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Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: 11 देशों ने दी थी नेताजी सुभाष बोस की सरकार को मान्यता, जानिए उनके जीवन से जुड़े खास पहलू

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: एक बेहद रसूखदार घराने में जन्म लेने और उच्च शिक्षित होने के बावजूद नेताजी सुभाषचंद बोस ने देशसेवा को चुना और सभी सुख सुविधाओं को छोड़कर उन्होंने अपने वतन से रुखसत होकर विपरीत परिस्थितियों में फिरंगियों के खिलाफ आवाज बुलंद की और जंगलों की खाक छानते हुए उनके खिलाफ सेना खड़ी कर युद्ध लड़ा। उनकी मृत्यु पर आज तक रहस्य का परदा पड़ा हुआ है। शनिवार 23 जनवरी को को राष्ट्र उनकी जयंती मनाएगा।

ओडिशा के कटक में हुआ था जन्म

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। पिता जानकीनाथ कटक शहर के एक नामचीन वकील थे। द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने के लिए उन्होंने जापान की सहायता से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज के सेनापति की हैसियत से सुभाष चंद्र बोस ने आजाद भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी। इस सरकार को जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशों ने मान्यता दी थी।

राष्ट्रसेवा के लिए आईसीएस से दिया त्यागपत्र

सुभाषचंद्र बोस ने प्राइमरी शिक्षा कटक से ली और उसके बाद रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया। उन्होंने 15 साल की उम्र में विवेकानंद साहित्य का अध्ययन कर लिया। 49वीं बंगाल रेजीमेंट में भर्ती के लिए उन्होंने इम्तिहान दिया, लेकिन आंखें खराब होने की वजह से सेना में उनको प्रवेश नहीं मिल पाया। उन्होंने 1919 में बीए (ऑनर्स) की परीक्षा पास की। उनके पिता की ख्वाहिश थी कि वह आईसीएस बनकर खानदान का नाम रोशन करे। इसके लिए 1919 में वह लंदन चले गए। 1920 में प्राविण्य सूची में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए नेताजी सुभाष ने आईसीएस की परीक्षा पास की। लेकिन नेताजी सुभाष को अंग्रेजों की गुलामी रास नहीं आई और एक साल बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

एमिली शेंकल से किया था प्रेम विवाह

साल 1934 में नेताजी सुभाष ऑस्ट्रिया में इलाज करवाने के लिए गए। उस वक्त उनको अपनी किताब लिखने के लिए एक अंग्रेजी टाइपिस्ट की आवश्यकता थी। ऐसे में उनकी मुलाकात एमिली शेंकल नाम की एक महिला से हुई। सुभाष को एमिली से प्रेम हो गया और दोनों ने शादी कर ली। सुभाषचंद्र बोस 1942 को एडॉल्फ हिटलर से मिले थे।

मृत्यु को लेकर रहस्य है कायम

18 अगस्त 1954 को बोस हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे। इस दौरान वे लापता हो गए। 23 अगस्त को टोकियो रेडियो ने बताया कि नेताजी सुभाष का विमान ताइहोकू एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि 2005 में ताइवान सरकार ने मुखर्जी आयोग को बताया कि 1945 को कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। आयोग ने इस संबंध में भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की लेकिन सरकार ने रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया।

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