Mradhubhashi
Search
Close this search box.

कहां है नित्यानंद का कैलासा देश : रेप के फरार आरोपी ने कैसे बसा लिया अपना अलग देश

नई दिल्ली। विवादित स्वयंभू नित्यानंद इन दिनों काफी सुर्खियों में है। वजह है कि उसने यूनाइडेट स्टेट्स ऑफ कैलासा नाम का कथित देश बनाया और उसके प्रतिनिधियों ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा भी लिया। अपहरण और बलात्कार का आरोपी नित्यानंद साल 2019 में देश से भाग गया था। कुछ साल बाद पता चला कि उसने अपना एक देश बना लिया है। और ऑनलाइन नागरिकता भी दे रहा है। भारत से इसकी दूरी करीब 17 हजार किलोमीटर है।

कैसी है नित्यानंद के कैलासा की जिंदगी, यूनिवर्सिटी से लेकर पासपोर्ट तक का  है इंतजाम! – News18 हिंदी

नित्यानंद के बारे में बताया जाता है कि उसने इक्वाडोर के तट पर एक आइलैंड खरीदा है। आइलैंड के बारे में नित्यानंद दावा करता है कि यह उसका देश कैलासा है। हालांकि इक्वाडोर की सरकार ने दिलचस्प बात यह है कि इस देश की तस्वीरें आज तक कहीं देखने को नहीं मिली हैं। इसके विपरीत सोशल मीडिया पर इसके प्रतिनिधि कैलासा के बारे में लगातार कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, वह अपने देश के बारे में दुनिया भर के डिप्लोमेट्स से चर्चा करते हुए फोटो और वीडियो भी डालते रहते हैं।

इस कपोलकल्पित देश की एक वेबसाइट पर भी है, जिस पर कैलासा को एक आंदोलन बताया गया है। इसके मुताबिक इसकी नींव कनाडा और अमेरिका की हिंदू आदि शैव समुदाय ने रखी थी। इसे सभी हिंदुओं, चाहे वह किसी भी जाति, श्रेणी, वर्ग या जेंडर के हों, उनके लिए एक सुरक्षित स्थान बताया गया है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि यह लोग यहां पर शांतिपूर्वक रह सकते हैं और अपनी आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति को निर्भय होकर प्रस्तुत और प्रदर्शित कर सकते हैं।

कैलासा की कैसे मिलती है नागरिकता?


अब सवाल उठता है कि आखिर कैलासा की नागरिकता कैसे मिलती है। पिछले गुरुवार को यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा ने ई-नागरिकता के लिए लोगों से अप्लीकेशन मांगा। इसमें उसने दावा किया है कि उसके पास झंडा, संविधान, इकॉनमिक सिस्टम, पासपोर्ट और राष्ट्रीय प्रतीक भी है। कैलासा की वेबसाइट के मुताबिक इसके पास हर दूसरे देश की तरह ट्रेजरी, वाणिज्य, संप्रभु, आवास, मानव सेवा जैसे विभिन्न विभाग भी हैं। कैलासा का दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय हिंदू प्रवासियों के लिए घर और शरणस्थली है।

क्या कैलासा की देश के रूप में पहचान है?
यही वह सवाल है, जिससे नित्यानंद अभी भी जूझ रहा है। वह और उसके भक्त अपने कल्पना वाले देश के बारे में और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से मीटिंग की तस्वीरें पोस्ट करते रहते हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने अभी भी कैलासा को पहचान नहीं दी है। 1933 के मोंटेवीडियो कन्वेंशन के अनुसार, किसी क्षेत्र को देश कहे जाने के लिए जरूरी है कि उसके पास एक स्थायी आबादी, एक सरकार और अन्य देशों के साथ संबंध रखने की क्षमता होनी चाहिए। नित्यानंद ने इसी कोशिश के तहत कैलासा के प्रतिनिधि को यूनाइटेड नेशंस भेजा था। हालांकि यूएन ने विजयप्रिया नित्यानंद द्वारा पेश सभी चीजों को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि यूएन से पहचान मिलने के बाद ही किसी देश को वर्ल्ड बैंक और अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समुदायों से मदद मिलती है।

कैलासा को अमेरिका द्वारा मान्यता देने का दावा

भारत से भागने के बाद नित्यानंद ने दक्षिणी अमेरिका के इक्वाडोर में जमीन खरीदी और इसे अपना देश घोषित कर दिया. इसका नाम ‘कैलासा’ रखा। भारत से इसकी दूरी करीब 17 हजार किलोमीटर है। कैलासा की वेबसाइट पर दावा है कि कैलासा आंदोलन की शुरुआत अमेरिका में हुई। इसे नित्यानंद ने बसाया। संयुक्त राष्ट्र में विजयप्रिया नित्यानंद ने दावा किया कि ये हिंदुओं का एकमात्र और पहला संप्रभु देश है। आबादी को लेकर कैलासा की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि हिंदू धर्म को मानने वाले 200 करोड़ लोग उनके देश के नागरिक हैं। इनमें एक करोड़ आदि शिव को मानने वाले हैं। हालांकि, विजयप्रिया नित्यानंद ने संयुक्त राष्ट्र में दावा किया कि कैलासा में 20 लाख प्रवासी हिंदू रहते हैं। हाल ही में 13 जनवरी को कैलासा ने अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय समझौता होने का दावा किया है। ये भी दावा है कि अमेरिका ने कैलासा को मान्यता दे रखी है। विजयप्रिया नित्यानंद ने दावा किया था कि 150 देशों में कैलासा ने एम्बेसी और एनजीओ स्थापित किए हैं।

कैलासा का अपना संविधान, झंडा और करंसी है

कैलासा का अपना संविधान होने का दावा भी है। दावा है कि यहां शास्त्रों और मनुस्मृति पर आधारित कानून चलता है। यहां के लोग मनु के नियमों को मानते हैं. कैलासा की सरकार इसे ही सबसे जरूरी और आधिकारिक धर्म शास्त्र (हिंदू कानून की पुस्तक) मानती है। वेबसाइट के मुताबिक इस किताब के जरिए ही डेढ़ हजार साल पहले प्राचीन भारत में नियम और कानून का पालन किया जाता था। कैलासा की वेबसाइट का दावा है कि इस देश में दुनियाभर में सताए गए हिंदुओं को सुरक्षा दी जाती है।  यहां रहने वाले हिंदू जाति, लिंग का भेद किए बिना शांति से रहते हैं। कैलासा में अंग्रेजी, संस्कृति और तमिल भाषा बोली जाती है। देश का राष्ट्रीय पशु ‘नंदी’ है। देश का राष्ट्रीय फूल ‘कमल’ और राष्ट्रीय पेड़ ‘बरगद’ है। कैलासा ने अपना रिजर्व बैंक होने का दावा भी किया है। उसकी अपनी करंसी भी है। रिजर्व बैंक और करंसी अगस्त 2020 में लॉन्च की थी।  कैलासा की अपनी हिंदू यूनिवर्सिटी और गुरुकुल भी है। दावा है कि यूनिवर्सिटी में करीब 6 हजार कोर्सेस पढ़ाए जाते हैं। कैलासा का राष्ट्रीय ध्वज ‘ऋषभ ध्वज’ है. कैलासा के झंडे पर नित्यानंद की तस्वीर भी लगी है. इतना ही नहीं, इनका अपना राष्ट्रगान भी है। कैलासा की वेबसाइट पर हिंदी, अंग्रेजी और तमिल भाषा में राष्ट्रगान मौजूद है।

कौन है नित्यानंद?

– नित्यानंद का जन्म 1 जनवरी 1978 को तमिलनाडु में हुआ था. उसके पिता का नाम अरुणाचलम और मां का नाम लोकनायकी है।

– नित्यानंद ने 1992 में स्कूली पढ़ाई खत्म की. 1995 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. दावा है कि 12 साल की उम्र से ही उसने रामकृष्ण मठ में शिक्षा लेना शुरू कर दिया था।

– 1 जनवरी 2003 को नित्यानंद ने अपना पहला आश्रम बेंगलुरु के पास बिदादी में खोला. उसके बाद उसने कई आश्रम खोले।

– साल 2010 में नित्यानंद पर धोखाधड़ी और अश्लीलता का मामला दर्ज किया गया. उसकी एक सेक्स सीडी सामने आई थी। मामले में नित्यानंद को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन कुछ ही दिन में उसे जमानत मिल गई थी।

– साल 2012 में नित्यानंद पर दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ। इसके बाद नवंबर 2019 में फिर से उस पर दो लड़कियों के अपहरण और उन्हें बंदी बनाने का मामला दर्ज हुआ।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट