नई दिल्ली। लोकसभा में संविधान (127वां) संशोधन बिल पर चर्चा के बाद वोटिंग हुई और दो-तिहाई बहुत से बिल पास हो गया। सरकार ने इस बिल को ओबीसी समाज को मजबूत करने वाला बताया है. साथ ही कहा है कि इस बिल के पारित होने से राज्यों को अपनी ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा। माना जा रहा है कि इससे राज्य सरकारों द्वारा ओबीसी जातियों को आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। यही वजह है कि तमाम विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी तक, सभी प्रमुख दलों ने लोकसभा में इस संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि, विपक्षी दलों की तरफ से ये मांग भी रखी गई कि ओबीसी आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा देने का कानूनी अधिकार भी दिलाने की व्यवस्था की जाए।
आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा खत्म करने के लिए बढ़ सकता है दबाव
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के माध्यम से महाराष्ट्र में मराठा समुदाय से लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय को ओबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में शामिल करने और उन्हें आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद केंद्र सरकार पर आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा खत्म करने के लिए दबाव बढ़ेगा।
कांग्रेस ने किया विधेयक का समर्थन
कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में ओबीसी आरक्षण विधेयक का समर्थन किया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं और हम मांग करते हैं कि 50 फीसदी की सीमा को हटाने पर भी विचार किया जाए। कांग्रेस का कहना है कि यह सीमा हटने के बाद ही मराठा समुदाय और अन्य राज्यों में लोगों को इसका फायदा मिल पाएगा।
इसमें दो तिहाई बहुमत के समर्थन की जरूरत पड़ती है
चौधरी ने कहा कि कुछ प्रदेशों में आरक्षण की सीमा इससे ज्यादा है। तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण है। बाकी राज्यों को भी ये ताकत दी जाए कि वो आरक्षण को इस सीमा से बढ़ा सकें। उन्होंने कहा, ‘हम एक जिम्मेदार दल हैं। यह संविधान संशोधन विधेयक है और इसमें दो तिहाई बहुमत के समर्थन की जरूरत पड़ती है। इसलिए हम इसमें हिस्सा ले रहे हैं।’