Sawan Maas 2021: भोलेनाथ को प्रिय मास सावन है और सावन मास में भूतभावन महाकाल की आराधना करने से वर्षभर की उपासना का फल प्राप्त होता है और भगवान शिव की कृपा भिवभक्त पर हमेशा बनी रहती है। शिव उपासना के उपक्रम में जलाभिषेक का विशेष महत्व है। महादेव सावन मास में जलाभिषेक से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं।
शिव जटा में है गंगा विराजमान
जगत के उद्धार के लिए महादेव ने मोक्षदायिनी गंगा को जटाओं में विराजित किया है। महादेव की आराधना अनेकों तरीके से की जाती है इनमें जलाभिषेक से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है शिवलिंग पर जल की धारा समर्पित करने से भक्तों के पापों का नाश होकर पुण्य की प्राप्ति होती है। मोक्ष की कामना रखने वाले शिवभक्त महादेव को जलाभिषेक से प्रसन्न करते हैं।
जल में है विष्णु का वास
शास्त्रों में जल का बहुत महत्व बतलाया गया है और इसको देवतुल्य माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार जल में विष्णु का वास माना गया है। शिव पुराण में शिव को साक्षात जल माना गया है। क्षीरसागर के स्वामी श्रीहरी जल की महत्ता बतलाते हुए कहते हैं कि जल से पृथ्वी का ताप कम होता है। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने से समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में मोक्ष मिलता है।
शिवलिंग है अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत
मान्यता है कि शिव जलाभिषेक से शरीर के अंदर मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह से जीवन में उमंग और तरंग का संचार होता है। सनातन संस्कृति के धार्मिक ग्रंथों में बतलाया गया है कि मस्तिष्क के केंद्र यानी इंसान के मस्तक के मध्य में आग्नेय चक्र विद्यमान होता है। इसको पिंगला और इड़ा नाडियों का मिलन स्थल माना जाता है। मानव की सोचने-समझने की शक्ति के संचालन के इस स्थल को शिव स्थान कहा जाता है। मानव मस्तिष्क को शांत और शीतल रखने के लिए शिवलिंग पर जल समर्पित किया जाता है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि ज्योतिर्लिंगों में रेडिएशन तत्व पाए जाते हैं, जो रेडियो एक्टिव ऊर्जा से समृद्ध होते हैं। इसलिए इस अक्षय ऊर्जा को शांत करने के लिए शिव जलाभिषेक किया जाता है।