विजेंद्र उपाध्याय/देवास – पार्षदों की समस्या को लेकर कल निगमायुक्त भाजपा कार्यालय पहुँचे। जहाँ मीडिया के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि हम अधिकारी तो मंदिर, मस्जिद, कार्यालय कही भी चले जाते है। हम तो कांग्रेस कार्यालय भी गए है।
साथ ही अन्य सवाल जिस पर उन्होंने समस्याओं को लेकर कहा कि नगरनिगम रामराज्य जैसा नही चलता है। सबकी अपनी -अपनी समस्याएं है। इस बात पर विपक्ष ने निगमायुक्त को सोशल मीडिया पर घेरना शुरू किया। और उनके द्वारा राम राज्य की बात पर सवाल किए जा रहे।
उनके बयान को पलट कर लिखा जा रहा है कि निगमायुक्त ने कहा कि नगर निगम में राम राज्य नही चलेगा।
जबकि अपने बयान में उन्होंने कहा कि नगर निगम कोई राम राज्य जैसा नही चलता है। यहां सबकी अपनी -अपनी समस्या है।
वही विपक्ष यह भी भूल गया कि प्रदेश में 15 माह की सरकार में कितने अधिकारी प्रायवेट ऑफिस तक जाने लग गए थे। कुछ अधिकारियों के तो पैर पड़ते फ़ोटो तक वायरल हुए थे। खेर यह राजनिति है, जो चलती रहेगी। लेकिन एक बात यह जरूर स्पष्ट हो चुकी है कि सच मे राम राज्य नही है।
राम राज्य का मतलब होता है।
एक आदर्श राज्य, सुशासित राज्य…
जहाँ हर ओर खुशहाली हो,
हर व्यक्ति सुखी हो, किसी की कोई समस्या न हो।
जो राजनीतिक खींचतान में मुश्किल ही लग रहा है।