नई दिल्ली। तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में भारत सहित किसी भी देश के इकोनॉमिक प्रोजेक्ट्स को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। इसके लिए तालिबान ने एक शर्त रखी है। शर्त ये कि ये देश बस अशरफ गनी सरकार द्वारा किए जा रहे गोलीबारी का समर्थन करना बंद कर दें। फिर अफगानिस्तान में उनके प्रोजेक्ट्स को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। तालिबान के इस बात पर भारतीय विदेश मंत्रालय अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह पहली बार है जब तालिबान ने कथित तौर पर भारत से समझौते की बात की है। तालिबान प्रतिनिधिमंडल अब तक ईरान, रूस और चीन जैसे देशों से बातचीत कर रहा है और कुछ हद तक इसी तरह के प्रस्ताव सौंप रहा है।
आर्थिक परियोजनाओं के पक्ष में है तालिबान
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि हम किसी भी देश द्वारा आर्थिक परियोजनाओं को लेकर धमकी नहीं दे रहे और न ही विरोध कर रहे। हम अफगानिस्तान में निवेश करने वाले देशों के पक्ष में हैं। हमने कुछ दिन पहले चीन की यात्रा की थी। चीन से हमारी मुख्य मांगों में से एक यह थी कि वे अफगानिस्तान के साथ व्यापार और निवेश में सहयोग करे।
अफगान सेना की कार्रवाई में पाक आतंकी ढेर
पाकिस्तान का झूठ एक बार फिर सामने आया है। पाकिस्तान लगातार तालिबान से अपने संबंधों को लेकर नकारता रहा है लेकिन अफगान सरकार तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाती रही है। ताजा मामले में आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़े एक पाकिस्तानी नागरिक अहमदी और दो तालिबानी कमांडरों सहित कम से कम 54 तालिबान आतंकी मारे गए हैं। ये सभी 3 अगस्त को अफगान वायु सेना की कारवाई में मारे गए हैं। इस हमले में कई आतंकी घायल भी हुए हैं।
अफगान सुरक्षा बलों के हमले हुए तेज
अफगानिस्तान रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि हेलमंद प्रदेश के बाहरी इलाके में हमले के दौरान अल-कायदा आतंकी नेटवर्क से जुड़े एक पाकिस्तानी नागरिक अहमदी सहित 54 तालिबान आतंकी, 2 तालिबान कमांडर मारे गए हैं। इस हवाई हमले में 16 अन्य घायल हो गए। अफगान सेना ने हवाई हमले तेज कर दिए हैं क्योंकि अफगानिस्तान में हिंसा में बढ़ोतरी देखी जा रही। यह बढ़ोतरी इसलिए देखी जा रही है क्योंकि तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों के साथ ही आम लोगों पर हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान ने पूर्वोत्तर प्रांत तखर सहित कई जिलों पर कब्जा कर लिया है। तालिबान ने 100 से अधिक डिस्ट्रिक सेंटर्स पर कब्जा कर लिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 34 प्रांतीय राजधानियों में से 17 को तालिबान से सीधे तौर पर खतरा है।