Arunachal in China New Map: अपनी हरकतों से चीन (China) बाज नहीं आ रहा है। इसने 28 अगस्त को आधिकारिक नया नक्शा जारी किया है। इस नक्शे में भारत के अरुणाचल प्रदेश (Arunachal pradesh) को अपना इलाका बताया है। इसके अलावा ताइवान और अक्साई चिन (Aksai Chin) को भी अपना क्षेत्र बताया है। इससे पहले भी चीनी (China) सरकार ने इस तरह की विस्तारवादी नीति को अंजाम दिया है। इसी साल अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदलने की मंजूरी दे दी थी।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि चीन (China) के नए नक्शे में भारत के हिस्सों के अलावा ताइवान और विवादित दक्षिण चीन (China) सागर को भी शामिल किया गया है। चीन (China) ने मैप में नाइन-डैश लाइन पर दावा किया है। इस तरह से उसने साउथ चाइना-सी के एक बड़े हिस्से पर दावा पेश किया है। वैसे, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर क्षेत्रों पर अपना-अपना दावा करते रहते हैं।
झेजियांग प्रांत की डेकिंग काउंटी में जारी हुआ था नक्शा
चाइना डेली की रिपोर्ट कहती है कि चीन (China) की नेचुरल रिसोर्स मिनिस्ट्री द्वारा नक्शे को बीते सोमवार को झेजियांग प्रांत की डेकिंग काउंटी में जारी किया गया है। इस समय चीन (China) नेशनल मैंपिग अवेयरनेस वीक को सेलिब्रेट करता है। चीन की नेचुरल रिसोर्स मिनिस्ट्री के हेड प्लानर वू वेनझोंग का कहना है कि सर्वेक्षण, मैप और भौगोलिक जानकारी राष्ट्र के विकास को बढ़ाने, जीवन की सभी क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है। कहा कि मैप हमारे नेचुरल रिसोर्स के मैनेजमेंट को सपोर्ट करने और मदद करने में अहम भूमिका निभाती हैं। ये हमारी पारिस्थिति और सभ्यता बनाने में मददगार साबित होती है।
कई देशों से चीन (China) का विवाद
जितने देशों के साथ चीन की सीमा लगती है। उससे कहीं अधिक देशों से उसके क्षेत्रीय विवाद हैं। शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने कई बार अन्य संप्रभु क्षेत्रों पर क्षेत्रीय नियंत्रण का दावा करने की कोशिश की है। उन्होंने धोखेबाजी वाली रणनीति का इस्तेमाल किया है। इस देश की विस्तारवादी कोशिशों ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन किया है। चीन ने अब अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा ठोका है। यह तर्क देते हुए कि ये स्थान तिब्बत का हिस्सा थे।
भारतीय जगहों का बदल दिया था नाम
चीन ने अप्रैल में एकतरफा रूप से 11 भारतीय जगहों के नाम दिए थे। इनमें पहाड़ चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों के नाम शामिल थे। पहली बार नहीं है कि बीजिंग ने यह रणनीति अपनाई है। 2017 और 2021 में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अन्य भारतीय स्थानों का नाम बदला था, जिससे एक और राजनीतिक टकराव शुरू हुआ था।