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अरुणाचल में नदी-तालाब और झीलों का पानी कांच की मानिंद पारदर्शी

अरुणाचल में नदी-तालाब और झीलों का पानी कांच की मानिंद पारदर्शी

नीना जैन/लाइफ कोच – मेघालय में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर और  और अरुणाचलप्रदेश में भारत-चीन   बॉर्डर होने और ऊंचाई वाले प्रदेश होने से दोनों ही प्रदेशों में हर थोडी-थोडी देर के बाद मिलिट्री पोस्ट और मिलिट्री एरिया कैंप आते ही रहते हैं। वे सामान्य नागरिकों को ऊंचाई पर पहुंचने में मदद करते हैं।

अरुणाचल प्रदेश में एंट्री के लिए  हम असम के तेजपुर से आगे  बढ़ने लगते है। अरुणाचलप्रदेश के दिरंग की आठ हजार फीट ऊंचाई के बाद ज्यों-ज्यों हम धीमे-धीमे और ऊंचाई पर पहुंचने लगते है,आॅक्सीजन लेवल कम होने लगता है। इसलिए सेना द्वारा चाय-कॉफी, गरम पानी के छोटे छोटे स्टॉल लगाए गए हैं। जहां हम थोडी देर रुककर अपने आप को सही आॅक्सीजन लेवल के अनुरूप तैयार कर सकें।

फिर और आगे बढ़ते हैं,अरुणाचल प्रदेश में 11500 फीट पर पहली बड़ी  मिलिट्री पोस्ट आती है  जिसे बैसाखी नाम दिया गया है। यहां सैनिकों द्वारा बहुत ही गर्मजोशी  और अपनेपन से बाहें फैलाकर स्वागत किया जाता है। वहीं पर सेना द्वारा एक कैंटीन में गर्म कपड़े और जूते भी रखे गए है ताकि इतनी ऊंचाई पर ठंड के लिए तैयार हो सकें।

कोई भी मौसम हो ऊपर तो ठंड ही रहती है। अभी जून माह में भी बैसाखी पोस्ट पर छ: डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ ठंडी हवा चल रही थी। यहां से जैकेट वगैरह खरीदकर ऐसा लगता है मानो हम भी अपना एक छोटा सा ही सही योगदान कर सके हैं। यहां से आगे 14500 फीट पर अगला पोस्ट सेला पास आता है इस पोस्ट  की अपनी एक कहानी है। सेला नाम की एक देशभक्त युवती थी, जिसे 1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण से बेहद दर्द और आक्रोश था। वो बचपन से ही  सेना के लिए विशेष आदर और सम्मान का भाव रखकर उनकी सहायता करती थी ।

वो छोटी सी कन्या युद्ध के समय भारतीय सैनिकों के लिए छुप-छुपकर खाना पानी लेकर जाती है।  परंतु उसके पिता चीनी सैनिकों के लिए जासूस बन जाते हैं। पिता के द्वारा सेला की जासूसी के कारण चीनी सैनिकों को इस  पोस्ट की जानकारी मिल जाती है और वो यहां के आखरी सैनिक जो बहादुरी से लड़ रहा था उसे और सेला के पिता दोनों को मार देते है। यह देखकर सेला  इसी खाई में कूद कर आत्महत्या कर लेती है। उसी छोटी सी देशभक्तकन्या की देशभक्ति को आदर-मान और प्रेम देने के लिए इस मिलिट्री पोस्ट पर सेला को विशेष सम्मान दिया गया है।

इस वैली को वैली आॅफ पैराडाइज भी कहा जाता है यहां जो झील है उसे भी पैराडाइज झील नाम दिया गया है जो एक बेहद स्वच्छ सुंदर झील है। यहां अरुणाचलप्रदेश में अभी वाहनों का आवागमन कम होने से वायु प्रदूषण कम है। तकनीकी विकास की दर कम होने से और पर्यटकों की आवाजाही कम होने से अभी धरती का यह हिस्सा प्रदूषण से मुक्त है। इसलिए यहां नदी, ताल और झीलों का पानी कांच की मानिंद पारदर्शी है। पर्वत पूर्ण रूप से वृक्ष आच्छादित हैं।

पूरे पर्वत पर बैसाखी पोस्ट से सेला पोस्ट तक अनगिनत तेज झरने मिलते हैं।  हर पचास मीटर पर डेढ़ दो सौ मीटर ऊंचाई से तेज-तेज गिरते झरने देख कर एहसास होता है की हमारा अपना भारत देश प्रकृति के हर रंग से भरपूर रंगा हुआ है। हम क्यों जाएं नियाग्रा फॉल्स या हरियाली देखने स्कॉटलैंड। आइए अपने देश-अपने घर को ही समृद्ध करते हैं। हमारे अपने देश के पर्यटन को बढ़ावा देते हैं

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