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7 साल पहले पहले शुरू हुए सारंगपुर रेलवे स्टेशन कायाकल्प को आज भी पूर्ण होने का इंतज़ार

साल पहले पहले शुरू हुए सारंगपुर रेलवे स्टेशन कायाकल्प को आज भी पूर्ण होने का इंतज़ार

यात्री तलाशते हैं छांव, पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं, मुख्य टीनशेड के साथ-साथ स्टेशन को सुविधायों के दरकार

सारंगपुर रेलवे स्टेशन – सात साल पहले (2016 में) रेलवे स्टेशन के आधे-अधूरे काम के बाद से रेलवे स्टेशन को अभी भी कायाकल्प का इंतजार है। यहां धूप से बचने के लिए न तो पर्याप्त शेड है और न ही पीने के पानी का इंतजाम। नतीजा लोगों को छांव तलाशना पड़ती है और पीने का पानी घर से लाना पड़ता है।
सारंगपुर रेलवे स्टेशन पर स्टेशन पर लगभग 800 मीटर से अधिक लंबे प्लेटफॉर्म स्थल पर प्लेटफॉर्म को ऊंचा कर यात्रियों को धूप और बारिश के पानी से बचाने के लिए शेड लगाए गए थे। हालांकि मुख्य रेलवे स्टेशन पर शेड की कोई व्यवस्था नही होने से अधिकतर यात्रियों को गर्मी, बरसात के मौसम में परेशानियां उठाना पड़ती है। जो शेड बनाए गए हैं वे यात्रियों की सख्ंया के मान से कम होने से यात्रियों को तेज धूप में तपना पड़ रहा है और आगे भी शायद भीषण गर्मी में धूप का सामना करना पड़ेगा। वही प्लेटफॉर्म की ऊंचाई बढ जाने से मुख्य लाईन पर खडी ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों को विशेषकर माहिलाओं को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यात्री होते है परेशान
सारंगपुर रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म का हिस्सा पक्का तो हो गया है लेकिन इतने लंबे स्थान पर मात्र छोटे 5-6 शेड लगे है जो यात्रियों की संख्या के मान से बहुत ही कम है। वही स्टेशन के सामने वाला स्थान खुला होने से लोगों को तकलीफे उठाना पड़ती है। वही तेज धूप में लोग छाव के अभाव में परेशान होते रहते है यहां बड़ा एवं मुख्य टीनशेड लगना सबसे ज्यादा जरूरी है। पचोर स्टेशन पर विकास कार्य चल रहे है जबकि सारंगपुर स्टेशन पर सुविधाओं का अभाव है जो सारंगपुर के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सांसद रोडमल नागर ने पिछले दिनों रेलो के स्टापेज के कार्यक्रम के दौरान मक्सी तक के रेलवे ट्रेक का दोहरीकरण कराने के कार्य को उनकी प्राथमिकता बताई थी और कहा था कि टीन शेड की व्यवस्था में कराई जाएगी।

यात्री बोले स्टेशन पर सुविधा बढ़ाना जरूरी ,एकमात्र सुविधाघर होने परेशानी

प्लेटफॉर्म पर केवल एक सुविधाघर होने से यात्रियों को दिक्कतो का सामना करना पड़ता है। अगर कोई प्लेटफॉर्म के एक छोर की ओर ट्रेन का इंतजार करते है और उन्हें सुविधाघर जाना हो तो उन्हें काफी लंबा चलकर जाना पड़ता है। स्टेशन की लंबाईं के मान से अधिक सुविधाघर बनाया जाना चाहिए। स्टेशन पर सुविधा बढ़ना जरुरी है।
घनश्याम मालवीय, जपं सदस्य प्रतिनिधि, सारंगपुर।

ट्रेन आने पर ही चालू होते हैं नल

स्टेशन पर पानी की प्याऊ व नल तो लगे है लेकिन ये ट्रैन आने के दौरान ही चालू रहते है जिसके कारण ट्रेन का इंतजार करने वाले यात्रियों को भटकना पड़ता है। वही ट्रेन के आने के दौरान मात्र दो मिनट के स्टापेज के कारण यात्रियों को पानी के लिए दौड़ लगाना पड़ती है।
महेश प्रजापति, सांई मंदिर समिति संस्थापक, सारंगपुर।

अन्य ट्रेनों का भी हो स्टॉपेज
सारंगपुर स्टेशन पर नियमित रुप से मात्र इन्दोैर कोटा व बीना नागदा ट्रेन व साबरमती का स्टापेज है और रतलाम-भिंड ट्रेन का भी स्टापेज हो रहा है। वही सप्ताह में तीन दिन उज्जैन देहरादून चलती है जबकि वर्तमान में मक्सी, गुना ट्रेक पर इस स्टेशन से लगभग 15 ट्रेनों का गुजरना होता है। अगर इनमें से रुकते 5 है। यदि 5 का स्टापेज और हो जाए तो लोगों को फायदा तो मिलेगा ही साथ ही स्टेशन की हालत में बदलाव भी आएगा। लेकिन आज तक न तो दुसरी ट्रेनो का स्टापेज हो रहा है न ही टीन शेड की मांग पुरी हो पा रही है।
छगनलाल ढोलपुरिया, समाजसेवी, सारंगपुर।

रेल मंत्रालय पर निर्भर हैं

स्टेशन पर सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। यात्रियों को बैठने के लिए शेड भी है। तथा लंबे प्लेटफॉर्म स्थल पर कार्य भी किया जा चुका है। जहॉ तक बड़े टीन शेड और ट्रेनो के स्टापेज का सवाल है। वह रेलवे मंत्रालय पर निर्भर है।
शिवराकेश मीणा, स्टेशन मास्टर, रेलवे स्टेशन, सारंगपुर।

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