Mradhubhashi
Search
Close this search box.

Kartika Maas 2021: कार्तिक मास में सामान्य नदी के स्नान से मिलता है एक हजार गंगा स्नान का फल

Kartika Maas 2021: सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्रों में कार्तिक मास का विशेष महत्व बतलाया गया है। कार्तिक मास में स्नान, दान और श्रीहरी के साथ देवी तुलसी की पूजा से कष्टों का नाश होने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शास्त्रों में कार्तिक मास का काफी महिमामंडन किया गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, कलियुग में कार्तिक मास में किए गए व्रत, स्नान और तप से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्कंद पुराण

न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।

अर्थात- कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।

स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक मास में स्नान

स्कंदपुराण के अनुसार, कार्तिक मास में किए गए स्नान और व्रत को भगवान विष्णु की पूजा के समान माना गया है। कार्तिक मास में स्नान की विधि का वर्णन शास्त्रों में इस तरह किया है।

तिलामलकचूर्णेन गृही स्नानं समाचरेत्।
विधवास्त्रीयतीनां तु तुलसीमूलमृत्सया।।
सप्तमी दर्शनवमी द्वितीया दशमीषु च।
त्रयोदश्यां न च स्नायाद्धात्रीफलतिलैं सह।।

अर्थात- कार्तिक व्रती (व्रत रखने वाला) को सबसे पहले गंगा, विष्णु, शिव तथा सूर्य का स्मरण कर नदी, तालाब या पोखर के जल में प्रवेश करना चाहिए। उसके बाद नाभिपर्यन्त (आधा शरीर पानी में डूबा हो) जल में खड़े होकर स्नान करना चाहिए।

गृहस्थ व्यक्ति को काला तिल तथा आंवले का चूर्ण लगाकर स्नान करना चाहिए परंतु विधवा तथा संन्यासियों को तुलसी के पौधे की जड़ में लगी मृत्तिका (मिट्टी) को लगाकर स्नान करना चाहिए। सप्तमी, अमावस्या, नवमी, द्वितीया, दशमी व त्रयोदशी को तिल एवं आंवले का प्रयोग वर्जित है।

इसके बाद व्रती को जल से निकलकर शुद्ध वस्त्र धारणकर विधि-विधानपूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। यह ध्यान रहे कि कार्तिक मास में स्नान व व्रत करने वाले को केवल नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को ही तेल लगाना चाहिए। शेष दिनों में तेल लगाना वर्जित है।

स्कंदपुराण के अनुसार सेहतमंद बनाता है कार्तिक मास

स्कंदपुराण के वैष्णव खंड में कार्तिक मास का महत्व बतलाते हुए कहा है कि कार्तिक मास केवल स्नान, तप और व्रत के लिए ही उत्तम नहीं है, बल्कि अच्छी सेहत के लिए भी सर्वोत्तम है।

रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्।
मुक्तेर्निदांन नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।।

अर्थात- कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है।

पुराणों में कार्तिक मास का उल्लेख

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जो फल सामान्य दिनों में एक हजार बार गंगा स्नान से मिलता है, प्रयाग में कुंभ के दौरान गंगा स्नान से मिलता है, वही फल कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व किसी भी नदी में स्नान करने मात्र से प्राप्त हो जाता है।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट