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अनाथों की मां सिंधुताई सपकाल का निधन, समाज सेवा के लिए मिले थे 750 से अधिक पुरस्कार

पुणे। अनाथों की सेवा करने वाली भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित सिंधुताई सपकाल का मंगलवार को पुणे  में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 73 साल की थी। उनका निधन रात 8 बजकर 10 मिनट पर हुआ।

जानकारी के मुताबिक एक महीने पहले सिंधुताई सपकाल का हार्निया का ऑप्रेशन हुआ था। उनका इलाज पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में चल रहा था। जहां आज उन्होंने अंतिम सांस ली।

सिंधुताई सपकाल के निधन पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। गडकरी अपने आधिकरिक ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट कर कहा, “वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और ‘अनाथों की माता’ के नाम से मशहूर सिंधुताई सपकाल के निधन की खबर सामने आई। उन्हें मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित सिंधुताई ने कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हुए हजारों अनाथों की देखभाल की।”

सिंधुताई सपकाल का परिचय

सिंधुताई सपकाल एक गरीब घर से थी, जिन्होंने उन्हें अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना किया। उन्हें चौथी कक्षा पास करने के बाद स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। मगर फिर भी उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए संस्थानों की स्थापना की। पिछले साल पद्मश्री भी मिला था।

12 साल की छोटी सी उम्र में ही उसकी शादी 32 साल के एक शख्स से कर दी गई थी। तीन बच्चों को जन्म देने के बाद पति ने उन्हें गर्भवती होने पर छोड़ दिया था। उनके माता-पिता ने भी मदद करने से इनकार कर दिया था। असहाय और गरीब होने की वजह से उन्हें अपनी बेटियों की परवरिश करने के लिए भीख माँगनी पड़ती थी। मगर उन्होंने इन सभी संकट का सामना करते हुए विजय प्राप्त की। इसके साथ ही अनाथों के लिए काम करना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि उन्होंने कई अनाथ बच्चों की परवरिश की और उन सभी अनाथ बच्चों की शादियाँ भी की।

“मी सिंधुताई सपकाल”

2010 में सिंधुताई पर एक मराठी बायोपिक, “मी सिंधुताई सपकाल” रिलीज़ हुई. इसे 54वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया है।

बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सिंधुताई के निधन पर शोक व्यक्त किया है।उन्होंने कहा कि हजारों बच्चों की देखभाल करने वाली सपकाल मां के रूप में साक्षात देवी थीं। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनके निधन से महाराष्ट्र ने एक मां खो दी है। उन्होंने प्रतिकूलताओं का सामना अपना जीवन उन लोगों को समर्पित कर दिया, जिन्हें समाज ने खारिज कर दिया था।

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