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चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में पीएम और भाजपा अध्यक्ष प्रदेश के साथ मालवा निमाड़ दौरे पर चुनावी शंखनाद

चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में पीएम और भाजपा अध्यक्ष प्रदेश के साथ मालवा निमाड़ दौरे पर चुनावी शंखनाद

भाजपा मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को साधने में जुटी

आशीष यादव/धार- कभी भाजपा का गढ़ रहे मालवा-निमाड़ ने पिछले चुनाव में सत्ता की चांबी कांग्रेस को सौंपी थी। भाजपा फिर से मालवा निमाड़ में मजबूती चाहती है। इस कारण एक सप्ताह में निमाड़ के तीन जिलों में व मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे की प्लानिंग तैयार की गई है। इसे मालवा-निमाड़ में भाजपा के चुनावी अभियान की शुरूआत के तौर पर माना जा रहा है। राजनीतिक दृष्टि से महत्व रखने वाले इस हिस्से पर भाजपा इसलिए भी फोकस कर रही है, क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान निमाड़ और मालवा की 25 से ज्यादा सीटों की नब्ज टटोली थी। यहां ज्यादातर आदिवासी सीटें है।

चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में पीएम और भाजपा अध्यक्ष प्रदेश के साथ मालवा निमाड़ दौरे पर चुनावी शंखनाद

धार नही आयेंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 को मध्य प्रदेश में अपने चुनावी दौरे की शुरुआत धार करने वाले था मगर वह सभा अब झाबुआ के बाद शहडोल में पीएम का कार्यक्रम होना है। मालवा निमाड़ के साथ भाजपा आदिवासी जिलों में जाकर भाजपा पदाधिकारियों की बैठक ले रहे है। भाजपा आदिवासी बाहुल्य धार झाबुआ अलीराजपुर जिले में माहौल बनाना चाहती है, क्योंकि पिछले चुनाव में धार जिले की सात विधानसभा सीटों में सिर्फ एक धार सीट ही भाजपा जीत सकी थी। फिर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के भाजपा में आने के बाद भाजपा के खाते में दो सीटें दर्ज हो सकी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगोन आएंगे

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जून के अंतिम सप्ताह में खरगोन के दौरे पर रहेंगे। वे कार्यकर्ता व पदाधिकारियों से सीधे मुलाकात करेंगे और सभा को भी संबोधित करेंगे। इसके लिए हर विधानसभा में बैठकों का दौर चल रहा है। के अलावा प्रदेश के अलग अलग जिलो में केंद्रीय मंत्री मालवा निमाड़ का दौरा कर सकते है।

मालवा-निमाड़ ने खत्म किया था कांग्रेस का राजनीतिक वनवास

15 सालों से सत्ता से दूर रही कांग्रेस का राजनीतिक वनवास पिछले विधानसभा चुनाव में मालवा निमाड़ के कारण खत्म हुआ था। दोनों अंचलों की 66 सीटों में से 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 28 सीटें ही मिल पाई थी। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया व 22 कांग्रेस विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद कमल नाथ सरकार गिर गई थी। उसके बाद 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों की संख्या घटकर 30 रह गई थी

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