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पेड़ के ट्रांसप्‍लांट से शुरू हुई संस्‍था, अब तक लगाएं 1200 पौधे, इस बार डीआरपी सहेजेंगे

पेड़ के ट्रांसप्‍लांट से शुरू हुई संस्‍था, अब तक लगाएं 1200 पौधे इस बार डीआरपी सहेजेंगे

बारिश में डीआरपी लाइन कैंपस में संस्‍था लगाएगी 6 से 15 फीट हाईट के 450 पौधे, संस्‍था का फोकस पौधे लगाने से ज्‍यादा सहेजने पर

आशीष यादव/धार – मानूसन का दौर शुरू हो चुका है। बारिश आते ही हर तरफ हरियाली नजर आती है, लेकिन जैसे-जैसे मौसम बदलता है, वैसे-वैसे हरियाली गायब होने लगती है। इसे संरक्षित करने के लिए हर साल सरकारी तंत्र बड़ेे पैमाने पर पौधारोपण करता है। लेकिन इसका असर जगजाहिर है। लेकिन धार शहर में एक ऐसी संस्‍था पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रही है, जो पौधे लगाने से ज्‍यादा उन्‍हें सहेजने पर ध्‍यान देकर काम करती है। पौधे लगाने से लेकर उन्‍हें बड़ा करने और संरक्षण पर संस्‍था का हर सदस्‍य रोजाना एक घंटे श्रमदान करता है। यहीं कारण है कि एक के बाद एक नए उपवन की तर्ज पर वाटिकाएं संस्‍था ने तैयार की है।

हम बात कर रहे है पर्यावरण की दिशा में काम करने वाली संस्‍था ‘आओ सहेजे धरा’ की। जिसने महज तीन साल में पौधारोपण के मायने और उनके संरक्षण का सही अर्थ लोगों को समझाया है। गत वर्ष की ही तरह इस बार भी संस्‍था ने नया उद्देश्‍य लेकर डीआरपी पुलिस लाइन धार को हरा-भरा करने की दिशा में काम शुरू किया है। हालांकि बारिश के पहले से यहां पर संस्‍था के सदस्‍य सक्रिय होकर काम कर रहे है। शहर के आधुनिक बस स्‍टैंड निर्माण के दौरान जिन पेड़ों को ट्रांसप्‍लांट किया गया, उन्‍हें डीआरपी लाइन में लगाया गया है, उनकी देखरेख आओ सहेजे धरा के सदस्‍य ही कर रहे है।

इस बार संस्‍था डीआरपी लाइन में बड़े स्‍तर पर पौधारोपण करने जा रही है। संस्‍था ने डीआरपी लाइन में अब तक 127 पौधे लगाए है, जिनकी गर्मियों में संस्‍था के सदस्‍यों ने देखरेख खुद की और उन्‍हें गर्मी में मूरझाने और सूखने से बचाए रखा। लेकिन इस बार बारिश में 450 पौधे लगाने की तैयारी है। इसके लिए गड्ढे तैयार हो चुके है। अब इनमें अर्जुन, अनार, शहतूस, बड़, पीपल, नीम, अमलताश, जाम जामुन, आंवला, कटहल, मोहगानी, कचनार, कबीट, आम और सीताफल जैसे पौधों को लगाया जाना है। संस्‍था ने इनके 6 से 15 फीट हाईट के पौधे बुलवाए है, जो धार पहुंच गए है।

सिर्फ एक ही सहेजने की जरूरत : संस्‍था के सदस्‍य चेतन राव पंवार ने बताया इस बार 6 से 15 फीट हाईट तक के पौधे बुलवाए गए है। ये करीब 4 से 5 उम्र के है। इस तरह के पौधे लगाने के पीछे का कारण यह है कि इन्‍हें सिर्फ 1 साल की देखरेख की जरूरत होती है। इसके बाद ये खुद ही बढ़ने लगते है। साथ ही फल-फूल भी देने लगते है। ऐसे में संरक्षण के लिए वक्‍त कम देना पड़ेगा। यह वक्‍त किसी दूसरी जगह को सहेजने में काम आएगा।

पेड़ के ट्रांसप्‍लांट से शुरू हुई संस्‍था, अब तक लगाएं 1200 पौधे, इस बार डीआरपी सहेजेंगे
पेड़ के ट्रांसप्‍लांट से शुरू हुई संस्‍था, अब तक लगाएं 1200 पौधे, इस बार डीआरपी सहेजेंगे

इस तरह हुई शुरूआत :

आओ सहेजे धरा को वर्तमान में शहरभर में अच्‍छी पहचान मिल चुकी है। लेकिन इसकी शुरूआत वर्ष 2019 में उस वक्‍त हुई थी, जब किसी कारण एक पुराने बड़ के पेड़ को काटा जा रहा था। संस्‍था के सदस्‍यों ने इसका संरक्षण करने का फैसला किया और पेड़ का ट्रांसप्‍लांट करवाया। इसी कदम ने सदस्‍यों को प्रकृति से जोड़ दिया और इसी वर्ष संस्‍था सदस्‍यों ने मिलकर गुलाब चक्‍कर स्थित प्राचीन मंदिर की पहाड़ी पर 40 पौधे लगाए। साथ ही उनकी देखरेख करना शुरू की।

इस बीच आए कोरोनाकाल और लॉकडाउन ने पेड़ों और ऑक्‍सीजन के महत्‍व से रूबरू करवाया तो संस्‍था ने एक कदम आगे बढ़ाकर पौधे लगाने के साथ-साथ उनके संरक्षण का भी प्रण लेकर काम करना शुरू कर दिया। ऐसे में संस्‍था के सदस्‍यों ने जो पौधे टेकरी पर लगाए उन्‍हें बचाने के लिए ट्री गार्ड और 1500 लीटर पानी की टंकी की व्‍यवस्‍था करवाई। इसका परिणाम है कि आज गुलाब चक्‍कर स्थित मंदिर की टेकरी पर 165 पौधे अब पेड़ का स्‍वरूप ले रहे है और हरियाली लहलहा रही है।

1200 तक पहुंचा आंकड़ा :

एक छोटी सी शुरूआत के बाद संस्‍था के सदस्‍य नहीं रूके और अपने कदम आगे बढ़ाकर काम शुरू किया तो वह हरियाली और प्रकृति के प्रति एक अभियान का रूप ले चुका था। संस्‍था में तब से लेकर अब तक 18 सदस्‍य सक्रिय रूप से काम कर रहे है, जिन्‍होंने अब तक 1 हजार 200 पौधे लगाए है। खास बात यह है कि जिन पौधों को लगाया गया, उनके संरक्षण का भी जिम्‍मा संस्‍था सदस्‍यों ने ही निभाया। गत वर्ष संस्‍था ने विभिन्‍न स्‍थानों पर 700 से अधिक पौधे लगाए थे। जबकि इस बार भी पौधारोपण के लिए गड्ढेे और पौधे दोनों तैयार है……अब बस बारिश का इंतजार किया जा रहा है।

इन अभियानों में भी बढ़ाई सक्रियता : संस्‍था सिर्फ पौधारोपण तक ही सीमित नहीं रही, इसके बाद कुछ सालों में संस्‍था सदस्‍यों ने जल संरक्षण और स्‍वच्‍छता अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। खासतौर पर जलाशयों और कुएं-बावडि़यों की सफाई से लेकर सेहत के प्रति जागरूकता वाले कार्यक्रम योग भी इसमें शामिल है। वहीं धार्मिक दृष्टि से महत्‍वपुर्ण घाटों और कुंडों की भी सफाई का अभियान संस्‍था द्वारा हर वर्ष चलाया जाता है।

अब आगे क्‍या?

वर्तमान में भुमाई वेलफ़ेयर फ़ाउन्डेशन धार के नाम से अब संस्‍था आओ सहजे धरा अभियान संचालित कर रही है। आने वाले वर्ष 2023-2024 में अधिक से अधिक पौधा रोपण के लिए संस्‍था द्वारा 5 किमी के क्षेत्र में शासकीय बंजर व अनपयोगी भूमि की तलाश कर रही है। जहां पर वृहद पैमाने पर पौधारोपण कर उपवन तैयार किया जा सके।

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