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देखिए क्या है मध्यप्रदेश की कास्ट पॉलिटिक्स

देखिए क्या है मध्यप्रदेश की कास्ट पॉलिटिक्स

मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक दलों के साथ जातिगत राजनीति भी साफ तौर से देखने को मिल रही है। अमूमन जातिगत राजनीति का उदाहरण उत्तर प्रदेश मैं देखने को मिलता था। लेकिन अब इसका असर मध्यप्रदेश में भी देखने को मिलने लगा है। अलग-अलग जाति के लोग सम्मेलन या फिर बैठक करके बड़े दलों से टिकट मांगने की गुहार में लगे हुए हैं। बीते दिन राजधानी भोपाल में कुशवाहा समाज का बड़ा सम्मेलन हुआ।

समाज का कहना है कि मध्यप्रदेश में उनकी संख्या 60 लाख के लगभग है। ऐसे में मध्यप्रदेश में सक्रिय बड़े दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस 25- 25 लोगों को टिकट दे। बताया जा रहा है कि अभी चार आठ विधायक कुशवाहा समाज के हैं। कुल मिलाकर कुशवाह समाज का कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वह अपनी सक्रिय भूमिका में नजर आएंगे। अभी हमारी बड़ी पार्टियों से टिकट देने की बात चल रही है।

वही जातिगत राजनीति की बात करी जाए तो मध्यप्रदेश अब पीछे नहीं हैं। विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने जाति के हिसाब से बोर्ड की नियुक्ति कर दी है। बोर्ड की नियुक्तियों पर कांग्रेस का कहना है कि सिर्फ जातिगत समीकरण संभालने के लिए सरकार के द्वारा नियुक्तियां की जा रही हैं। वहीं कांग्रेसी भी पीछे नहीं हैं बीते दिनों सेन समाज के एक कार्यक्रम में कहा गया है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है, तो उसे समाज के बोर्ड का गठन किया जाएगा। दोनों ही पार्टियां जातिगत समीकरणों को साधने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है।

ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश -राजधानी भोपाल में परशुराम जयंती के दिन भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रख्यात राम कथा वाचक और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा,पूर्व महापौर आलोक शर्मा, मंत्री विश्वास सारंग और विधायक रामेश्वर शर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम में भगवान परशुराम की गाथाओं का व्याख्यान किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्राह्मण समाज के लिए कई बड़ी घोषणाएं कर डाली। शिवराज ने कहा कि ब्राह्मण कन्या बोर्ड का गठन किया जाएगा।

आदिवासी समाज भी मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका रखता है। मध्यप्रदेश में दो बड़े दल जयस और गोगपा पर सक्रिय हैं।जयस जहां 80 विधानसभा सीटों पर लड़ने की बात कर रही है। वही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का कहना है कि जहां पर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है वह उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

इस विधानसभा चुनाव में कास्ट पॉलिटिक्स साफ तौर से देखने को मिलेगी। एक और सरकार जहां जाति के आधार पर बोर्ड का गठन कर रही है तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस उसे सिर्फ चुनावी घोषणाएं बता रही है। हालांकि देखना होगा कि जिस तरीके से जातिगत समीकरण देखने को मिल रहे हैं। वह बीजेपी कांग्रेस या अन्य किसी दल के लिए कितने फायदेमंद होते हैं।

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