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इजरायल में पुरातत्वविदों को मिला सालों पुराना शामित मकबरा, मकबरे में खून से लिखी, कभी ना खोलने की चेतावनी

तेल अवीव। भुतहा फिल्मों में अकसर कब्रिस्तान और श्मशान के दृश्य दिखाए जाते हैं, या फिर किसी पुराने और सुनसान किले का सीन दिखाया जाता है, जिसमें किसी दीवार पर या किसी और चीज पर चेतावनियां लिखी रहती हैं। ऐसी ही एक चेतावनी इजारयाल में खोजी गई है, जो पुरातत्वविदों के हाथ लगी है। इस खूनी चेतावनी को देखने के बाद एक बारगी पुरातत्वविद भी हैरान रह गये।

इजरायल के पवित्र भूमि में एक शापित मकबरे को खोजा गया है, जिसपर खूनी शब्दों में इसे खोलने वाले को चेतावनी देता है। इस शापित मकबरे में खौफनाक चेतावनी लिखी गई है और साफ साफ कहा गया है, कि इसे खोलने की कोशिश कतई ना की जाए और अगर किसी ने इस मकबरे को खोलने की कोशिश की, तो उसका अंजाम बुरा होगा। पुरातत्वविदों को ये शापित मकबरा एक प्राचीन कब्रिस्तान के भीतर एक नई खुली गुफा में, जो बेत शीअरीम में स्थित है, वहां के मकबरे में मिला है।

65 वर्षों की खोज के बाद मिला मकबरा

यूनेस्को द्वारा घोषित इस विश्व धरोहर स्थल पर 65 सालों के बाद कोई मकबरा मिला है, जिसपर लाल अक्षरों में चेतावनी लिखी गई है। ये जगह, लगभग उतना ही भयानक है, जितना भयानक अलादीन फिल्म में गुफा को दिखाया गया है, जहां अलादीन के हाथ में जादुई चिराग आती है। इस पर लाल अक्षरों में लिखा गया है कि, इसे खोलने की मूर्खता ना करें। लिहाजा इस मकबरे को शापित मकबरा कहा जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस पुरातत्वस्थल पर पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से खुदाई चल रही थी और पुरातत्वविदों के लिए ये एक बहुत बड़ी खोज है।

लिखी है खूनी चेतावनी

चित्रित रक्त-लाल चेतावनी में कहा गया है कि, याकोव हागर प्राण ले लेते हैं और उन्होंने इस कब्र को खोलने वाले किसी भी व्यक्ति को शाप देने की कसम खाई है, इसलिए कोई भी इसे खोलने की कोशिश ना करे, 60 साल पुरानी। हाइफा विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों में से एक, आदि एर्लिच ने बताया कि शाप यह सुनिश्चित करने के लिए लिखा गया था, कि मृत व्यक्ति का विश्राम स्थान शाश्वत बना रहे। उन्होंने कहा कि, ह्ययह दूसरे लोगों को मकबरे को खोलने से रोकने के लिए किया गया होगा, जो अक्सर होता था, क्योंकि समय के साथ कब्रों का फिर से इस्तेमाल कर लिया जाता था। टीम ने नोट किया कि यह खोज काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

1800 साल पुराना है मकबरा

पुरातत्वविदों के मुताबिक, ये मकबरा करीब 1800 साल पुराना है और याकोव हागर नाम का अनुवाद जैकब द प्रोसेलीट से किया गया है, जो यहूदी धर्म में परिवर्तित होने को संदर्भित करता है। और समूह का मानना है कि प्रतिलेखन अठारह सौ साल पहले कब्र पर चिह्नित किया गया था। प्रोफेसर एर्लिच ने मकबरे पर लिखे शब्दों को ट्रांसलेट किया है। उन्होंने कहा कि, शिलालेख रोमन या प्रारंभिक बीजान्टिन काल से है, जिसमें ईसाई धर्म को मजबूत किया गया था। और यहां हमें सबूत मिलते हैं कि अभी भी ऐसे लोग हैं जो यहूदी लोगों में शामिल होना चाहते थे। उन्होंने कहा कि, हम रोमन काल में धर्मान्तरित लोगों के बारे में ज्यादातर जानकारी उनकी अंत्येष्टि की प्रक्रियाओं से जानते है।

नहीं खोला जाएगा मकबरा

मूल गुफा की खोज एक साल पहले की गई थी, हालांकि भीतर की छोटी गुफाओं को हाल ही में खोला गया है। वहीं, पुरातत्वविदों की टीम ने फैसला किया है, कि मरे हुए आदमी की इच्छा का पालन करते हुए इस मकबरे को नहीं खोला जाएगा। प्रोफेसर एर्लिच ने कहा कि, ह्यहमने सिर्फ शिलालेख की देखभाल की और गुफा को कुछ समय के लिए सुरक्षित रखने के लिए अवरुद्ध कर दिया। फिलहाल कोई खुदाई की योजना नहीं है। इजराइल पुरातनता प्राधिकरण (आईएए) के पास अब यह अभिशाप शिलालेख है और यह बताया गया है कि इसे संभावित रूप से प्रदर्शित करने की योजना हो सकती है।

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