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Janmashtami 2023: जन्माष्टमी 6 या 7 सितंबर को? 30 साल बाद दुर्लभ संयोग, ऐसे करें पूजा खुश होंगे कान्हा

Janmashtami 2023: जन्माष्टमी 6 या 7 सितंबर को? 30 साल बाद दुर्लभ संयोग, ऐसे करें पूजा खुश होंगे कान्हा

Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण पूजा का समय: 6 सितंबर, रात 11.57 से 7 सितंबर की सुबह 12:42 बजे तक

Janmashtami 2023 kab Hai:इस साल रक्षाबंधन की तिथि के बाद जन्माष्टमी (Janmashtami) की तिथि को लेकर भी लोगों में संशय है। पिछले कई दिनों से श्रद्धालु यह जानने की कोशिश कर रहे हैं जन्माष्टमी 6 सितंबर या 7 सितंबर को है। बहरहाल, 6 सितंबर की दोपहर 3:37 बजे अष्टमी तिथि शुरू होगी। इसका समापन 27 सितंबर की शाम 4:14 बजे होगा। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष संयोग है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) बन रहा है। इसी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म (Birth of Shri Krishna) हुआ था।

Janmashtami 2023: इसके अलावा सवार्थ सिद्धि (Sarvartha Siddhi Yoga) और रवि योग (Ravi Yoga) का भी निर्माण हो रहा है। वहीं, चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान होंगे। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के मुताबिक 30 साल बाद बाद ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है। यह व्रत के महत्व को बढ़ा रहा है। इसका असर सभी जातियों पर होगा। हालांकि कुछ राशियों पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा बरसेगी। जीवन में स्थाई सुख-समृद्धि पाना चाहते है तो जन्माष्टमी की रात 12 बजे केसर मिश्रित दूध से भगवान श्रीकृष्ण (lord shri krishna) का अभिषेक करें। इसके साथ ही जन्माष्टमी (Janmashtami) की शाम में घर में तुलसी के पौधे के पास घी का दीया जलाएं। इससे परिवार में चल रहे लड़ाई-झगड़े व क्लेश समाप्त हो जाएंगे।

Janmashtami 2023: 6 सितंबर 2023
इस दिन गृहस्थ जीवन वालों को जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाना शुभ रहेगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी है। लड्डू गोपाल का जन्म रात में हुआ था। कान्हा का जन्म मथुरा में हुआ था, इसलिए 6 सितंबर को मथुरा में भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

Janmashtami 2023: 7 सितंबर 2023
पंचांग के मुताबिक वैष्णव संप्रदाय के लोग इस दिन जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाएंगे। साधू-संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा-अर्चना का अलग ही विधान है। शास्त्रों में पंचदेवों के उपासक (गृहस्थ) यानी स्मात संप्रदाय के लोगों के लिए श्रीकृष्ण की उपासना के अलग तरीके बताए गए हैं। इस दिन दही हांडी (Dahi Handi 2023) उत्सव भी मनाया जाएगा।

जन्माष्टमी 2023 पर रोहिणी नक्षत्र (Janmashtami 2023 Rohini Nakshatra Time)
रोहिणी नक्षत्र शुरू: 6 सितंबर की सुबह 9:20
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 7 सितंबर की सुबह 10:25

जन्माष्टमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2023 Puja Muhurat)
श्रीकृष्ण पूजा का समय: 6 सितंबर, रात 11.57 से 7 सितंबर की सुबह 12:42 बजे तक

पूजा अवधि: 46 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण: सुबह 12.02

जन्माष्टमी 2023 व्रत पारण समय (Janmashtami 2023 Vrat Parana Time)
धर्म शास्त्र के मुताबिक वैकल्पिक पारण समय: 7 सितंबर की शाम सुबह 6.02 बजे के बाद
वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय: 7 सितंबर की सुबह 12.42 को कान्हा की पूजा के बाद

इस मंत्र का जाप करें
जन्माष्टमी के दिन ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप कर तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इससे परिवार में प्रेम का वातावरण बना रहेगा।

ये चीजें अर्पित करें, समस्या दूर होगीं
Janmashtami 2023:भगवान को इस दिन पीले फूलों की माला चढ़ाएं। पीले रंग के कपड़े, पीले फल, पीला अनाज और पीली मिठाई दान करना बेहद शुभ माना जाता है। इसकी वजह से धन लाभ के कुशल योग बनते हैं। आर्थिक समस्या दूर होने लगती है। कान्हा की पूजा करते समय पान का एक पत्ता भी चढ़ाएं। इस पत्ते पर सिंदूर से श्री लिखें और फिर पूजा करने के बाद उसे तिजोरी या फिर जहां पैसा रखते हों, वहाँ पर रख दें।

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का स्पेशल भोग
Janmashtami 2023: इस दिन श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग जरूर लगाएं। श्रीकृष्ण के जन्म पर उन्हें धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है। यह भोग धनिया पंजीरी पाउडर, घी, कटे बादाम, किशमिश, काजू और मिश्री के साथ बनता है। 21 मखाना पाग पारंपरिक जन्माष्टमी पर बनने वाला भोग है। मखाना के साथ घी, दूध और चीनी से बना, मखाना पाग छप्पन भोग का हिस्सा है।

ऐसे करें पूजा, रुके हुए काम पूरे होंगे
जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की प्रतिमा-मूर्ति को नई पोशाक पहनाएं। उन्हें भोग लगाएं और गोपी चंदन से शृंगार करें। इसके बाद राधा-श्रीकृष्ण मंदिर में वैजयंती फूलों की माला चढ़ाएं। इस उपाय से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है। उनकी कृपा से रुके हुए सभी काम पूरे होते हैं।

इन उपायों से संतान संबंधी शुभ समाचार मिलेंगे
जन्माष्टमी पर गाय और उसके बछड़े की सेवा करनी चाहिए। गाय और उसके बछड़े की मूर्ति घर ले आएं और बाल गोपाल की मूर्ति के पास रखें। फिर उसकी पूजा करें। यह करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से संतान से जुड़े शुभ समाचार सुनने को मिलते हैं।

महानगरों में पूजा का शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली: 7 सितंबर – 11:57 PM से 12:42 AM
कोलकाता: 7 सितंबर- 11:12 PM से 11:58 PM
मुंबई: 7 सितंबर- 12:14 AM से 01:00 AM
बेंगलुरु: 7 सितंबर- 11:55 PM से 12:41 AM

इन राशियों के लिए अतिशुभ फलदायक
कर्क राशि
इस राशि के जातकों पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा बरसेगी। विधि-विधान से पूजा-आराधना करने पर लाभ होगा। सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। मौत बाद मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलेगा। राधारानी और श्रीकृष्ण की एक साथ पूजा करें।

सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए इस साल की जन्माष्टमी शुभ साबित होगी। तरक्की के प्रबल योग हैं। बाल गोपाल की कृपा से कार्यों में सफलता हासिल होगी। सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होगी।

वृषभ राशि
इस राशि के लोगों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। भगवान श्रीकृष्ण की खास कृपा बरसेगी। मेहनत से किए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।

जन्माष्टमी की कथा
द्वापर युग के अंत में मथुरा में उग्रसेन राजा राज करते थे। उग्रसेन के बेटे का नाम कंस था। उसने अपने पिता उग्रसेन को बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डालवाया और खुद राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ तय हो गया। जब कंस देवकी को विदा करने रथ से जा रहा था तो आकाशवाणी हुई। हे कंस! जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से विदा कर रहा है, उसका आठवां पुत्र तेरा संहार कर देगा। यह सुनकर कंस देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया। उसने सोचा न देवकी होगी, न उसका पुत्र होगा। वासुदेव ने कंस को समझाया कि तुम्हें देवकी से तो भय नहीं है।

देवकी की आठवीं संतान से भय है, इसलिए मैं इसकी आठवीं संतान तुम्हे सौंप दूंगा। कंस ने वासुदेव की बात मान ली और दोनों को कारागार में बंद कर दिया। तत्काल नारद जी वहां आ पहुंचे और कंस से बोले-यह कैसे पता चलेगा कि आठवां गर्भ कौन-सा होगा। गिनती पहले से शुरू होगी या अंतिम गर्भ से। कंस ने नारद जी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालकों को एक-एक करके मार डाला। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

उनके जन्म लेते जेल की कोठरी में प्रकाश फैला। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान ने वास्तविक रूप प्रकट कर कहा- अब में बालक का रूप धारण करता हूं। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नंद के घर पहुंचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौंप दो। वासुदेव ने यही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया। कंस ने उस कन्या को मारना चाहा तो वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली कि मुझे मारने से क्या लाभ है? तेरा शत्रु तो गोकुल पहुंच चुका है। यह दृश्य देखकर कंस हतप्रभ हो गया। कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे। श्रीकृष्ण ने आलौकिक माया से सारे दैत्यों को मार दिया। बड़े होने पर कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया।

त्योहार पर खूबसूरत रंगोलियों से बढ़ाएं घर की शोभा
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के लिए झूला तैयार करना, सजाना, रंगोली बनाने का खास महत्व है। मान्यता है कि रंगोली से घर-आंगन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह घर में निगेटिव एनर्जी को आने से रोकती है। आप घर में श्रीकृष्ण डिजाइन की रंगोली बना सकते हैं। इसमें रंगों की मदद से श्रीकृष्ण के युवावस्था या बालरूप की आकृति को उकेरा जाता है। इस समय पोट्रेट स्टाइल की रंगोली काफी ट्रेंड में है।

मटका-बांसुरी रंगोली
आप अपने पूजा घर या आंगन में मटका-बांसुरी रंगोली भी बना सकते हैं। श्रीकृष्ण के सबसे पसंदीदा मक्खन से भरा मटका और मुरली को रंगोली डिजाइन में शामिल करना लाभदायक रहेगा।

मोर पंख रंगोली
भगवान श्रीकृष्ण को मोर का पंख अतिप्रिय है। आप इस दिन मोर पंख आकृति की रंगोली बना सकते हैं।

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