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अब चांद से महज 174 किमी दूर चंद्रयान-3, इसरो ने दूसरी बार ऑर्बिट घटाई

अब चांद से महज 174 किमी दूर चंद्रयान-3, इसरो ने दूसरी बार ऑर्बिट घटाई

Chandrayaan-3 Latest Update: चंद्रयान-3 अब चंद्रमा से महज 174 किलोमीटर दूर है। इसरो ने दूसरी बार यानी आज चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटा दी है। ऐसे में चंद्रयान-3 अब चंद्रमा के 174 किलोमीटर x1437 किलोमीटर की ऑर्बिट में आ गया है। मतलब यह अंडाकार कक्षा में घूम रहा है। उसमें उसकी चांद से सबसे कम दूरी 174 किलोमीटर और सबसे अधिक दूरी 1437 किलोमीटर है। अब 14 अगस्त को चंद्रयान 11:30 से 12:30 बजे की बीच फिर ऑर्बिट बदलेगा।

छह अगस्त की रात 11 बजे चंद्रयान ने पहली बार ऑर्बिट घटाई गई थी, तब यह चंद्रमा की 170 किलोमीटर x 4313 किलोमीटर की ऑर्बिट में आया था। चंद्रयान-3 फिर 22 दिनों के सफर के बाद 5 अगस्त की शाम 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में शामिल हुआ था, तब यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके, उसके लिए उसकी गति कम कर दी गई थी। इसरो वैज्ञानिकों ने उसकी गति कम करने के लिए यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1835 सेकेंड यानी आधे घंटे के लिए फायर किए। यह फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू हुई थी।

चंद्रयान ने जब चंद्रमा की 164 किलोमीटर x18074 किलोमीटर की ऑर्बिट में प्रवेश किया था तो उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें ले ली थीं। इसरो ने आधिकारि वेबसाइट पर वीडियो भी शेयर किया था। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स स्पष्ट दिख रहे हैं। वहीं, इसरो ने X पर पोस्ट किया था- ‘मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है।’

इसरो ने बताया था कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो चुका है। 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान को 4 बार ऑर्बिट कम करनी पड़ी है। वह एक बार रविवार को भी ऑर्बिट कम कर चुका है। इसरो ने बताया था कि रेट्रो-बर्निंग का कमांड मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX), ISTRAC, बेंगलुरु से पेरिल्यून में दिया गया था।

चांद के लिए 1 अगस्त को चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से निकला था

चंद्रयान-3 को 1 अगस्त की रात 12 बजे पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की ओर भेजा गया था। यह ट्रांसलूनर इंजेक्शन कहा जाता है। इससे पहले चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा था, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 किलोमीटर और सबसे ज्यादा दूरी 1 लाख 27 हजार 603 किलोमीटर थी। यह 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने वाला है।

इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिकों ने ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया था। इंजन फायरिंग तब की गई, जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 किलोमीटर दूर था। इसरो ने कहा- पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा पूरी कर चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया है।

चंद्रमा पर लैंडर और रोवर करेंगे 14 दिन प्रयोग

लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 में हैं। चंद्रयान-3 इनके साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का शोध करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं? यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।

चंद्रयान-3 का सफर…

  • 14 जुलाई: चंद्रयान-3 को 170 km x 36,500 km के ऑर्बिट में छोड़ा गया।
  • 15 जुलाई: ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 km x 173 km की गई।
  • 17 जुलाई: फिर ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 km x 226 km की गई।
  • 18 जुलाई: एक और बार ऑर्बिट बढ़ाकर 5,1400 km x 228 km की गई।
  • 20 जुलाई: ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 Km की गई।
  • 25 जुलाई: ऑर्बिट बढ़ाकर 1,27,603 km x 236 km की गई।
  • 31 जुलाई: 1 अगस्त की आधी रात चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की तरफ बढ़ गया।
  • 5 अगस्त: चंद्रमा की 164 Km x 18074 Km की कक्षा में चंद्रयान-3 ने प्रवेश किया।
  • 6 अगस्त: चंद्रयान की आर्बिट घटाकर 170 Km x 4313 Km की गई।
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