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यूक्रेन की जमीन पर जंग, अस्पतालों की बेसमेंट में जिंदगी

रूस और यूक्रेन की जंग में चारो तरफ लोगों की चीखपुकार और मदद की गुहार और लड़ाकू जहाजों की गर्जना सुनाई दे रही है। और इन्ही चीख पुकारों में सुनाई दे रही है जिंदगी की आस आँखों में लिए नन्हें बच्चों की किलकारियाँ। तबाही और दहशत के बीच बंकरों से आती नवजात बच्चों की किलकारी पूरी मानव सभ्यता के लिए एक सन्देश है।

यूक्रेन में जंग के माहौल को देखते हुए अस्पतालों की बेसमेंट में अस्थायी वार्ड बनाये गए। ताकि वे मासूम बच्चे जिन्हें अभी तक अपनी ऑंखें भी ठीक से नहीं खोली उन्हें जंग की यह भयानक तस्वीर न दिख जाए। और वे अपनी माँ की गोद में सुरक्षित रहें।

पिछले सात दिनों में इस भयानक जंगी तबाही के बीच 100 से अधिक बच्चों ने एक नयी उम्मीद लेकर यूक्रेन की धरती पर जन्म लिया। यूक्रेन के मारियुपोल शहर ही नहीं बल्कि खार्किव जैसे कई शहरों में अस्पतालों के बेसमेंट में बच्चों के जैम हुआ। यूक्रेन के अस्पतालों में भले ही उपकरणों की कमी है लेकिन उम्मीद की कमी नहीं। किसी को पता नहीं कि रूस का अगला मिसाइल कहाँ गिरेगा ? और उसका नतीजा क्या होगा ? बस हर कोई संघर्ष कर रहा है उस नन्ही जान को बचाने के लिए जिनके हाथों में यूक्रेन का भविष्य है।

रूस की बमबारी से बचने के लिए यूक्रेन की गर्भवती महिलाओं ने बेसमेंट में बने मैटरनिटी सेंटर में शरण ली है। एक रिपोर्ट के अनुसार जब से युद्ध शुरू हुआ है तब से अब तक 100 से अधिक बच्चे जन्म ले चुके हैं। जमीन पर भले ही तबाही का मंजर हो और अपने अस्तित्व की लड़ाई चल रही हो लेकिन यूक्रेन के अस्पतालों के बेसमेंट में अभी भी इंसानियत उम्मीद के साथ जन्म ले रही है।

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