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Red Diamond Guava: अंदर से तरबूज जैसा सुर्ख लाल है रेड डायमंड अमरूद

Red Diamond Guava: सरदारपुर के चालनी और राजोद में भी उगाने लगे किसान, राजोद की नर्सरी में तैयार किए 25 हजार पौधे

Red Diamond Guava: आशीष यादव/ धार – किसान अब परपंरागत खेती के बजाय नित नए नवाचार कर कृषि उपज को बढ़ावा देते हुए आमदानी में इजाफा कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब जापानी वैरायटी के रेड डायमंड अमरूद (Red Diamond Guava) ने क्षेत्र में दस्तक दे दी है। यह एक ऐसा अमरूद है जो अंदर से तरबूज जैसा सुर्ख लाल है।

मिठास के साथ हर किसी को अपनी और आकर्षिक करता है।
कमाई के मामले में भी अव्वल रहने से किसान समृद्धि की और अग्रसर हो रहे हैं। इसकी खेती में भी अब रूझान बढ़ रहा है। गत वर्ष गुजरात के भरूच में स्थित नर्सरी से पौधे लाए थे किंतु अब तो क्षेत्र में ही किसान इसकी नर्सरी तैयार कर रहे है। सरदारपुर के चालनी व राजोद में भी इसकी खेती किसान करने लगे है तथा राजोद में नर्सरी में करीब 25 हजार पौधे तैयार किए गए। क्षेत्र में पौधे तैयार होने से क्रांति आ जाएगी और अगले वर्ष कई किसान इसकी खेती करने लगेंगे।

रतलाम-बदनावर क्षेत्र में हुई थी शुरुआत
रेड डायमंड (Red Diamond Guava) की खेती की रतलाम और बदनावर क्षेत्र में सबसे पहले शुरूआत में करीब 18 माह पहले ग्राम जाबड़ा के कन्हैयालाल बाबूलाल जाबड़ा व नारायण पाटीदार ने की थी। उन्होंने बताया कि दिल्ली की मंडियों में जब इस फल का आकर्षण, विशेषता और बाजार में इसकी मांग देखी तो उसकी खेती करने में उत्सुकता बड़ी। इसके लिए यू टयूब व सोश्यल मीडिया के माध्यम सर्च किया तो गुजरात के भरूच के पास जारवी नर्सरी में इसके पौधे मिलने की जानकारी मिलने पर वहां से करीब दो हजार पौधे 200 रूपए प्रति पौधे की कीमत देकर लाए। एक बीघा भूमि में करीब 350 पौधे लगाए गए। और करीब 15 माह में इसकी पैदावार शुरू हो गई। फिलहाल वीएनआर अमरूद की खेती बदनावर में करीब 250 से 300 हेक्टेयर में की जाती है। किंतु उसकी तुलना में इस फल में मिठास अधिक है। बीज भी नाममात्र के होते है जो फल के बीचों बीच होते है।

700 ग्राम तक होता है वजन
अन्य अमरूद की तुलना में (Red Diamond Guava) मिठास अधिक है। एक अमरूद का वजन भी करीब 600 से 700 ग्राम तक होता है। तथा भाव भी करीब 20 से 30 रुपए किलो अधिक मिलते है। सीजन में दिल्ली मंडी में यह 80 से 140 रूपए प्रति किलो तक बिक जाता है। पहले वर्ष प्रति पौधे पर दस किलो अमरूद का उत्पादन आया। एक बार पौधे लगाने से करीब 15 सालों तक उत्पादन कर कमाई कर सकते हैं। यह देख और किसानों का रूझान इसकी खेती की और बढ़ा तथा वे इस नई किस्म को देखने के लिए आने लगे। वहीं के मधुसुदन पाटीदार ने 500, सुनील शर्मा ने 400 पौधे लगाए। अब ग्राम संदला, रूपाखेड़ा, कोद में भी किसानो ने रेड डायमंड अमरूद (Red Diamond Guava) की खेती शुरू की है। तथा इस वर्ष करीब दस से 15 हजार पौधे लगाए है। इसकी मांग को देखते हुए इसके पौधें की डिमांड भी बड़ी है।

25 हजार पौधे बिक्री किए
राजोद के किसान वीरेंद्र धाकड़ ने बताया कि जापानी वैरायटी के इस रेड डायमंड अमरूद की डिमांड अचानक से एक वर्ष में काफी बड़ गई है। क्योकि इसकी खेती करने में लागत भी काफी कम होती है तथा रासायनिक दवाईयों का भी उपयोग भी नाम मात्र को होता है। इसके अंदर निकलने वाले बीज साफट होने से बच्चें भी आसानी से खा सकते है। टेस्ट अच्छा होने से इसके रेट भी अच्छे मिलते है। इसकी डिमांड को देखते हुए फिलहाल नर्सरी में 25 हजार पौधे तैयार किए गए थे। जो महाराष्ट्र, राजस्थान समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों के किसान खरीद कर ले जा चुके है। अब और नए पौधे तैयार किए जा रहे है।

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