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ADITYA-L1 Mission Launch: आदित्य एल-1 लांच, इस मिशन से फायदा क्या होगा? कितनी लागत, जानें A To Z

ADITYA-L1 Mission Launch

ADITYA-L1 Mission Launch live: चांद को फतह करने के बाद इसरो ने आज सुबह 11.30 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से मिशन आदित्य लांच कर दिया। इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट की मदद से आदित्य एल-1 मिशन लांच किया है। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि इसरो सौर मिशन आदित्य-एल1 को रॉकेट और सैटेलाइट रेडी की मदद से लांच किया गया है। मिशन को लेकर शुक्रवार की सुबह 11.50 बजे से काउंटडाउन शुरू किया गया था। आदित्य-एल1 देश का पहला सूर्य मिशन है।

ADITYA-L1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने पहले सोलर मिशन का नाम ‘आदित्य-L1’ रखा है। इसके माध्यम से सूर्य के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त की जाएगी। अंतरिक्ष यान सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लार्ज्रेंज पॉइंट 1 (L1) के चारों ओर हेलो कक्षा है। यह जगह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।

ADITYA-L1: फिजिक्स में लार्ज्रेंज पॉइंट्स उन्हें कहते हैं, जहां दो पिंडों वाली गुरुत्वाकर्षण प्रणाली में एक छोटी वस्तु को रखा जाता है तो वह स्थिर रहती है। सूर्य और पृथ्वी जैसे दो पिंड सिस्‍टम के लिए लार्ज्रेंज बिंदु ऐसे ऑप्टिम पॉइंट्स बनते हैं, जहां स्पेसक्राफ्ट कम ईंधन में रह सकते हैं। सोलर अर्थ सिस्‍टम में पांच लार्ज्रेंज पॉइंट्स हैं। लार्ज्रेंज बिंदु L1 वह है, जहां आदित्य एल1 जा रहा है।​

आदित्य-L1 कैसे आगे बढ़ेगा
ADITYA-L1 : श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र SHAR से आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट लांच हुआ है। पृथ्वी की निम्न कक्षा में पहले इसे रखा जाएगा। इसके बाद कक्षा को अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा। आखिर में स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर लार्ज्रेंज बिंदु 1 की ओर धकेल दिया जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलकर आदित्य-एल1 का क्रूज स्‍टेज शुरू हो जाएगा। इसके बाद यह लार्ज्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर हेलो कक्षा में जाएगा। इसरो के अनुसार पृथ्वी से लार्ज्रेंज बिंदु 1 तक का सफर पूरा करने में चार महीने का समय लग जाएगा।​

आदित्य-एल 1 पर सात पेलोड लगे
ADITYA-L1 : आदित्य-एल 1 पर ऑन बोर्ड सात पेलोड लगे हुए हैं। इनमें चार रिमोट सेंसिंग पेलोड्स हैं। तीन इन सिटु पेलोड्स। आदित्य-एल 1 के उपकरण मुख्य रूप से क्रोमोस्फीयर और कोरोना सौर वातावरण का निरीक्षण करने के लिए ट्यून किया गया है।

आदित्य-एल 1 मिशन के उद्देश्‍य
इसरो की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस मिशन के ये उद्देश्य हैं:-

  1. सूर्य के ऊपरी वायुमंडल की गतिकी का अध्ययन।
  2. क्रोमोस्फीयर और कोरोना की हीटिंग, आंशिक आयनित प्लाज्मा के भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत का अध्ययन करना।
  3. सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा देने वाले इन सिटू कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण करना।
  4. सौर कोरोना और इसकी हीटिंग तंत्र की भौतिकी।
  5. कोरोनल और कोरोनल लूप्स प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।
  6. उन प्रक्रियाओं के अनुक्रम को पहचानना, जो कई परतों (क्रोमोस्फीयर, आधार और विस्तारित कोरोना) में होते हैं, जो अंततः सौर विस्फोटक घटनाओं की ओर ले जाते हैं।
  7. अंतरिक्ष मौसम के चालक (सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता)।

सूर्य मिशन पर खर्च कितना
ADITYA-L1: इसरो ने सूर्य मिशन पर साल 2008 में ही काम शुरू किया था। उस समय बजट की कमी की वजह से इसका काम रोक दिया गया था। इस बार सूर्य मिशन पर 400 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। आदित्य एल-1 को 2019 दिसंबर में बनाने का काम शुरू हुआ था। इसरो ने चंद्रयान-1 पर 615 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यह रूस, चीन और अमेरिका से काफी सस्ता रहा। रूस ने लूना-25 पर 1650 करोड़ रुपए खर्च किए थे। चीन ने चांग ई-4 पर 1365 करोड़ और अमेरिका ने आर्टेमिस पर 8.3 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

ये देश सूर्य पर भेज चुके हैं मिशन
ADITYA-L1: भारत से पहले अमेरिका, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और जर्मनी सूर्य पर मिशन भेज चुके हैं। सूर्य तक 22 बार मिशन भेजने की कोशिश की गई है। इनमें सिर्फ एक मिशन सूर्य पर के सैंपल जुटा पाया है। दरअसल, सूर्य पर 1.5 करोड़ डिग्री तापमान है। इतने तापमान का अर्थ है सैकड़ों हाईड्रोजन बम के बरामर ऊर्जा का होना।

Nasa ने सूर्य पर भेजा है सबसे ज्यादा मिशन
ADITYA-L1: नासा ने अब तक सूर्य पर सबसे अधिक मिशन भेजा है। नासा ने 1960 में पहला मिशन भेजा था। यह पायनियर-5 था। नासा ने 14 मिशन सूर्य पर भेजे हैं। जर्मनी और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर 5 मिशन लांच किए हैं।

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