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बारिश के मौसमी सीजन में बीमारियों से बचने के लिए रखे सावधानी

बारिश के मौसमी सीजन में बीमारियों से बचने के लिए रखे सावधानी

इस मौसम में एक गलती दे सकती है मौसमी बीमारियों को न्योता

आशीष यादव/धार – मौसम का बदलना एक खूबसूरत अनुभव है. ज्यादा लोग मौसम के बदलने पर बीमार पड़ने लगते हैं. खासकर बच्चों को एलर्जी और इंफेक्शन से सर्दी-खांसी जैसी कई समस्याएं हो जाती हैं. हम अपने बच्चों को बीमारी से दूर रखने के लिए अपने स्तर पर लगातार प्रयास करते हैं.

वही वर्षा ऋतु आते ही हर तरफ आनंद, उल्लास व उमंग सा माहौल बन जाता है, लेकिन इस मौसम में स्वास्थ्य के प्रति जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। बरसात मौसमी व अन्य बीमारियों को न्योता देती है।

ऐसे में तापमान में उतार-चढ़ाव, वातावरण में बढ़ी हुई नमी, उमस भरे मौसम से अत्यधिक पसीने का बहना, कपड़ों में मौजूद नमी व गीलापन और मच्छरों के प्रजनन के लिए मौसम की अनुकूलता आदि सहित तमाम कारणों से मौसमी बीमारियां घर कर जाती हैं।

यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने भी मौसमी बीमारियों को लेकर एडवायजरी जारी की है। सीएमएचओ डॉ.नरसिंह गोहलोद का कहना है कि इस मौसम में सावधानी रखना बेहद जरूरी है।

इस मौसम में होने वाली बीमारियां:

वही डॉ राजेश जर्मा ने बताया कि मौसम परिवर्तन होने बच्चो में सर्दी, जुकाम, वायरल बुखार तापमान में उतार-चढ़ाव के साथ ही इस मौसम में कई जीवाणु व कीटाणु हमारे आसपास मौजूद रहते हैं, जो नाक, मुंह या आंखों के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सर्दी, जुकाम, खांसी व के कारण होते हैं। वायरल बुखार कर सकते हैं।

मच्छर जनित बीमारियां

वही बारिश होने पर घरों के आसपास पानी नही भरने दी जिसे बीमारियों पनपे क्योंकि की गड्ढों में भरा हुआ बारिश का पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए उपयुक्त माना जाता है, जो कई मच्छर जनित बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया का कारण बनता है।

टाइफाइड व पीलिया

बरसात में बैक्टीरिया अधिक पनपते है, जो पानी व खाद्य पदार्थ की आसानी से दूषित कर टाइफाइड व पीलिया को आमंत्रित करते हैं। पेट में ऐंठन व दर्द के साथ ही उल्टी-दस्त व बुखार की शिकायत होती है। इसलिए बाहर के खाने को लेकर विशेष ध्यान देना होगा इस मौसम में खान-पान का भी ध्यान रखना होगा। डॉ नंदिता निगम ने बताया कि गर्मवती महिलाओं को मौसम के साथ अपने स्वास्थ को लेकर भी ध्यान देना होते है।

टाइफाइड व पीलिया, बारिश के मौसमी सीजन में बीमारियों से बचने के लिए रखे सावधानी
टाइफाइड व पीलिया

त्वचा संबंधी बीमारियां

बरसात के मौसम में सबसे आम संक्रमणों में से एक है दाद, जो किसी कीड़े के कारण नहीं होता। यह तेजी से फैलने वाला फंगल इंफेक्शन है, जो सामान्य फफूंद जैसे परजीवियों के कारण होता है। दाद की समस्या त्वचा की बाहरी परत की सेल्स पर होती है यहवातावरण में नमी के चलते इस मौसम में दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी होना आम बात है। ज्यादातर केस में त्वचा संबंधी विकार फंगल इंफेक्शन

नेत्र रोग

बारिश व उमस भरे इस मौसम में आंखों का संक्रमण आम है। जिसमें आंखों में खुजली, लालिमा, पलके झपकाने पर दर्द की शिकायत होती है। कभी-कभी आंखों में सूखेपन की शिकायत भी हो सकती है। जो बारिश के मौसम में हो जाता है। यह संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से फैलता भी है। यह स्थिति बैक्टिरियाओर वायरस के कारण तो होती ही है लेकिन एक्‍सपायर्ड कॉस्‍मेटिक्‍स, कॉन्‍टेक्‍ट लैंस कीसफाई और स्विमिंग पूल में ब्‍लीच भी इसका कारण बन सकते हैं।

ये रखे सावधानियां

-स्वच्छ, उबला पानी ही काम में लें।

  • ताजा, संतुलित व पौष्टिक आहार का ही सेवन करें।
    -स्ट्रीट फूड, बासी खाने से परहेज
    -खाना बनाने, परोसने व खाने से पहले हाथों को साबुन से धोएं।
  • तैयार की गई खाद्य सामग्री को ढककर ही रखें।
    -सब्जियों व फलों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उपयोग में लें।
    -मच्छरों से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी या मच्छर रोधी क्रीम का प्रयोग करें।
    -खिड़की दरवाजों पर मच्छर जाली लगवाएं।
    -घर के आसपास व छतों पर पानी एकत्रित ना होने दें।
    -शरीर को पूर्णतया ढकने वाले कपड़े पहनें।
  • बारिश में भीगने पर तुरंत कपड़े बदलें। साफ व सूखे कपड़े पहनें।
    थोड़े-थोड़े अंतराल में पानी पीते रहें ।
  • सर्दी, जुकाम, खांसी व वायरल के मरीज के संपर्क में आने से बचें।
  • बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखें। कमजोर रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के चलते इन्हें इस मौसम में अधिक खतरा रहता है।
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