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सफलता की कहानी: कृषक युवराजसिं की विविधिकरण खेती बनी संवहनीय आजीविका का माध्यम

अलीराजपुर। जिला मुख्यालय से करीब 8 किमी दूर ग्राम छोटा उंडवा के कृषक श्री युवराजसिंह के लिए विविधकरण खेती संवहनीय आजीविका का माध्यम सिद्ध हो रही है। करीब 19 हैक्टेयर क्षेत्रफल में उक्त कृषक ने आधुनिक तकनीक से कृषि का लाभ का व्यवसाय बनाकर सिद्ध किया है कि थोडी मेहनत और आधुनिक कृषि पद्धति से कृषि से लाभ कमाया जा सकता है।

उन्होंने फसल विविधिकरण हेतु भूमि पर पक्का कुऑ, छोटा तालाब, ड्रीप सिंचाई एंव पाईप लाईन द्वारा सिंचाई करते हुए कृषि के आधुनिक यंत्रों ट्रेक्टर, रोटावेटर, थ्रेषर, सीडड्रील, बेड प्लान्टर से कृषि की। एक एकड में नेट हाउस लगाया। वे उडद, मक्का, सोयाबीन, कपास तथा फलवाली फसलें जैसे आम, अमरूद, पपीता आदि की फसलें ले रहें है। रबी सीजन में वे गेहूॅ, चना तथा फल, फूल एवं सब्जी की फसलें जैसे स्ट्राबेरी, खरबूज, तरबुज, लहसुन, नवरंग किस्म का गेन्दा, षिमला मिर्च आदि की फसलें ले रहें है। कृषक श्री युवराजसिंह बताते है कि पारंपरिक तरीके से फसल करने में ज्यादा लाभ नहीं मिलता था।

उनके अनुसार करीब 19 हेक्टयर जमीन है, जिसमें पहले परम्परागत्/पुरानी पद्वति से खरीफ में उडद, मक्का, सोयाबीन, कपास आदि की फसल करते थे, एवं रबी में पानी की सुविधा नहीं होने से देषी चने की फसल वर्षा आधारित नमी से करते थे। अधिकतर बुआई देषी बीज का उपयोग करते थे, एंव रासायनिक खाद एंव दवाईयों का उपयोग बहुत कम करते थे। जिससे उत्पादन प्रति हेक्टयर उडद में 03 से 04 क्विंटल, मक्का में 10-12 क्विंटल, सोयाबीन 6-8 क्विंटल , कपास 5-6 क्विंटल एंव गेहूॅ 7-8 क्विंटल व चना 6-7 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त होता था। इतनी अधिक जमीन होने के बावजूद भी उत्पादन कम होने से परिवार का गुजर बसर ठीक से नहीं हो पाता था। लगभग 7-8 वर्ष पूर्व में कृषि विभाग के अधिकारीयों के सम्पर्क में आया जिनके द्वारा मुझे विभागीय योजनाओं की जानकारी के साथ खेती की उन्नत तकनीकीयों की जानकारियां मिली। शासन की विभागीय योजनों से अनुदान पर मेरे द्वारा कृषि कार्य करने हेतु आवष्यक साधन जिसमें कूप, पाईप लाईन, ड्रीप, नेट हाउस, थ्रेषर, रोटावेटर की व्यवस्था हुई।

नवीन तकनीकी अपनाकर बदली तकदीर

युवराजसिंह बताते है कृषि कार्य करने के आवष्यक साधन जुटाने के बाद मेरे द्वारा केवीके, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषि की बताई गई नई तकनीकों से खेती करना प्रारम्भ किया, जिसमें मेरे द्वारा वर्ष 2017-18 में उद्यानिकी विभाग के माध्यम से अनुदान पर 01 एकड़ क्षेत्र में नेट हाउस का निर्माण करवाया गया। जिसमें मेरे द्वारा फसलो का सीजन एवं बिना सीजन के वर्षभर उद्यानिकी फसलें जैसे-खीरा, ककडी,षिमला मिर्च, तरबूज,खरबूज,स्ट्राबेरी आदि फसले करता हूॅ, जिससे मुझे कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। तथा बिना सीजन उत्पादन लेने पर अधिक बाजार किमत उपज की प्र्राप्त होतीहै। जिससे मेरी आय में लगातार वृद्वि/बढोतरी हो रही है।

फसल विविधिकरण को अपनाया

युवराजसिंह बताते है वर्तमान में वे लगभग 03 हेक्टयर क्षेत्र में फसल विविधिकरण पद्वति से फसल ले रहे है, जिसमें मुख्य फसल के रूप में आम के लगभग-1000 पौधे तथा अमरूद के 100 पौधे लगा रखे है, जिसमें लगाये गये अंतवर्तीय फसल के रूप में नवरंग किस्म के फूल के पौधे, लहसुन फसल तथा पपीता के 700 पौधे एवं तरबूज के 15000 पौधे लगा रखे है, जिससे मुझे आम ओर अमरूद मुख्य फसल से आमदनी आने के पूर्व अतिरिक्त आमदनी बहुत अधिक हो रही है। शेष 16 हेक्टयर भूमि मंे से उन्नत तरिके से 05 हेक्टयर क्षेत्र में गेहूॅ की फसल ओर 02 हेक्टयर क्षेत्र में चना फसल लेता हूॅ, जिसका वर्तमान उत्पादन लगभग-गेहूॅ में 25-30 क्विंटल व चने में 10-12 क्विंटल उत्पादन है। कृषि उत्पादन के साथ-साथ मैंरे द्वारा पशुपालन भी किया जा रहा है।

मेरे पास कुल भैंसे-08, गाय-04 (दुधारू) है, जिससे मुझे लगभग प्रतिदिन 100 लीटर दुध प्राप्त होता है। जिसे मेरे द्वारा स्थानीय बाजार में 55 रूपये लीटर बेचकर आय प्राप्त होती है। वर्तमान में नवीन तकनीकी से खेती करने पर मेरी आय लगभग तीन गुना बढ गई है। जिससे मेरी परिवार की स्थिति सुदृढ हो गई है। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारीयों एवं कृषि वैज्ञानिकों को धन्यवाद देते हुए बताते है उनके मार्गदर्षन से मेरी आय में तीन गुना वृद्वि हुई है। उप परियोजना संचालक आत्मा श्री बीएस बघेल ने बताया श्री युवराजसिंह ने फसल विविधिकरण पद्धति से कृषि कर उन्नत कृषि को अपनाया। आज वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है।

अर्चित अरविन्द डांगी { मध्यप्रदेश, रतलाम }

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