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Chandrayaan 3: चांद पर उतरा चंद्रयान 3, ऐसा करने वाला भारत चौथा देश, जानें इस सफल लैंडिंग के बाद यान क्या-क्या करेगा

Chandrayaan 3 soft landing

Chandrayaan 3: चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) की सतह पर लैंडिंग की है।

Chandrayaan 3: भारत ने रचा इतिहास। चंद्रयान 3 ने चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग (landing) कर ली है। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने चांद को फतह किया था। 40 दिनों के सफर के बाद 23 अगस्त यानी आज की शाम 6:04 बजे चंद्रयान 3 ने चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। देश-दुनिया में इस मिशन की सफलता को लेकर की गई पूजा सफल साबित हुई है। इसके साथ ही इसरो (ISRO) के बेंगलुरु स्थित कार्यालय जश्न का माहौल है। सभी वैज्ञानिक खुशी से झूठ उठे हैं।

Chandrayaan 3 – चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) की सतह पर लैंडिंग की है। इस ध्रुव पर अब तक किसी देश ने लैंडिंग नहीं की है। चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांस के पास चंद्रयान 3 ने लैंडिंग की है। बता दें चंद्रयान 3 को 14 जुलाई की दोपहर 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Shree Harikota) से उड़ान भरी थी ।

14 दिन चांद पर प्रयोग करेगा चंद्रयान 3 (What will do Chandrayaan-3 on Moon)
Chandrayaan 3– चंद्रयान 3 के लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) को चलाने और पृथ्वी पर गहरे अंतरिक्ष नेटवर्क तक सूचना भेजने के बाद बिजली की जरूरत होती है। यह बिजली सौर पैनलों से आती है, इसलिए इसरो लैंडर मॉड्यूल को सूर्योदय के ठीक समय चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा।

चंद्रयान 3 चांद पर 14 दिन काम करेगा। हालांकि यह 14 दिन पृथ्वी के मुताबिक है। पृथ्वी पर के 14 दिन चांद पर एक दिन का समय होता है। चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर 14 दिन वहां चांद की सतह पर रिसर्च करेगा। इसरो (ISRO) से कमांड मिलने के बाद चंद्रयान चांद की सतह पर चलेगा। अपने आसपास के 500 मीटर के क्षेत्र में चहलकदमी, पानी और वातावरण की जानकारी देगा।

चांद की सतह पर आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा एवं बदलाव की जांच करेगा
Chandrayaan 3 – चांद पर चंद्रयान 3 की लैंडिंग बाद विक्रम लैंडर(Vikram lander) में लगा पहला पेलोड्स रंभ चांद की सतह पर सूर्य से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा, बदलाव की जांच करेगा। दूसरा पेलोड्स चास्टे चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा। तीसरा पेलोड्स इल्सा लैंडिंग की जगह की आसपास की भूकंपनीय गतिविधियों की जांच करने वाला है। चौथा लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरा चांद के डायनेमिक्स को समझेगा।

चंद्रयान 2 फेल क्यों हुआ था (Why Chandrayaan-2 failed)
Chandrayaan 3- इसरो अब तक 3 चंद्रयान चांद पर भेज चुका है। पहला चंद्रयान (first Chandrayaan) 2008 में भेजा गया था। फिर 2019 में चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) भेजा गया। चंद्रयान में केवल ऑर्बिटर था, जबकि चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर एवं रोवर भी था। चंद्रयान 2 में विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने तीन महीने के बाद चंद्रयान 2 का मलबा ढूंढा था। चंद्रयान 2 का फॉलोअप मिशन चंद्रयान 3 है। इस यान का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) कराना है।

साउथ पोल में चंद्रयान भेजने की वजह
Chandrayaan 3- चंद्रयान 3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) में ही भेजने के पीछे इसरो (ISRO) की प्रमुख वजह है। चांद के इस क्षेत्र में सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती है। तापमान -200 डिग्री से नीचे तक जाता है। वैज्ञानिकों (Scientists) का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में भी पानी (Water on Moon) हो सकता हैं।

भारत के 2008 के चंद्रयान मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी होने का संकेत दिया था। चंद्रयान 2 जैसी ही चंद्रयान 3 की लैंडिंग साइट (Landing Site) है। चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव के पास 70 डिग्री अक्षांस पर। हालांकि इस बार क्षेत्र बढ़ाया गया है। चंद्रयान 2 में लैंडिंग साइट 500×500 मीटर थी। अब लैंडिंग साइट 4 किमी 2.5 किमी है।

चांद पर 7 दशकों में 111 मिशन गए, 66 सफल
पिछले 7 दशकों में चांद पर 111 मिशन भेजे गए हैं। इनमें से 66 मिशन सफल हुए हैं। जबकि 41 मिशन फेल हो गए हैं। आठ मिशन आंशिक रूप से सफल रहे। इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर का कहना है कि मून मिशन(Moon Mission) के सफल होने की संभावना 50 प्रतिशत रहती है। 1958 से 2023 तक अमेरिका, रूस, चीन, जापान, भारत, इजरायल, यूरोपिय संघ ने कई तरह के मिशन भेजे हैं। इनमें इम्पैक्टर, ऑर्बिटर, लैंडर-रोवर, फ्लाईबाई शामिल हैं।

2000 से 2009 तक में छह लूनर मिशन (Lunar Mission) भेजे गए थे। यूरोप का स्मार्ट-1, जापान का सेलेन, चीन का चांगई-1, भारत का चंद्रयान-1, अमेरिका लूनर रीकॉनसेंस ऑर्बिटर। 1990 से 2023 तक में अमेरिका, जापान, यूरोपिय संघ, चीन, इजरायल और भारत ने मिलकर 21 मून मिशन भेजे हैं।

चांद पर 68 किलो के इंसान का वजन 11 किलो रह जाता
इंसान का वजन चांद पर काफी कम हो जाता है। पृथ्वी के मुकाबले चांद का गुरुत्वाकर्षण (Gravity) काफी कम है। इस वजह से इंसान का वजन चांद पर कम होता है। धरती पर जिस इंसान का वजन 68 किलो है, उसका वजन चांद पर 11 किलो रह जाता है। बता दें चांद की उम्र 4.5 अरब साल है। पृथ्वी से चांद की दूरी 384403 किलोमीटर है। चांद का वजन 81 अरब टन है।

चंद्रयान-3 के लैंडिंग के चार फेज होंगे (Chandrayaan 3 Landing Phase)

  1. रफ ब्रेकिंग फेज: इस समय लैंडर लैंडिंग साइट से 750 किलोमीटर दूर होगा। गति 1.6 Km/sec रहेगी। यह फेज 690 सेकंड तक चलेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे। 690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358 m/sec और नीचे की तरफ 61 m/sec होगी।
  2. एल्टिट्यूड होल्ड फेज : विक्रम चांद की सतह की तस्वीर लेगा। फिर पहले से मौजूद तस्वीरों के साथ तुलना करेगा। चंद्रयान-2 के समय में ये फेज 38 सेकंड था। अब इसे 10 सेकंड का किया गया है। इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 m/s और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 m/s रह जाएगी।
  3. फाइन ब्रेकिंग फेज: ये फेज 175 सेकंड तक चलेगा। इसमें स्पीड 0 पर आ जाएगी। लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल होगी। सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर में होगी। विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी। फिर से फोटोज लिए जाएंगे और तुलना की जाएगी।

4.टर्मिनल डिसेंट फेज: अगले 131 सेकंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आएगा। लैंडर पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की तस्वीरें लेगा। विक्रम पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा। अगर, सबकुछ ठीक रह तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतरेगा। नो-गो की कंडीशन रही तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा। फिर से सतह चेक करेगा और सब कुछ सही रहा तो लैंड करेगा।

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद क्या होगा (Chandrayaan 3 After Landing)
डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू हो जाएगा और कम्युनिकेट करना शुरू करेगा। फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर जाएगा। पहिए चांद की मिट्‌टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ देंगे। विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा।

एक फिल्म के बजट से कम है चंद्रयान का बजट (Chandrayaan Budget)
एक बॉलीवुड फिल्म के बनाने में खर्च होने वाली रकम से कम है चंद्रयान-3 का बजट। चंद्रयान 3 का बजट (Chandrayaan-3 Budget) अमेरिका और चीन के भी मून मिशन से कम का है। चंद्रयान 3 का बजट 365 करोड़ रुपए है। जबकि हॉलीवुड फिल्म अवतार का बजट 1970 करोड़ रुपए था। चंद्रयान 2 का बजट 978 करोड़ रुपए था। हाल में क्रैश हुई रूस के लूना-25 (Luna 25) का बजट 1600 करोड़ रुपए था।

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