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Dhirendra Krishna Shastri Meet Devkinandan Thakur: देवकी नंदन ठाकुर की कथा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- राम मन्दिर के बाद अब कृष्ण जी के मन्दिर की बारी है

देवकी नंदन ठाकुर की कथा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

Dhirendra Krishna Shastri Meet Devkinandan Thakur भोपाल में कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर की कथा के समापन के अवसर पर बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि राम मन्दिर के बाद अब कृष्ण जी के मन्दिर की बारी है। अयोध्या के बाद अब मथुरा की बारी है। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और अयोध्या, मथुरा, काशी पर देवकीनंदन ठाकुर और बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सरकार से और लोगों से अपील की है। इस मौके पर एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान से अपील की है, कि अश्लील वेबसीरिज पर प्रतिबंध लगाया जाए।

कथा के दौरान देवकीनंदन ठाकुर ने भगवान श्री कृष्ण के गीता श्लोक का वर्णन करते हुए कहा कि यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्. अर्थ: इस श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं जब जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है. विनाश का कार्य होता है और अधर्म आगे बढ़ता है. तब-तब मैं इस पृथ्वी पर आता हूं और यहां पर अवतार लेता हूँ।

वहीं विदिशा में शुक्रवार से पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा का शुभारंभ किया गया है. कथा स्थल पर आयोजन समिति द्वारा लगभग 20 हजार श्रद्धालुओं के हिसाब से पंडाल का निर्माण कराया गया है, लेकिन स्थिति यह है कि पहले ही दिन श्रद्धालुओं की संख्या 60 हजार के पार पहुंच गई. श्रद्धालुओं की बड़ी तादाद की वजह से आयोजन स्थल पर व्यवस्थाएं गड़बड़ाने लगी. व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस को श्रद्धालुओं को पंडाल तक पहुंचने से पहले ही रोकना पड़ा। श्रद्धालुओं ने सडक़ किनारे बैठकर ही कथा का आनंद लिया।

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा

कथा के पहले दिन कथा वाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने व्यास पीठ से कहा कि विदिशिा विद्धानों की नगरी है, लेकिन हम तो अनपढ़ गंवार हैं. जबरदस्ती हमें व्यास पीठ पर बैठा देते हो तो बैठना पड़ता है. व्यास पीठ पर बैठते हैं तो बोलना भी पड़ता है. बोलते हैं तो हम दिखते हैं, लेकिन दरअसल हमारी लाज तो हनुमान जी ही रखते हैं. पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने विदिशा का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के लोगों के मस्तक पर जब तिलक देखता हूं तो बहुत अच्छा लगता है. यह बहुत प्राचीन हिन्दू नगर है. इतना ही नहीं, केवल हिन्दू ही नहीं यहां जैन धर्म के दसवें तीर्थकर भी जन्में हैं।

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