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विश्व तम्बाकू निषेध दिवस: तम्बाकू सेहत के लिऐ हानिकारक। फिर क्यों लोग इसे छोड़ नही पाते, आइए जानते है इसके पीछे कारण

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस: तम्बाकू सेहत के लिऐ हानिकारक। फिर क्यों लोग इसे छोड़ नही पाते, आइए जानते है इसके पीछे कारण

दुनिया भर में तम्बाकू के इस्तेमाल को कम या बंद करने के लिए हर साल 31 मई को ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ यानी विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।

इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को तंबाकू से होने वाले खतरों के बारे में समझाना और उन्हें जागरूक करना है.इस दिन संयुक्त राष्ट्र समेत कई वैश्विक संगठन मिलकर दुनिया भर में तम्बाकू के इस्तेमाल को कम कैसे किया जाए इसपर नई – नई रणनीतियां तैयार करते हैं। इस साल की थीम है “हमें खाने की आवश्यकता है, तम्बाकू की नहीं।”इस थीम के जरिए WHO किसानों को तम्बाकू उगाने के बजाय ज्यादा से ज्यादा अनाज उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हैं।

तम्बाकू में खैनी, गुटखा और सुपारी जैसी चीजें शामिल हैं, जो स्वास्थ के लिए खतरा है, तंबाकू से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से दुनियाभर में हर साल लगभग 80 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार तंबाकू से कई गंभीर बीमारियों के होने कारण सामने आए हैं जिसमें कैंसर एक प्रमुख बीमारी है.

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस: तम्बाकू सेहत के लिऐ हानिकारक। फिर क्यों लोग इसे छोड़ नही पाते,  आइए जानते है इसके पीछे कारण
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस: तम्बाकू सेहत के लिऐ हानिकारक। फिर क्यों लोग इसे छोड़ नही पाते, आइए जानते है इसके पीछे कारण

आखिर क्यों तम्बाकू का सेवन करना छोड़ नहीं पाते लोग

बतादें कि तंबाकू का सेवन करने वाले अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी होती है कि इससे कई जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं, फिर भी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है. अब जबकि लोग जानते हुए भी इसका सेवन कर रहे है आखिर क्या कारण है की लोग तम्बाकू का सेवन करना छोड़ नहीं पाते है? दरअसल जब किसी चीज की आदत हो जाती है तो इसे ‘लत’ का नाम दिया जाता है.

तबाकू की लत ऐसी है जिसने कई लोगो को जकड़ रखा है. जो लोग इसे छोड़ना चाहते हैं, उन्हें भी यह लत छोड़ने में बहुत कठिनाई होती है. अब सवाल है कि तंबाकू में ऐसा क्या होता है, जिसकी वजह से इसकी लत लग जाती हैं।

डिप्रेसिव लोगों को स्मोकिंग करते हुए देखा जाता है

बता दे की तंबाकू में निकोटिन नाम का एक नशीला पदार्थ होता है, जो शरीर में जाने पर कई गंभीर बीमारियों को जन्म देने का कारण बनता है. निकोटिन स्टीमुलेंट और सेडेटिव के रूप में काम करता है. जब कोई व्यक्ति सिगरेट के धुएं को सांस के जरिए अंदर लेता है तो इससे निकोटिन शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है. इस निकोटिन की वजह से मस्तिष्क में डोपामाइन नाम का एक केमिकल रिलीज होता हैं जिससे लोगों को अच्छा महसूस होता है।

निकोटिन को दिमाग तक पहुंचने में सिर्फ 10 सेकंड का वक्त लगता है. ऐसा देखा गया है जिन लोगों में डिप्रेशन की समस्या होती है, उनमें निकोटिन कम मात्रा में पाया जाता है. यही वजह है कि आपने कई बार डिप्रेसिव लोगों को स्मोकिंग करते हुए देखा जाता है।

तंबाकू से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

तंबाकू में मौजूद निकोटिन एक हार्मफुल केमिकल है, जिससे शरीर को कई घातक बीमारियां लग सकती हैं. तंबाकू से होने वाली एक प्रमुख बीमारी फेफड़ों का कैंसर’ है. इसके अलावा, इसके प्रभाव से ब्लड, ब्लैडर, लिवर, किडनी, पैनक्रियाज, कोलन और पेट सहित कई तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं, तंबाकू के सेवन से दिल से जुड़ी कई बीमारियां, जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिमागी दौरा, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ने का भी खतरा बना रहता है।

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