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बिना आंखों वालों सलीम मियां लोगों को ऐसे पहुंचा रहे हैं मंजिल तक

अशोकनगर। अशोकनगर के रहने वाले सलीम खान वैसे तो जन्मांध है लेकिन अपने जीवन के लम्बे सफर में उन्होंने कई लोगों को राह दिखाई है। यही नहीं कंडेक्टरी का काम करने वाले सलीम मियां बस की आवाज सुनकर बता देते हैं कि यह बस किस कंपनी की है और कहां जाएगी।

कामयाबी नाम है जुनून का, ऐसे जज्बे का जिसे किसी बैसाखी की जरूरत नहीं होती है। 62 साल के सलीम मियां पर यह बात पूरी तरह से चरितार्थ होती है। अशोकनगर के नवीन बस स्टैंड पर स्टैंड कंडेक्टरी का काम करने वाले सलीम मियां जन्मांध हैं। बावजूद इसके वे बस की आवाज सुनकर बता देते हैं कि यह बस किस कंपनी की है व कहां जाएगी। इसके लिए वह बस को सिर्फ एक बार छूते हैं। जब इसकी असलियत सामने आई तो हर कोई हैरान रह गया क्योंकि इंजन बंद होने के बाद भी बस को छूते ही वे तुरंत बोल पड़े कि यह बस सत्य विजय कंपनी की है जो सागर जाएगी।

जन्म से अंधे है सलीम खान

शहर के आजाद मोहल्ला में जन्में सलीम मियां ने जन्म से अंधे होने के कारण भले ही दुनिया न देखी भले ही न हो लेकिन उन्होंने इसे महसूस जरूर किया है। सलीम खान बताते है कि, दस बारह साल का होते होते काम की तलाश में बसों में सफाई करने लगा फिर बस संचालकों और कंडक्टरों से पहचान हुई तो स्टैंड कंडक्टरी का काम करने लगा।

आवाज सुनकर बताते है कि बस कहां जाएगी

किताबी ज्ञान न होने के बाद भी सलीम मियां के पास व्यवहारिक ज्ञान का भंडार हैं। तमाम रूटों की बसों के विभिन्न स्टॉप, बसों के नंबर सहित तमाम बातें उन्हें जुबानी याद हैं। सलीम मियां दिव्यांगता से हिम्मत हारने वालों के लिए जिंदादिली की मिसाल हैं। आंखों में नूर न होने के बावजूद वह लोगों को मंजिल तक पहुंचाने में मदद करते हैं।

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