सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। विवाद बढ़ता देख सरकार और भाजपा ने अपने स्तर पर स्पष्टीकरण दिया। सेना का बयान भी आ गया। हालांकि Caste Certificate और Religion Certificate को लाल रंग का निशान लगाता हुआ स्क्रीनशॉट तेजी से शेयर किया जा रहा है। खुद भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

भाजपा के ही सांसद वरुण गांधी ने कास्ट और रिलिजन सर्टिफिकेट मांगे जाने का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है, पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।

बता दे इस मामले में सफाई देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि हकीकत ये है कि भारतीय सेना किसी भी कीमत पर धर्म या जाति के आधार पर भर्ती नहीं करती है। जाति और धर्म से कहीं ऊपर हिंदुस्तान की सेना है। फिर भी ये कॉलम क्यों हैं? इसका उत्तर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के पटल पर मिला। एक व्यक्ति ने पीआईएल दाखिल किया था कि जाति और धर्म के कॉलम सेना की भर्ती में क्यों होते हैं। उसी साल एफिडेविट पेश कर भारतीय सेना ने स्पष्ट किया था कि इसमें धर्म और जाति का कोई रोल नहीं है पर यह एक प्रशासनिक और ऑपरेटिव जरूरत है। अग्रिपथ योजना में ‘जाति ऐंगल’ पर भड़के विवाद के बीच सेना का बयान भी आ गया है। भारतीय सेना की ओर से जानकारी दी गई है कि पहले भी सेना की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जाता था। ऐसे में अग्निवीर योजना के लिए अगर जाति प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं तो इसमें कुछ भी नया नहीं है।

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