Mradhubhashi
Search
Close this search box.

पंचायत मंत्री की दरियादिली से बची नन्हें आदित्य की आँखों की रोशनी,खेलते हुए आँख हुई थी चोटिल

पंचायत मंत्री की दरियादिली से बची नन्हें आदित्य की आँखों की रोशनी,खेलते हुए आँख हुई थी चोटिल

गुना।“परहित सरिस धर्म नहीं भाई” या अगर संक्षेप में कहें तो परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं है। जो व्यक्ति स्वयं की चिंता न कर परोपकार के लिए कार्य करता है, वही सच्चे अर्थों में मनुष्य है। परोपकार का अर्थ है दूसरे की भलाई करना। परमात्मा ने हमें जो भी शक्तियां व साम‌र्थ्य दिए हैं वे दूसरों का कल्याण करने के लिए दिए। इन पंक्तियों को आत्मसात् करने वाला वाकया कुछ गुना में भी हुई है।

गुना ज़िले के बमौरी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले छोटे से गाँव उकावद कलाँ निवासी संजय शर्मा के सात वर्षीय पुत्र आदित्य जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था तो खेलते खेलते वो एक घटना का शिकार हो गया जिसमें उसकी आँखों में गहरी चोट लग गई। ऐसे में आदित्य के परिजनों ने उसे मुख्यालय लाकर एक नेत्र विशेषज्ञ को जब दिखाया तो बच्चे की आँखों की हालत देखकर डॉक्टर ने इलाज करने में असमर्थता ज़ाहिर की और उसे जितनी जल्दी हो सके उसे इंदौर या किसी बड़े शहर ले जाने की बात कही,और कहा कि चोट इतनी गहरी है कि अगर इसका जल्दी इलाज नहीं कराया गया तो बच्चे की आँखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।

फिर क्या था परिजन अपनी अल्प व्यवस्थाओं के साथ इन्दौर रवाना हो गए और वहाँ प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती करवाया और आदित्य की आँखों का इलाज कराया जहां डॉक्टर को बच्चे की आँखों के अंदर आठ टाँके लगाने पड़े।परिजन बच्चे को वापस लेकर गुना आये पर अभी सब कुछ ठीक नहीं हुआ था और आदित्य के परिवार और उसकी आँखों पर एक और बड़ी आफ़त आन पड़ी थी ।जब डॉक्टर को फिर से आँखों का परीक्षण कराया। तो उसने कहा की बच्चे को तो मोतियाबिंद हो गया है और इसकी फिर आँखों की सर्जरी होगी और लेंस भी लगेगा जिसमें बड़ा खर्च आएगा।

अपनी पीड़ा लेकर संजय शर्मा जब प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के पास पहुँचे तो वो ख़ुद अपनी आँखों का इलाज कराने भोपाल जा रहे थे।फिर क्या था हमेशा की तरह अपने व्यवहार के अनुरूप पंचायत मंत्री श्री सिसोदिया ने संजय और उनके पुत्र आदित्य को अपनी गाड़ी में बैठाया और भोपाल रवाना हो गए।यही नहीं जिस डॉक्टर से मंत्री जी अपनी आँखों का का इलाज करा रहे थे उसी डॉक्टर से आदित्य का भी ऑपरेशन करा दिया।

यहाँ डॉक्टर ने बच्चे को लेंस लगाने की बात कही तो बहुत महँगा था जिसे संजय ख़रीदने में असमर्थ था।पर पंचायत मंत्री श्री सिसोदिया ने अपनी मानवीय संवेदना दिखाते हुए आदित्य को प्रदेश में उपलब्ध सबसे महँगा विदेशी लेंस लगवा दिया और इलाज का खर्च स्वयं वहन किया।
अब आदित्य की आँखें पूर्णतः स्वास्थ हैं और उसके परिजन पंचायत मंत्री द्वारा की गई मदद के बारे में बताते हुए भावुक हो जाते हैं और उन्हें दुआ और धन्यवाद देते हुए नहीं थकते।
बता दें आदित्य के अलावा पंचायत मंत्री पचास हज़ार से अधिक लोगों का अपनी ओर से इलाज करा चुके हैं,जिसके कारण समूचे क्षेत्र में वे ग़रीबों के मसीहा के रूप में अपनी छवि बना चुके हैं।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट