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मौसम की मार: गेहूं पर मंडराया खतरा, फरवरी में ही ज्यादा गर्मी पड़ने से दाना छोटा रहने की आशंका, किसानों की बढ़ी चिंता

फरवरी में हम जो गर्मी झेल रहे हैं, वह कोई सामान्य बात नहीं है। फरवरी में ही भीषण गर्मी के चलते इस बार गेहूं के दाने समय से पहले पकने की आशंका है। इसके चलते गेहूं का दाना छोटा रह सकता है। इससे इस बार प्रति हेक्टेयर पैदावार कम होने का अनुमान है। गेहूं की उपज कम होने महंगाई भी बढ़ेगी।


इंदौर\भोपाल\ सीहोर। लू के कारण पिछले साल देश में गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी। इस कारण देश में गेहूं की कीमत में रेकॉर्ड इजाफा हुआ था। बढ़ती कीमतों पर काबू करने के लिए सरकार को गेहूं के निर्यात पर रोक लगानी पड़ी थी। देश में एक बार फिर समय से पहले गर्मी बढ़ने लगी है। इसके चलते फसल को बचाने के लिए किसान ज्यादा सतर्क हैं। अभी फरवरी का महीना चल रहा है और देश के कई इलाकों में गर्मी बढ़ने लगी है। इसमें मध्यप्रदेश सहित वे इलाके शामिल हैं जहां गेहूं की फसल सबसे ज्यादा होती है। मौसम विभाग ने भी चेतावनी दी है कि ज्यादा तापमान से फसल को नुकसान हो सकता है।
गेहूं उपजाने वाले प्रमुख राज्यों में सूखे जैसे हालात हैं। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में फरवरी में 99-100% कम बारिश दर्ज की गई। गेहूं की फसल के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है।

सीहोर के शरबती की चमक पर होगा असर
मध्यप्रदेश का सीहोर जिला अपने शरबती गेहूं के चलते पूरे देश में मशहूर है. अच्छी-खासी डिमांड के बाद भी इसकी खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका सता रही है। गर्मी ज्यादा पड़ने से इस फसल की उपज के साथ इसकी चमक और क्वालिटी पर भी असर पड़ सकता है। फरवरी में ही भीषण गर्मी के चलते इस बार गेहूं के दाने समय से पहले पक सकते हैं। इसके चलते इसका दाना छोटा रह सकता है।

तापमान और बढ़ने की आशंका
मप्र कृषि एवं मौसम केंद्र के तकनीकी अधिकारी डॉ एसएस तोमर ने बताया कि आगामी तीन दिनों तक हवा की गति पश्चिम से रहेगी। इसकी वजह से तापमान में बढ़ोतरी होगी। इससे गेहूं के जल्दी पकने की स्थिति बनेगी। जल्दी पकने के चलते प्रोटीन का परसेंटेज कम रहेगा और दाने का वजन भी कम होगा। इससे पैदावार में 25 से 30% तक का नुकसान हो सकता है।

खेतों में नमी बनाए रखने की चुनौती
मप्र कृषि एवं मौसम विशेषज्ञ डॉ एसएस तोमर ने किसानों से निर्देश देते हुए कहा कि जो फसल देरी से बोई गई है, उस खेत में नमी बनाएं रखें। उनके मुताबिक अभी तक फसल बहुत अच्छी चल रही थी। 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना थी, लेकिन आगामी दिनों में तापमान तेजी से बढ़ता है तो औसत उत्पादन ही हो सकेगा।

मर रहे फसलों के लिए फायदेमंद कीड़े
वैज्ञानिकों के मुताबिक बढ़ती गर्मी के कारण फसलों के लिए फायदेमंद तितली, मधुमक्खी जैसी प्रजातियां भी मरने लगी हैं। वहीं, फसल के लिए नुकसानदायक कीड़ों की संख्या बढ़ने लगी है। ये कीड़े फसल को पूरी तरह से चट कर जाते हैं। इससे फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट
देश की फूड सिक्योरिटी में गेहूं की अहम भूमिका है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर ज्यादा दिन तक गर्मी का असर रहता है तो इससे लगातार दूसरे साल देश में गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है। इससे खाने-पीने की चीजों की मंहगाई कम करने के सरकार के प्रयासों को झटका लग सकता है। साथ ही सरकार को गेहूं के निर्यात पर पाबंदी जारी रह रखनी पड़ सकती है। इससे दुनियाभर में गेहूं का मार्केट टाइट रह सकता है।

अन्य फसलों पर भी असर
वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़े हुए टेंपरेचर की वजह से सरसों की उन फसलों को थोड़ा लाभ होगा जो पहले बोई गई थीं। वहीं, जिन किसानों ने बाद में सरसों की फसल बोई है उनके लिए यह काफी नुकसानदायक साबित होगा। मटर और जौ की फसल पर भी काफी असर पड़ेगा।

मार्च में ही झेलना पड़ सकती है लू
भारत मौसम विज्ञान विभाग के सीनियर साइंटिस्ट आरके जेनामणि बताते हैं कि अगले कुछ दिन ऐसा ही मौसम रहेगा। गर्मी का प्रकोप इतना तगड़ा दिख रहा है कि मार्च में ही लू झेलना पड़ सकती है। प्री-मॉनसून सीजन मार्च से शुरू हो जाता है। निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के अनुसार, इस बार गर्मी जल्‍द शुरू हुई है। मार्च का महीना भी खासा गर्म रहने वाला है। ऊपर से बारिश का कहीं नामोनिशान तक नहीं है।

ठंड के मौसम में बारिश हुई ही नहीं
1 फरवरी से 23 फरवरी के बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग का बारिश वाला डेटा दिखाता है कि पूर्व और पश्चिमी मध्यप्रदेश, ईस्ट और वेस्ट यूपी, बिहार, राजस्थान, में बारिश हुई ही नहीं। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्‍ली में औसत से 99% कम बारिश दर्ज की गई। आमतौर पर उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में ठीकठाक बारिश होती है।

मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति

मौसम विभाग ने फरवरी में असामान्य रूप से गर्म मौसम के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति प्राथमिक कारण है।

पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करें
अगर दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस या रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से अधिक जाता है तो किसानों को फसल पर पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करना चाहिए।

-ज्ञानेंद्र सिंह, प्रमुख, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एंड बार्ली रिसर्च

-19 % तेजी आई है गेहूं की एवरेज रिटेल कीमत में पिछले साल के मुकाबले
-20 % बढ़ी है आटे की कीमत पिछले साल के मुकाबले
-25 से 30% तक का नुकसान हो सकता है गर्मी बढ़ने से गेहूं
की पैदावार में

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