Coronavirus: भारत में कोरोना की दूसरी लहर में इस वायरस के डबल वेरिएंट ( वेरिएंट बी.1.617) ने इंसानी जिंदगी पर काफी घातक हमला किया है। यह लोगों में इतनी तेजी से फैलकर जानलेवा बन रहा है की लोगों को संभलने का मौका नहीं मिल पा रहा है। मौजूदा टीका भी इसके सामने कम असरदार साबित हो रहा है।
तेजी से पैर फैल रहा है वेरिएंट बी.1.617
भारत में तेजी से पैर फैल रहे वेरिएंट बी.1.617 को लेकर कई तरह की चिंताएं सामने आ रही है। साइंस जर्नल नेचर ने इस वेरिएंट को लेकर प्रकाशित रिपोर्ट में यह दावा किया है कि यह बीमारी को जानलेवा बना रहा है। रिसर्च में शुरुआती संकेत मिले हैं कि मौजूदा टीके इसके संक्रमण को रोकने में ज्यादा कारगर नहीं हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के रिसर्चर डॉ. रवीन्द्र गुप्ता के मुताबिक उन्होंने यह खुलासा ने टीका लगवा चुके लोगों के सीरम पर रिसर्च करने के बाद किया है।
टीका है कं असरकारक
डॉ. रवीन्द्र गुप्ता का कहना है कि उन्होंने पाया उनमें बनी न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबाडीज इस वेरिएंट के खिलाफ 80 फीसदी कम क्षमता दिखाती हैं। इसको कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके लोगों में दोबारा संक्रमण के मामलों से भी जोड़कर देखा जा सकता है। इस रिपोर्ट में जर्मनी के वैज्ञानिकों की एक टीम के रिसर्च के नतीजों को भी शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में कोरोना से संक्रमित हो चुके 15 लोगों की न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबाडीज की जांच की और उन्हें डबल वेरिएंट के खिलाफ 50 फीसद कम प्रभावी पाया। रिसर्च टीम ने फाइजर टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों की एंटीबाडीज की जांच की तो उन्हें डबल वेरिएंट के खिलाफ 67 फीसदी कम असरदार पाया।
रिसर्च में बताया गया कि कोविशील्ड और आस्ट्रेजिनका वैक्सीन डबल वेरिएंट के खिलाफ काम कर रही है लेकिन पूर्व के वेरिएंट की तुलना में डबल वेरिएंट के खिलाफ उसका असर कम है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यह फाइनल परिणाम नहीं है। इसको लेकर और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।