सभी अपने जीवन मे कम से कम 10 पौधे जरूर लगाएं।
सभी छोटे-छोटे कार्य कर पर्यावरण को बचाया जा सकता है जैसे :-सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग से जल,जमीन,जंगल,समुद्र,वन जीव,नदिया,तालाब, समंदर, सभी दूषित हो चुके है।जिनमे रहने वाले जीव की भी मृत्यु हो रही है।
शादी, पार्टियों,होटलों,आदि जगहों पर डिस्पोजल के स्थान पर स्टील के थाली,कटोरी,ग्लास, चम्मच आदि से रिप्लेश कर सकते है।
शा उ मा वि बड़ावदा इको क्लब प्रभारी शान्तिलाल झाला व स्टाफ़ के गणेश राम आद्रा, कृष्ण कांत सक्सेना,गंगाराम सौलंकी,राजेंद्र सिंह डोंड़ीया,ऋषिका गोर,संजय राठौर,रोहित,रोहन कदम,यस यादव, आदि संकुल के भी शिक्षक व शिक्षिका के द्वरा पौधे लगाए गए।
हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग 100% बंद करना ही पड़ेगा।
कपड़े व जूट के थैले का उपयोग करे।
सेविंग एक मग्गे में पानी ले कर,पेस्ट करते समय नल बंद करदे,पानी टपकते नल को रिपेयर करे,लेट बाथ के वाल लीकेज नही होना चाहिए,खेती में परम्परागर सिंचाई की जगह ,स्प्रिंकलर, ड्रिप,रेन गन, रेन पाइप,आदि से पानी की काफी बचत होगी,वाहन की धुलाई के पहले सूखे कपड़े से धूल मिट्टी साफ कर ले,फिर बाल्टी में पानी लेकर गिला कर के कुछ समय बाद आप धोएं पानी की काफी बचत होगी।
ध्वनि प्रदूषण के कई कारण है।डीजे, प्रेशर हॉर्न, पुराने वाहन, आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है इनके आवाज को कम किया जाना पुराने वाहनों की सर्विसिंग समय पर किया जाना चाहिए जिससे वातावरण में जहरीले धुवा से बीमारी न फैले।
वाहन का उपयोग आवश्यक्ता होने पर ही करे।हो सके तो पब्लिक ट्रांसपोटेशन का उपयोग करे।
बिजली का उपयोग भी बड़ी ही सावधानी पूर्वक करना है।जहाँ जितने वाट की रोशनी की आवश्यकता हो वहाँ उतने वाट की ही LED बल्ब लगाएं।पुराने चोक वाली ट्यूब लाइट व पुराने पंखों को बदल कर 5 स्टार रेटिंग के isi वाले उपकरणों का उपयोग करना ही पड़ेगा।
छत पर सौलर लगा कर भी ऊर्जा बनाई जा सकती है।
“नियम के साथ साथ जागरूकता से बदलाव सम्भव है