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S Jaishankar : विदेश मंत्री जयशंकर के पिता को इंदिरा गांधी ने पद से हटाया था, राजीव ने किया था सस्पेंड

नई दिल्ली। विदेश मंत्री जयशंकर ने मंगलवार को एक इंटरव्यू के दौरान चीन समेत कई मामलों पर खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने अपने पिता के साथ हुई नाइंसाफी पर भी दो टूक बात की। उन्होंने कहा कि उनके पिता डॉ. के सुब्रमण्यम कैबिनेट सेक्रेटरी थे लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में लौटने पर उन्हें पद से हटा दिया गया। उन्होंने एएनआई को दिए इंटरव्यू में अपने पिता को पद से हटाने, उनकी जगह जूनियर अधिकारी को पद पर नियुक्त करने से लेकर विदेश सेवा से लेकर राजनीति तक के अपने सफर पर बात करते हुए कहा कि वह हमेशा से बेहतरीन फॉरेन सर्विस अधिकारी बनना चाहते थे। 

विदेश मंत्री जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि मैं हमेशा से बेहतरीन फॉरेन सर्विस ऑफिसर बनना चाहता था। मेरी नजरों में विदेश सचिव बनना उस सर्वश्रेष्ठता को हासिल करने की परिभाषा थी। मेरे पिता एक नौकरशाह थे, जो कैबिनेट सेक्रेटरी बन गए थे, लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया। वह उस समय 1979 में जनता सरकार में सबसे युवा सेक्रेटरी थे। 

जूनियर अधिकारी को राजीव गांधी ने बना दिया था कैबिनेट सेक्रेटरी

वह बताते हैं कि मेरे पिता कैबिनेट सेक्रेटरी थे लेकिन 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनकर सत्ता में आईं, तो सबसे पहले मेरे पिता को पद से हटा दिया गया। मेरे पिता सिद्धांतों पर चलने वाले शख्स थे और शायद समस्या यही थी। उसके बाद वह कभी सेक्रेटरी नहीं बने। उनके बाद राजीव गांधी के कार्यकाल में मेरे पिता से जूनियर अधिकारी को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया गया। यह बात उन्हें बहुत खलती रही, लेकिन उन्होंने शायद कभी ही इसके बारे में बात की हो। जब मेरे बड़े भाई सेक्रेटरी बने तो उनका सीना गर्व से फूल गया था। गौरतलब है कि जयशंकर ब्यूरोक्रेट्स परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव पद पर रहे। साल 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. उससे पहले 2011 में ही जयशंकर के पिता का निधन हो गया था। उनके पिता डॉ. के सुब्रमण्यम देश के जाने-माने कूटनीतिज्ञ थे। उन्हें भारत के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन का शिल्पकार भी माना जाता रहा है।

पीएम मोदी ने दिया मौका
जयशंकर ने बताया कि जब 2011 में उनके पिता गुजरे तो मैं ग्रेड 1 अधिकारी बन पाया था, जैसे एक राजदूत। मैं सचिव नहीं बना था। पिता के गुजरने के बाद मैं सेक्रेट्री बना। उन्होंने बताया कि उस वक्त तक लक्ष्य बस सेक्रेट्री बनना ही थी तो मैंने वह लक्ष्य हासिल कर चुका था। 2018 में मैं टाटा संस में था। वहां सबकुछ सही चल रहा था। तभी यह राजनीतिक मौका आया। एस जयशंकर ने बताया कि मैं इसके लिए तैयार नहीं था तो मैंने समय लिया। जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट ज्वॉइन करने के लिए खुद उनसे पूछा था। उन्होंने बताया कि पहली बार पीएम मोदी से उनकी मुलाकात साल 2011 में हुई थी, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर चीन के दौरे पर थे।

चीन मामले में कांग्रेस पर किया पलटवार

जब एस जयशंकर से पूछा गया कि कांग्रेस आरोप लगाती है कि आप और पीएम मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं। इस पर जयशंकर ने कहा कि, अगर हम डरते हैं तो एलएसी पर भारतीय सेना को किसने भेजा। राहुल गांधी ने उन्हें नहीं भेजा, बल्कि नरेंद्र मोदी ने भेजा है। चीन सीमा पर आज तक के इतिहास की सबसे बड़ी सेना की तैनाती की गई है। जयशंकर ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें  ‘C’ से शुरू होने वाले शब्दों को समझने में थोड़ी दिक्कत हो रही होगी। यह सच नहीं है, मुझे लगता है कि वे जानबूझकर स्थिति को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर चीन को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। राहुल का कहना है कि सरकार चीन का नाम लेने से डरती है। जयशंकर ने कहा कि मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और सीमा विवाद मामलों को डील करता रहा। मैं यह नहीं कहूंगा कि मुझे इसके बारे मे अधिक जानकारी है लेकिन इतना कहूंगा कि मुझे चीन मामले पर काफी कुछ पता है। अगर राहुल गांधी पास चीन को लेकर अधिक जानकारी और ज्ञान है तो मैं  उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।

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