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Navratri: हजारों वर्ष पुराना है मां गढ़ कालिका प्राचीन मंदिर | महाराष्‍ट्र-गुजरात से पहुंचेंगे मां के भक्‍त

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Navratri: महाराष्ट्र सहित 18 कूलो की कूलदेवी है मां गढ़ कालिका, हजारों वर्ष पुराना है प्राचीन मंदिर नवरात्रि के प्रतिदिन होगी 6 विशेष आरती, घटस्थापना के पहले होगा शृंगार, बडी संख्‍या में मेले पहुंचेगे लोग

Navratri: आशीष यादव/धार – भक्तों की आस्था का केंद्र और प्राचीन मां गढ़कालिका की स्थापना हजार वर्ष पूर्व हुई थी। किदवंती है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने मां कालिका की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया और सौराष्ट्र विजय की कामना लेकर साथ आने का आह्वान किया, लेकिन माता ने साथ आने से पहले एक वचन लिया कि रास्ते में राजा विक्रमादित्य पीछे पलटकर नहीं देखेंगे। तालाब से गुजरते वक्त राजा विक्रमादित्य ने पलटकर देखने पर मां गढक़ालिका उसी स्थान पर विराजत हो गई, जहां आज प्राचीन गढक़ालिका मंदिर है।

Navratri: तालाब किनारे विराजित मां गढ़कालिका का मंदिर प्राचीन है। उपाध्याय परिवार की 34वीं पीढ़ी पूजा की व्यवस्था संभाले हैं। पुजारी करुण उपाध्याय ने बताया मुगलकाल में मंदिर पर आक्रमण हुआ। तब माता की मूर्ति को लेकर परिवार के सदस्य मंदिर केे गुप्त दरवाजे से निकल एकांतवास में चले गए थे। मुगलों के जाने के बाद दोबारा माता गढक़ालिका की स्थापना की गई। इसके बाद से आराधना जारी है

प्रतिदिन होती है 6 आरती
Navratri: काकड़ आरती : सुबह 4 बजे काकड़ आरती के साथ माता नवरात्र की शुरूआत होती है। हर दिन काकड़ आरती होती है। इसमें माता को रबड़ी का भोग लगता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु काकड़ आरती में शामिल होते हैं।

श्रंगार आरती : सुबह 9 बजे माता का श्रंगार होने के बाद श्रंगार आरती की जाती है।

पंच खाद्य आरती : सुबह 10.30 बजे ड्रायफूट काजू, बादाम, खोपरा, किशमिश का भोग लगाने के बाद आरती की जाती है।

भोजन आरती : सुबह 11.30 बजे भोजन आरती होती है। आरती के पहले मां कालिका को भोजन की थाल लगती है। इसमें मां की पसंदीदा व्यंजन रहते हैं। भोजन के बाद आम दिनों में आराम के लिए पालना लगता है, लेकिन नवरात्र में दर्शन की व्यवस्था रहती है।

संध्या आरती : शाम 7 बजे संध्या आरती होती है। इसमें मां गढक़ालिकाको खीर-पूरी और नैवेद्य अर्पण किए जाते हैं।

शायन आरती : रात 9 बजे अंतिम शायन आरती होती है। इसमें माता को दूध का प्याला लगता है।

घटस्थापना के पहले होगा शृंगार
Navratri: शारदीय नवरात्र में मंदिर के द्वार 24 घंटे खुले रहते हैं। सुबह 4 बजे काकड़ आरती होती है। इसके बाद माता का श्रंगार नव्वारी साड़ी यानी 16 हाथ की महाराष्ट्रीयन साड़ी से होता है। परमारकालीन गहनें माता को पहनाए जाते हैं। एक बार श्रंगार होने के बाद पूरे नवरात्र खत्म होने के बाद दशहरे पर यह श्रंगार बदलता है।

मेले में पहुंचेगे लोग
Navratri: नवरात्रि में देवीजी मंदिर में मेले का अयोजन किया जाता है। रविवार को मेले का शुभारंभ किया जाएगा। नगर पालिका के अधिकारी व प्रशासनीक अधिकारी सहित आमजन मौजूद रहेगे। मेले में इस बार आकर्षक झूले-चकरी आई है। वहीं बच्चों के लिए विशेष खिलौने की दुकाने लगी है। इसी के साथ महिलाओं के लिए साज सज्जा की दुकाने लगी है। बता दे शहर में नवरात्रि के तहत कई स्थानों पर गरबा पंडाल बनाए गए हैं। जहां पूरी रात गरबों की धूम रहेगी। यहां स्थानीय गरबा टीमों द्वारा देवीजी मंदिर, धारेश्वर मंदिर, पाटीदार धर्मशाला, मायापुरी, बस स्टैंड सहित अन्य जगह टीम गरबों की प्रस्तूति देगी।

शरद पूर्णिमा पर होता है समापन
Navratri: शारदीय नवरात्रि पर शुरू होने वाला नौ दिनी पूजन और उत्सव दशहरे पर खत्म नहीं होता। गढ़कालिका मंदिर पर यह पूजन शरद पूर्णिमा के दिन खत्म होता है।
शरद पूर्णिमा पर पूर्णिमा की चांदनी में खीर खैवन के बाद मां गढ़कालिका को भोग लगाया जाता है। इसके बाद नवरात्रि उत्सव का विधिवत समापन होता है।

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