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बड़े भक्ति भाव से 23 वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक मनाया

बड़े भक्ति भाव से 23 वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक मनाया

विपिन जैन/सनावद – जैन धर्म के अनुसार श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ जी का मोक्ष कल्याणक व मुकुट सत्तमी पर्व अति उत्साह व भक्तिभाव से मनाया गया। श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर मे प्रातः7.30 बजे से भगवान पार्श्वनाथ जी का पंचामृत अभिषेक कर विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाया गया।

सन्मति जैन काका ने बताया की जैन धर्म के अनुसार जिसका मोक्ष हो जाता है उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है। जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है, जहां मोक्ष का पूर्णरूपेण क्षय हो जाता है वहीं मोक्ष हो जाता है। प्रभु का स्पर्श तो हमें स्वर्ण ही नहीं पारस बना देता है। हम भी पार्श्व प्रभु की तरह अपने भवों को कम करके निर्वाण प्राप्ति की ओर बढ़ें। अत: तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याण पर शिखरजी क्षेत्र की पूजा व निर्वाण कांड का पाठ करने के पश्चात 23 निर्वाण लाडू चढ़ाये गये। 

मुख्य निर्माण लाड़ू चढ़ाने का सौभाग्य पुष्पा बाई जंगलेश कुमार जैन सनावद परिवार को मिला।व शान्ति धारा करने का शोभाग्य सुधीर कुमार नवलचंद चौधरी,एवम रजत अजीत कुमार जैन बड़ूद परिवार सनावद को प्राप्त हूवा।
जिस प्रकार यह लाडू रस भरी बूंदी से निर्मित किया जाता है, उसी प्रकार अंतरंग से आत्मा की प्रीति रस से भरी हो जाए तो परमात्मा बनने में देर नहीं लगती। 

इस मोके पर जैन समाज की बालिकाओ ने सामूहिक रूप से निर्जला उपवास किये, दिन भर पूजन, स्वाध्याय, मनन-चिंतन, सामूहिक प्रतिक्रमण करते हुए संध्या के समय देव-शास्त्र-गुरु की सामूहिक भक्ति प्रश्न मंच करआत्म चिंतन किया। एवम रात्री में प्रदीप पंचोलिया,कमल केके सयंम जैन व वर्धमान भजन मंडली के द्वारा संगीतमय आरती भक्ति की गई।कार्यक्रम का संचालन प्रशांत जैन ने किया।

इस अवशर पर समाज अध्यक्ष मनोज जैन,हेमेंद्र काका,रिंकेश जैन, महेन्द्र मुंशी, अचिन्त जैन, संदेश जैन, विशाल सराफ, आशीष झाझरी,मंजुला भुच, सुबोध बाई, चंदा पाटनी सहित सभी समाज जनों ने उपस्थिती दर्ज करवाई।

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